बसु समेकित कैम्पस के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
कोलकाता : 29.06.2017
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प्रतिष्ठित बसु संस्थान के समेकित कैम्पस के उद्घाटन के अवसर पर यहां उपस्थित होना वास्तव में मेरा सौभाग्य है। लगभग एक शताब्दी पूर्व, जे.सी. बसु ने देश सेवा के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान के प्रति पूर्णत: समर्पित देश के अपनी तरह के प्रथम इस संस्थान को सौंपा था। उन्होंने एक महान घोषणा की थी, "मैं आज इस संस्थान को, जो न केवल एक प्रयोगशाला बल्कि एक मंदिर है, समर्पित करता हूं।"
अपने उद्घाटन अभिभाषण में, जगदीश चन्द्र बसु ने इस संस्थान के लिए लक्ष्य तय किया था, "जीवन और जीवन से परे बहुत सी और सदैव पैदा होने वाली समस्याओं का तथा पूर्ण अनुसंधान करना... सबसे संभावित नागरिक और जनसमूह के साथ ज्ञान की उन्नति को सम्बंधित करना; और यह बिना किसी शैक्षिक सीमा के करना... और यहां वे सभी एकत्र होंगे जो अनेक में एकता का प्रयास करेंगे।" इस एकता का प्रयास करना भारतीय सभ्यता का एक महानतम योगदान था। ये वास्तव में एक ऐसे व्यक्ति की भविष्यवाणी थी जिसके कार्य न केवल देश बल्कि विश्व में अनवरत विज्ञान अंतरविधात्मक वैज्ञानिक अनुसंधान के प्रयास के अग्रदूत थे। और इस प्रयास में, रवीन्द्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, भगिनी निवेदिता, महात्मा गांधी और गोखले इत्यादि जैसी कुछ महानतम विभूतियों ने पूरा सहयोग और प्रेरणा दी। वास्तव में, बसु संस्थान की स्थापना औपनिवेशिक परिणाम के बराबर राष्ट्र की आत्मप्रतिष्ठा स्थापित करने के भारत के प्रयास की एक सबसे आरंभिक अभिव्यक्ति कहा जा सकता है।
यद्यपि संस्थान की बढ़ती अनुसंधान गतिविधियों के कारण समय-समय पर बहुत से दूसरे स्थलों पर कैम्पस खोले गए। वर्तमान में बसु संस्थान की अनुसंधान गतिविधियां मूल कैम्पस (आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र रोड पर) तथा साल्ट लेक में लघु भवन के साथ सेंटेनरी कैम्पस (कंकुरगाच्छी) में फैला हुआ है। मुझे बताया गया है कि फाल्टा, मध्यमग्राम, श्यामनगर और दार्जिलिंग में कुछ प्रयोगात्मक फील्ड स्टेशन भी हैं।
मित्रो,
वर्षों के दौरान, विभिन्न कैम्पसों में कार्यरत सभी वैज्ञानिकों को एक समेकित परिसर में एकजुट करने की आवश्यकता अनुभव की जाती थी। उन्नत अनुसंधान प्रयोगशालाओं को पर्याप्त ढांचागत सहयोग की अत्यावश्यकता को पूरा करना अनिवार्य था। जैविक, भौतिकीय और पर्यावरणीय विज्ञान के अनेक अग्रणी अनुसंधान क्षेत्रों में, इस संस्थान में कार्यरत वैज्ञानिकों के बीच गहन परिचर्चा और विचारों के सार्थक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना भी आवश्यक समझा गया। मुझे याद है कि भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा 2 जून, 2012 को शिलान्यास के साथ समेकित कैम्पस की परियोजना आरंभ की गई थी और मुझे तत्कालीन वित्त मंत्री के तौर पर उपस्थित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। इसलिए मुझे इस परियोजना की सम्पन्नता का हिस्सा बनने और आज बसु संस्थान के समेकित कैम्पस का अन्तत: उद्घाटन करके अपार प्रसन्नता हुई है।
देवियो और सज्जनो,
आज इस नए कैम्पस के उद्घाटन के साथ ही, बसु संस्थान अपनी यात्रा के नए चरण में प्रवेश कर रहा है, और यह उपयुक्त भी है क्योंकि संस्थान इस वर्ष अपनी शताब्दी मना रहा है। मुझे बताया गया है कि इस उपलब्धि को मनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों, नोबेल विजेताओं सहित प्रख्यात वैज्ञानिकों की यात्राओं और व्याख्यानों की योजना बनाई गई है। इसी प्रकार संस्थान अनेक नए और सामाजिक पहुंच कार्यक्रमों को आरंभ करके नया पाठ्यक्रम भी आरंभ करना चाहता है। संस्थान के प्रस्तावित विस्तार को ध्यान में रखते हुए, हमें इस कैम्पस से और कई वर्षों तक आवश्यकताएं पूरी करने की अपेक्षा है।
परंतु यह कोई आसान यात्रा नहीं रही है। बसु संस्थान के वैज्ञानिक अपने विख्यात संस्थापक द्वारा निर्धारित संकल्पना को पूरा करने के लिए विगत सौ वर्षों से कार्य कर रहे हैं। मुझे यह उल्लेख करते हुए अत्यंत गर्व हो रहा है कि बसु संस्थान से दो उल्लेखनीय योगदान दिए गए हैं : प्रो. डी.एम. बसु द्वारा भारत में अग्रणी कॉस्मिक किरण और परमाणु भौतिक अनुसंधान, उनके कार्य से पी मेसन नामक एक नए आधारभूत कण की नोबेल पुरस्कार विजेता खोज के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ, तथा डॉ. एस.एन. डे द्वारा हैजा विषाणु के कार्यतंत्र की जानकारी देने वाला प्रमुख कार्य, जिसे एक से अधिक बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया। मुझे विश्वास है कि ऐसी मौलिक खोजों, आविष्कारों और नवान्वेषणों से यह शोध संस्थान सफलता प्राप्त करेगा।
मित्रो,
यह भी अत्यंत उपयुक्त है कि आचार्य जगदीश चंद्र बसु की ऐतिहासिक विरासत के सम्मानार्थ संस्थान अपने शताब्दी वर्ष में सिंथेटिक और प्रणाली जैविकी तथा जटिल प्रणालियों में दो अग्रणी अंतरविधात्मक अनुसंधान कार्यक्रम आरंभ कर रहा है, जिनका लक्ष्य विश्व के इन क्षेत्रों में प्रमुख अनुसंधान कार्यक्रम तैयार करना है। इसके अलावा, आचार्य जगदीश चंद्र बसु विज्ञान में जनचेतना को बढ़ावा देने के लिए उत्साहपूर्वक प्रतिबद्ध थे, इसलिए बसु संस्थान ने इस वर्ष इस संस्थान के मूल कैम्पस में बने जे.सी. बसु संग्रहालय के नवीकरण और विस्तार द्वारा भारतीय विज्ञान दीर्घाओं के इतिहास के सृजन की एक परियोजना आरंभ की है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि संस्थान का उत्थान विश्वविद्यालय स्तर तक करने के लिए बसु संस्थान ने स्नातकोत्तर विज्ञान विधाओं में समवत् विश्वविद्यालय में परिवर्तित होने की पहल की है।
मित्रो,
अपनी बात समाप्त करने से पहले, मैं यह उल्लेख करना चाहूंगा कि कोलकाता जैसे घनी आबादी वाले महानगर में भूमि की उपलब्धता में कमी के कारण, सौंदर्यात्मक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान की आवश्यकता के बीच सही संतुलन स्थापित करना एक विकट कार्य है। इस कार्य को पूरा करने के सफल प्रयास के लिए, मैं बसु संस्थान के प्रबंधन सहित इस विशाल परियोजना में शामिल सभी को बधाई देता हूं।
मैं कामना करता हूं कि आने वाले वर्षों में बसु संस्थान वैज्ञानिक उपलब्धि प्राप्त करने के लिए और उच्च शिखर स्पर्श करे तथा एक ऐसा वातावरण निर्मित करे जहां अनेकता में एकता की खोज प्रमुख और मूल बिन्दू हो। आपके भावी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।
धन्यवाद,
जय हिंद!