भारत एविएशन 2016 के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

बेगमपेठ हवाईअड्डा, हैदराबाद : 16.03.2016

डाउनलोड : भाषण भारत एविएशन 2016 के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 272.24 किलोबाइट)

sp1.मुझे भारत एविएशन 2016 में उपस्थित होकर प्रसन्नता हुई है जहां भारत और विश्व भर के नागरिक उड्डयन क्षेत्र के उद्योग प्रमुख एकत्र हुए हैं। नागरिक उड्डयन पर पांचवी अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी और सम्मेलन भारतीय वाणिज्य परिसंघ और उद्योगों तथा अन्य भागीदारों के सहयोग से भारत सरकार की एक सराहनीय पहल है जिसमें विश्व भर की वायु अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के नवीनतम नवान्वेषणों का प्रदर्शन किया जाएगा।

2. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि यह उड्डयन समारोह भारत और 25 विदेशी राष्ट्रों के 200 प्रतिभागियों को एक जीवंत कारोबार मंच उपलब्ध करवाएगा। इसमें विमानों और हेलिकॉप्टरों के प्रमुख निर्माता,विमान पत्तन अवसंरचना के विकासकर्ता, संचालक, एयरलाइनें, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एजेंसियां तथा नागरिक उड्डयन क्षेत्र की प्रौद्योगिकी के आपूर्तिकर्ता शामिल हैं। यह मंच भारत के वायु अंतरिक्ष उद्योग में विनिर्माण, रखरखाव, मरम्मत और परिचालन के लिए दीर्घकालिक कार्यनीतिक साझीदारियों की संभावनाओं पर विचार-विमर्श करने, परिचर्चा करने और उन्हें खोजने में मदद करेगा।

3. भारत विश्व की एक सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है और इसके 2020 तक तीन सर्वोच्च विनिर्माण गंतव्यों में शामिल होने की उम्मीद है। सरकार की स्थिर और निरंतर नीतियों,जनसांख्यिकी लाभों,विकासशील बुनियादी ढांचे,कम लागत वाली कुशल कार्यबल की निरंतर उपलब्धता तथा मजबूत तकनीकी और इंजीनियरी क्षमताओं ने भारत को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का एक उपयुक्त गंतव्य बना दिया है।

4. यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारतीय नागरिक उड्डयन बाजार तेज गति से बढ़ रहा है और अब विश्व में इसका नवां स्थान है। ऐसा अनुमान है कि 2020 तक भारत तीसरा सबसे विशाल नागरिक उड्डयन बाजार बन जाएगा। 40 देशों को जोड़ने वाले घरेलू और 85अंतरराष्ट्रीय एयरलाइनों के नेटवर्क के साथ, भारतीय हवाई अड्डों ने 2015 में 190 मिलियन व्यक्तियों के यात्री आवागमन का संचालन किया। परंतु फिर भी भारत चीन के 0.3 और अमरीका के 2 से ज्यादा की तुलना में प्रति व्यक्ति वार्षिक 0.04 यात्राओं से विश्व में एक सबसे कम मौजूदा हवाई बाजार है।

5. भारत के नागरिक उड्डयन उद्योग की तीव्र वृद्धि के बावजूद, भारत के स्तर दो और स्तर तीन के अनेक शहर अभी भी राष्ट्रीय ग्रिड के साथ असंबद्ध हैं या पर्याप्त रूप से संबद्ध नहीं हैं। मौजूदा आर्थिक केंद्रों के इष्टतम सीमा तक पहुंचने से कारोबार गतिविधियां नए गंतव्यों की ओर जाने के लिए बाध्य हो गई हैं। पूर्वोत्तर राज्यों में अभी भी पर्याप्त हवाई संपर्क नहीं है जिसके कारण नागरिक उड्डयन अवसंरचना का अभाव है।

6. हवाई यात्रा अब विलासिता नहीं रही है। भारत की मध्यम आय वाली जनसंख्या पिछले पांच वर्षों के दौरान60प्रतिशत तक बढ़ गई है और यह 2016 में लगभग 270 मिलियन हो गई है। भारत के मध्यम वर्ग की आय में निरंतर वृद्धि ने कारोबार और पर्यटन के लिए हवाई यात्राओं की क्षमता को बढ़ा दिया है। इससे कम लागत वाली एयरलाइनों के कारोबार में और अधिक बढ़ोतरी हुई है।

7. पर्यटन, व्यापार और यात्रा में विकास ने भी भारत के बढ़े हुए यात्री आवागमन में योगदान दिया है। 2020 तक भारत की कुल यात्रियों की संख्या 421 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। सरकार तथा नागरिक उड्डयन उद्योग के सभी भागीदारों के लिए इस शानदार कारोबारी अवसर का फायदा उठाने का यही समय है।

8. ऐसा अनुमान है कि हवाई यात्रियों और ढुलाई यातायात की भारी वृद्धि के कारण, भारत 2020 तक कम से कम 800 विमान हासिल कर लेगा। सहयोगात्मक उड्डयन अवसरंचना को नए हरित क्षेत्र हवाई अड्डों के निर्माण, मौजूदा हवाई अड्डों के विस्तार और रखरखाव, मरम्मत तथा प्रचालन की सुविधाएं बढ़ाकर उपयुक्त रूप से उन्नत करना होगा।

9. भारतीय उड्डयन क्षेत्र की उभरती हुई मांग से उड्डयन समारोह 2016 विश्व भर के सभी भागीदारों और उड्डयन प्रतिभगियों को अनूठे अवसर प्रदान कर रहा है। यह विकास को और प्रोत्साहन देने के लिए दीर्घकालिक सतत कारोबार संबंधों को बढ़ाने हेतु उभरते हुए अवसरों, नीतिगत चुनौतियों, विनियामक ढांचे तथा अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम परिपाटियों पर विचार-विमर्श करने का एक तैयार मंच भी उपलब्ध करवाता है।

10. इस समारोह ने विमान पत्तन अवसंरचना के विकासकर्ताओं और प्रचालकों, एयरलाइनों, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एजेंसियों,विमान और हेलीकॉप्टर निर्माण कंपनियों, वायु अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी प्रदाताओं को एकजुट किया है। भारत को एक केंद्र बनाने के लिए भागीदार वायु अंतरिक्ष उद्योग के निर्माण, रखरखाव और प्रचालन के लिए एक कार्य योजना तैयार कर सकते हैं।

11. भारत ने ‘भारत में निर्माण’ पहल के द्वारा विनिर्माण को तेज करने का एक बड़ा प्रयास आरंभ किया है। इसका लक्ष्य निवेश को सुचारू बनाना,नवान्वेषण को प्रोत्साहन देना, बौद्धिक संपदा की रक्षा करना तथा विश्व स्तरीय विनिर्माण अवसंरचना बनाना है।

12. दीर्घकालिक सतत विकास तथा वैश्विक स्पर्धा के लिए भारत को नवान्वेषण और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रवाह के लिए एक अनुकूल माहौल तैयार करना होगा। भारत की राष्ट्रीय विनिर्माण नीति उद्यम के सम्मुख अनेक चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार की एक महत्वपूर्ण नीतिगत पहल है।

13. भारत का नागरिक उड्डयन क्षेत्र 100स्मार्ट शहरों के विकास,नए आर्थिक गलियारों, 50 से अधिक नए हवाई अड्डों तथा मौजूदा हवाई अड्डों के विस्तार द्वारा एक तीव्र और सतत विकास प्राप्त करने के लिए तत्पर है। सरकार अगले दशक के दौरान विमान पत्तन अवसंरचना तथा उड्डयन नौवहन सेवाओं के विकास में 120 बिलियन से ज्यादा अमरीकी डॉलर निवेश करने की योजना बना रही है। छोटे शहरों में और अधिक हवाई सुविधाओं,भारत के पूर्वोत्तर हिस्से के बेहतर संपर्क, भारत के मध्यम वर्ग की अधिक प्रयोजनीय आय से भारतीय नागरिक उड्डयन उद्योग का विकास और अधिक बढ़ेगा।

14. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारत ने विगत दशक के दौरान नागरिक उड्डयन क्षेत्र में 14 प्रतिशत की विकास दर हासिल की है। पिछले 15 वर्षों के दौरान हवाई परिवहन में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 570मिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया है। भारत नागरिक उड्डयन क्षेत्र में विदेशी निवेशकों का एक पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है।

15. सरकार ने हरित क्षेत्र विमान पत्तन परियोजनाओं, हेलिकॉप्टर सेवाओं और समुद्री विमानों, रखरखाव और मरम्मत संगठनों तथा उड़ान प्रशिक्षण संस्थानों में 100 प्रतिशत तक स्वचालित मार्गों के जरिए विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दी है। घरेलू निर्धारित यात्री एयरलाइनों तथा भूतल प्रबंधन सेवाओं के लिए स्वचालित मार्गों के माध्यम से 49 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को अनुमति प्रदान की गई है।

16. मुक्त आकाश नीति, ढांचागत विकास पर और अधिक बल,उदारवादी प्रत्यक्ष नीति निवेश नियमों, सुदृढ़ तकनीकी और इंजीनियरी क्षमताओं, सूचना प्रौद्योगिकी में कुशल कार्यबल की सुनिश्चित आपूर्ति तथा संचार नेटवर्क ने वैश्विक कंपनियों के लिए द्वार खोल दिए हैं। इससे भारत वायु अंतरिक्ष उद्योग का एक विनिर्माण केंद्र बन जाएगा।

17. मुझे विश्वास है कि यह सम्मेलन उड्डयन क्षेत्र में नवीनतम नवान्वेषणों का अवलोकन करने और उन्हें जानने के लिए सभी भागीदारों को एक अवसर उपलब्ध करवाएगा। इससे नवीनतम अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम परिपाटियों को बढ़ावा देने, दीर्घकालिक सतत सार्वजनिक-निजी साझेदारियों तथा नए गठबंधन स्थापित करने की संभावना भी खोजी जाएंगी। मुझे यह भी उम्मीद है कि यह मंच भारत में अत्याधुनिक वायु अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के स्वदेशीकरण की रूपरेखा मुहैया करवाएगा तथा यह आने वाले वर्षों में वायु अंतरिक्ष विनिर्माण रखरखाव और प्रचालन के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरने में मदद करेगा।

18. भारत उड्डयन क्षेत्र में प्रमुख उन्नति करने की मुकाम पर है इसलिए यह समारोह सही समय पर हुआ है और यह ‘भारत में निर्माण’, ‘स्टैंड अप इंडिया’ और ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ की हमारी वर्तमान नीतिगत पहलों को भली-भांति प्रतिबिंबित करता है। यह वैश्विक कंपनियों का दायित्व है कि वे इस अवसर का लाभ उठाएं और दीर्घकालिक साझेदारियां स्थापित करने के लिए आगे आएं।

19. अपनी बात समाप्त करने से पहले मैं,सभी प्रतिनिधियों और भागीदारों को प्रदर्शनी की सफलता और कांफ्रेंस की सार्थक परिचर्चा के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मुझे उम्मीद है कि यह मंच भारत को विश्व स्तरीय वायु अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और सेवाओं का केंद्र बनाने के लिए भारतीय नागरिक उड्डयन क्षेत्र में कार्यनीतिक साझीदारियों और सहयोग का एक नूतन युग आरंभ करेगा।

जय हिंद।

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