भारत के राष्ट्रपति द्वारा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हैल्थ एण्ड न्यूरोलाजिकल साइंसिज (निमहैन्स), बंगलौर को एक राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान के रूप में देश को समर्पित करने के अवसर पर अभिभाषण
बंगलौर, कर्नाटक : 22.12.2015
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मैं आज इस ऐतिहासिक अवसर पर यहां आकर प्रसन्न हूं। जैसा कि हम जानते हैं कि नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ मैन्टल हेल्थ एण्ड न्यूरोलोजिकल साईंसिज अथवा निमहैन्स को मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए जाना जाता है। 1850से इसकी आरंभिक यात्रा से, निमहैन्स, आज राष्ट्रीय महत्त्व के अग्रणी संस्थान के रूप में विकसित हो गया है। नीमहन्स ने निषेध और पुनर्वास के साथ देखभाल को एकीकृत करके सीमाओं और कठोरता के बंधन को काट दिया है। शारीरिक विज्ञान के साथ सामाजिक और व्यवहारिक अध्ययन को एकीकृत करने में यह अग्रणी हो गया है। सर्वप्रथम मैं, इस संस्था के संस्थापक सदस्यों और निदेशक को उनकी परिकल्पना और नेतृत्व के लिए मुबारकबाद देना चाहूंगा। इन्होंने इस संस्था को वह बनाया है, जो वह आज है, और देश उनके प्रयास और योगदान की सराहना करता है।
देवियो और सज्जनो,
यह उचित है कि बंगलौर के आईटी शहर में अब स्थिति निमहैन्स को, अपने सभी केंद्रों में,क्षमता सुधार के लिए आधुनिक,कंप्यूटर-आधारित हास्पीटल इन्फारमेशन सिस्टम अपनाने चाहिए। स्वास्थ्य देखभाल डिलीवरी को मजबूत करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग लागत कम करने, संसाधन प्रबंधन का अधिकतम उपयोग करने और पेपर वर्क कम करने में भी सहायता करता है। इसलिए निमहैन्स द्वारा आरंभ किए गए ई-हास्पिटल और ई-प्रोजेक्ट कार्यक्रम उत्कृष्ट पहल हैं, अन्य संस्थाओं द्वारा अनुकरण किए जाने योग्य है।
भारत में स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र से संबंधित हमारे राष्ट्रीय सूचकांक हमें स्मरण कराते हैं कि देश की प्रगति और विकास में स्वास्थ्य देखभाल एक सकारात्मक सहयोगकर्ता है। आज, पूरे विश्व में यह समझ बढ़ रही है कि मानसिक स्वास्थ्य से रहित कोई स्वास्थ्य नहीं हो सकता। भारत की प्रथम व्यापक मानसिक स्वास्थ्य नीति पिछले अक्तूबर में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर अधिसूचित की गई थी। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इसमें मानसिक स्वास्थ्य के अनेक पहलू शामिल हैं। मानसिक रूप से रोगी व्यक्तियों के अधिकार, देखभाल करने वालों को समर्थन की आवश्यकता, आत्महत्या का गैर आपराधिकरण और अन्य प्रगतिशील नीति पहल। ‘मानसिक स्वास्थ्य कार्रवाई योजना 365’ में केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकायों और सिविल समाज की विशिष्ट भूमिका निहित है। मानसिक स्वास्थ्य पर बिल, जो अभी संसद में विचाराधीन है, भी एक ठोस विधायी ढांचा प्रदान करना चाहता है, जो स्तरीय मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित कर सके।
मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि नीति निर्धारण के समय, हमारी सरकार यह सदैव सुनिश्चित करे कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और डिलीवरी में मानव संसाधन विकास के विधिवत प्राथमिकता दी जानी चाहिए। हमें मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी में संवर्धन के लिए चरणबद्ध रूप से नए तरीके खोजने की आवश्यकता है। मुझे यह देखकर खुशी हुई है कि भारत सरकार की राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति तेजी से मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को असंक्रामक रोगों के एक भाग के रूप में सामान्य स्वास्थ्य के साथ एकीकृत करना चाहती है। मानसिक रूप से रोगी व्यक्तियों द्वारा किए गए अनुभव का कलंक मिटाना भी एक महत्त्वपूर्ण प्राथमिकता है। उन्हें उपेक्षा और अनधिकारिता का पात्र नहीं होना चाहिए। निमहैन्स द्वारा आरंभ किए जाने वाला सर्वप्रथम राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण इस दिशा में एक अच्छा कदम होगा। मैं समझता हूं कि इस सर्वेक्षण में अनेक राज्यों और संघशासित क्षेत्रों की एक प्रतिनिधि आबादी शामिल होगी और अध्ययन का चरण 12 राज्यों में आरंभ हो गया है। यह भी उपयुक्त है कि सर्वे में न केवल प्रत्येक राज्य में मानसिक स्वास्थ्य प्रणाली का आकलन शामिल होगा बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए के लिए पर्याप्त मानव संसाधन की उपलब्धता भी होगी। इस सर्वे का परिणाम नि:संदेह, देश में स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर और गुणवत्ता के लिए महत्त्वपूर्ण होगा।
मुझे खुशी है कि वर्तमान में चालू मैंटल हैल्थ एंड न्यूरोसाईंस खोज और विकास का एक ठोस चरण है। उदाहरण के लिए तने के कोष का अनुसंधान, मालिक्यूलर जेनेटिक और ब्रेन इमेजिंग के नए तरीकों की उपलब्धता ने दिमाग की कमियों के उपचार में नई उम्मीद जगाई है। विश्वसनीय रूप से साबित हो गया है कि जीन्स मिश्रित सह क्रिया और पर्यावरण पहले से ही व्यक्ति को मानसिक रोगी बना देते हैं और बाह्य प्रभाव इसके आगे बढ़ने में सहयोग पहुंचाते हैं। यह उपयुक्त है कि निमहैन्स ने अपने अनुसंधान द्वारा मानसिक संतुलन बनाने में योग के लाभ के अनुभवजन्य प्रमाण प्रस्तुत किए हैं। मुझे विश्वास है कि निमहैन्स नई औषधियों और नए उपचारात्मक तौर-तरीकों की खोज में योगदान देता रहेगा।
भारतीय मानसिक स्वास्थ्य व्यवसायिकों ने पुष्टि की है कि मानसिक रोगी की सामुदायिक देखभाल व्यवहार्य और लागत प्रभावी विकल्प है। यह वह मार्ग है जो महत्त्वपूर्ण उपचार है। अनेक मामले दर्शाते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य का प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के साथ समावेश, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण, अनिवार्य औषधियों की सहज उपलबधता और बेहतर प्रबंधन भारत में संसाधन नियंत्रण के भीतर प्रभावकारिता को बढ़ा रहे हैं।
मुझे यह जानकर भी खुशी हुई है कि निमहैन्स ने अनेक पहलें की हैं जैसे कि ‘‘ब्रेन बैंक’’, अपने ब्लाक में मुफ्त कानूनी सहायता क्लीनिक, अच्छे स्वास्थ्य केंद्र, सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र, नशा मुक्ति चिकित्सा केंद्र। मैं समझता हूं कि निमहैन्स में लगभग आधे रोगी केवल नाममात्र का शुल्क देते हैं या निमहैन्स द्वारा दी गई उच्च विशिष्ट सेवाओं का मुफ्त लाभ उठाते हैं। ये मॉडल—निमहैन्स सामुदायिक स्वास्थ्य और पुनर्वास केंद्र और न्यूरो बायलाजी रिसर्च केंद्र (एनआरसी) सफल मॉडल है जिनका अनुकरण देश के अन्य भागों में भी किया जा सकता है। इसी प्रकार एमईजी अनुसंधान केंद्र, भारत में अपने प्रकार का प्रथम केंद्र है। मेरे लिए आज इस सुविधा का उद्घाटन करना सचमुच खुशी की बात है।
मुझे निमहैन्स विरासत म्यूजियम का उद्घाटन करने की भी खुशी है। मैं इस कृति से जुड़े सभी लोगों का बधाई देता हूं। निमहैन्स को एक राष्ट्रीय महत्त्व के रूप में नामित करना इसके विभिन्न रोगी देखभाल कार्यकलापों, नवीनताओं,अनुसंधान और नई पहल के प्रति श्रद्धांजलि है। मुझे कोई संदेह नहीं है कि निमहैन्स, राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र समर्थन और विकास को प्रेरित करता रहेगा।
इन शब्दों के साथ, मैं एक बार दोबारा निमहैन्स को मुबारकबाद देता हूं और राष्ट्र को यह राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान समर्पित करता हूं।
जय हिंद!