भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा इन्फोसिस विज्ञान फाउंडेशन द्वारा इन्फोसिस पुरस्कार 2014 वितरण के लिए आयोजित समारोह के लिए वीडियो संदेश

राष्ट्रपति भवन : 05.01.2015

डाउनलोड : भाषण भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा इन्फोसिस विज्ञान फाउंडेशन द्वारा इन्फोसिस पुरस्कार 2014 वितरण के लिए आयोजित समारोह के लिए वीडियो संदेश(हिन्दी, 270.81 किलोबाइट)

इन्फोसिस विज्ञान फाउंडेशन के ट्रस्टीगण; सम्माननीय जूरी के अध्यक्ष, इन्फोसिस पुरस्कार 2014 के विजेता तथा अतिथिगण, नमस्कार।

मुझे इस विशिष्ट सभा को संबोधित करते हुए खुशी हो रही है तथा मैं इन्फोसिस विज्ञान फाउंडेशन को इन्फोसिस पुरस्कार 2014 की स्थापना के लिए बधाई देता हूं, जिसमें छह श्रेणियों में वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं की विशिष्ट उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करते हुए उन्हें सम्मानित किया जा रहा है।

हमारे प्रथम प्रधानमंत्री, जवाहरलाल नेहरू के मार्गदर्शन में भारत ने अपनी आजादी के शुरुआती दिनों से ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को प्राथमिकता के रूप में अपनाया था।

अनुसंधान एवं उच्च शिक्षा के संस्थानों का सृजन 1950से ही शुरू हो गया था। काफी पहले 1951 में देश ने परमाणु ऊर्जा आयोग के गठन का निर्णय लिया था जिसने भारत को अपना खुद का नाभिकीय रियेक्टर बनाने में सक्षम बनाया। शीघ्र ही हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू हुआ जिससे हम अंतरिक्ष में उपग्रह प्रक्षेपित करने में सक्षम हो पाए।

स्वतंत्रता के समय, हमारा कृषि सेक्टर अल्पविकसित था तथा हम खाद्यान्न का आयात कर रहे थे। हमारे वैज्ञानिकों की उत्कृष्टता तथा हमारे कृषकों के परिश्रम ने छठे दशक में हरित क्रांति का सूत्रपात किया। आज हम खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हैं तथा खाद्यान्न के प्रमुख निर्यातक हैं। इस तरह के रूपांतर के मानवीय इतिहास में कुछ ही उदाहरण हैं।

इसके बाद के वर्षों के दौरान मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी, बायो टेक्नॉलॉजी तथा फार्मास्युटिकल उद्योग का उदय हुआ।

कुछेक महीने पहले हमने मंगल की कक्षा में मंगलयान को सफलतापूर्वक प्रवेश कराते हुए इतिहास रचा है। भारत मंगल पर पहुंचने वाला चौथा देश है। यह अपने पहले ही प्रयास में तथा केवल 74 मिलियन अमरीकी डालर की लागत, जो कि दूसरों द्वारा व्यय की गई राशि का केवल एक अंश है, से अपना लक्ष्य पाने वाला पहला देश है।

जहां ये उपलब्धियां देश के लिए गौरव की बात हैं यह हमें उस दूरी की भी याद दिलाती हैं जिसे अभी हमें तय करना है।

विज्ञान मानव मस्तिष्क के सृजनात्मक प्रयासों में से एक है। यह मानव जीवन की उन्नति में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा प्रौद्योगिकीय प्रगति के लिए अत्यावश्यक है। व्यक्तियों, समाजों तथा राष्ट्रों द्वारा अपनाए जाने वाले विकल्पों तथा निर्णयों को वैज्ञानिक संस्कृति द्वारा तय होना चाहिए।

अनुसंधान संबंधी प्रयासों से ज्ञान जगत का विस्तार होना चाहिए तथा आम आदमी के जीवन में सुधार आना चाहिए। इससे हमारी जनता में सामाजिक, पर्यावरणीय तथा आर्थिक बेहतरी आनी चाहिए।

मुझे विश्वास है कि भारत का भविष्य अपरिहार्य रूप से हमारे देश में वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए मजबूत आधार तैयार करने की दिशा में हमारी प्रगति पर निर्भर करता है।

मैं इन्फोसिस पुरस्कार 2014 के सभी विजेताओं को बधाई देता हूं तथा ज्ञान की दुनिया को उनके योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं।

मुझे विश्वास है कि उनकी उपलब्धियां हमारे युवाओं को विज्ञान और समाज की सेवा में खुद को समर्पित करने के लिए प्रेरित करेंगी।

धन्यवाद,

जय हिंद!

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.