बंगाल इंजीनियरी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय, शिबपुर के 15वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

शिबपुर : 19.01.2013

डाउनलोड : भाषण बंगाल इंजीनियरी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय, शिबपुर के 15वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 232.82 किलोबाइट)

मुझे, बंगाल इंजीनियरी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय, शिबपुर के 15वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के अवसर पर आपके बीच उपस्थित होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है।

1856 में, कलकत्ता इंजीनियरी कॉलेज के रूप में दस विद्यार्थियों और तीन संकाय सदस्यों के साथ स्थापित इस विश्वविद्यालय ने एक लम्बी यात्रा तय की है। विगत 157 वर्षों के दौरान, यह विश्वविद्यालय एक ऐसे अग्रणी संस्थान के रूप में विकसित हो गया है जिसके पूर्व विद्यार्थियों ने भारत में और विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी मेधा को सिद्ध किया है और न केवल अपना बल्कि अपने संस्थान का नाम भी रोशन किया है।

मुझे 2011 में यहां की अपनी पिछली यात्रा की स्मृति है जब मैंने इस परिसर के एक ऐतिहासिक भवन स्लेटर हॉल में स्टूडेंट्स सेंटर फॉर क्रिएटिव एक्प्रेशन का उद्घाटन किया था। उस समय मैंने इस विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा और अनुसंधान विशेषकर हरित ऊर्जा, आयुर्विज्ञान और जल प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति का जिक्र किया था। यह सराहनीय है कि विश्वविद्यालय ने एयरोस्पेश प्रौद्योगिकी, सुदूर संवेदन और सामग्री विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे कार्यनीतिक क्षेत्रों में स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रम प्रारंभ करने की पहल की है। आपने इन प्रमुख क्षेत्रों में अपने विद्यार्थियों को उत्कृष्टता और अनुसंधान के लिए आवश्यक मूलभूत ढांचा और सुविधाएं प्रदान करने पर भी उतना ही ध्यान दिया है। इन क्षेत्रों में अन्वेषण और खोज का आपका कार्य, वहनीय और समुचित ढंग से हमारी जनता की प्राथमिक जरूरतों को पूरा करने के लिए, देश की उन्नत प्रौद्योगिकी के विकास के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। कुलपति की रिपोर्ट से, मुझे ज्ञात हुआ है कि बंगाल इंजीनियरी और विज्ञान विश्वविद्यालय के संकाय तथा विद्यार्थियों ने नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, इस्पात प्रौद्योगिकी परिवहन, नियोजन और वास्तुकला, इलेक्ट्रॉनिकी, खनन, जल, दूर संचार के क्षेत्र में, तथा एक ज्ञानसंपन्न समाज के रूप में राष्ट्रनिर्माण व प्रगति के लिए महत्त्वपूर्ण ऐसे ही अन्य प्रमुख क्षेत्रों में सराहनीय कार्य किया है। मैंने गौर किया है कि इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने एक संतुलित व्यक्तित्व के लिए अत्यावश्यक कलाओं जैसे कि नाट्यकला, फोटोग्राफी और संगीत जैसे सर्जनात्मक अभिव्यक्ति के विभिन्न क्षेत्रों में भी रुचि का भी प्रदर्शन किया है।

भारत सरकार ने इस विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा के उत्थान के लिए की गई विशिष्ट सेवा के सम्मानस्वरूप इसे भारतीय इंजीनियरी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान में बदलने का निर्णय किया है और इसे ‘राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान’ के रूप में मान्यता दी है। यह परिश्रम से प्राप्त सम्मान है जिससे आप सभी को शिक्षण और अनुसंधान दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्रापत करने की प्रेरणा मिलेगी।

प्राय: मैंने देखा है कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, रक्षा जैसे कार्यनीतिक क्षेत्रों तथा चिकित्सा प्रौद्योगिकी और पर्यावरणीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में आधारभूत इंजीनियरी अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में उपयुक्त अनुसंधान कार्मिकों का अभाव है। मैं इस बात पर बल देना चाहूंगा कि बंगाल इंजीनियरी और विज्ञान विश्वविद्यालय, शिबपुर, जिसने कभी भारत में आई.आई.टी. प्रणाली के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया था, अब अधिक गहन अनुसंधान एवं नवान्वेषण के माध्यम से अपने विभिन्न विभागों और केंन्द्रों का निरंतर पुन:सशक्तीकरण सुनिश्चित करने का दायित्व भी ग्रहण करे।

मैं समझता हूं कि शोध के क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय के पी.एच.डी. कार्यक्रम में वर्ष 2012 में 235 नए उम्मीदवारों ने प्रवेश लिया है। पिछले तीन वर्षों के दौरान प्रायोजित परियोजनाओं की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है और इसको अधिक धन मिला है। मुझे बताया गया है कि लगभग 92 शोध परियोजनाओं को प्रायोजित किया गया है और लगभग 62 करोड़ का वित्तीय सहायता से इन पर कार्य जारी है। मुझे विशेष प्रसन्नता है कि शोध के विषयों में सुरक्षित जल व स्वच्छता, सेमी कंडक्टर नैनो सामग्रियों का विकास, गंगा-बेसिन पर्यावरणीय प्रबंधन योजना का निर्माण, ह्दय रोग के पूर्व संकेत प्राप्त करने के लिए स्मार्ट प्रोग्नोस्टिक प्रणाली का विकास शामिल है। यह वे प्रमुख क्षेत्र हैं जिनमें यह विश्वविद्यालय हमारे देश में विज्ञान और चिकित्सा के विकास में अमूल्य योगदान करेगा।

यह स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय ने अपनी सुविधाओं को आधुनिक बनाया है परंतु मैं आग्रह करना चाहूंगा कि अध्यतन और आधुनिकीकरण की यह प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए। इसी प्रकार, विद्याथियों और संकाय सदस्यों को भारत और विदेश के अपने समकक्षों के साथ नियमित संवाद और सहयोग करना चाहिए। इससे आपके और आपके संस्थान को हर प्रकार का ज्ञानपूर्ण और अति उपयोगी अनुभव प्राप्त होगा और इससे आपको अपनी क्षमताओं और प्रतिभाओं का प्रदर्शन करने और साथ ही दूसरों की उपलब्धियों और उनके द्वारा अपनाए जा रहे सर्वोत्तम तरीकों से सीखने का अवसर प्राप्त होगा। इसी प्रकार, प्रौद्योगिकी को विकसित करने और इसे उपभोक्ता अनुकूल बनाने पर बल देने के लिए उद्योग के साथ ठोस सहयोग पूर्ण संबंध से हमारे लोगों को अवश्य लाभ होगा। मैं आपको याद दिलाना चाहूंगा कि विज्ञान की सीमाओं को तोड़ने और नई प्रौद्योगिकी की खोज करते हुए आपके प्रयास वास्तव में तभी उपयोगी माने जाएंगे जब उनके द्वारा हमारे उद्योग दक्षतापूर्ण बनें, हमारे लोगों का दैनिक जीवन आरामदायक हो तथा हमारे देशवासियों के सबसे अधिक अशक्त लोगों के अश्रु पोंछ सकें।

विशिष्ट अतिथिगण और प्यारे विद्यार्थियों, ऐसे युवाओं के बीच में होना सदैव अच्छा लगता है जो अपने सबसे रचनात्मक वर्षों में प्रवेश कर रहे हैं। इस स्तर पर आपकी ऊर्जा, आपका संकल्प और आपकी आकांक्षा को, हमारे राष्ट्र के समक्ष समस्याओं और चुनौतियों पर व्यवाहारिक और परिणामोन्मुख ढंग से समाधान की दिशा में मोड़ना होगा। मैं, इस अवसर पर आप सभी से आग्रह करना चाहूंगा कि आप न केवल हमारे समाज के निर्माण में सक्रिय होकर आगे आएं परंतु आपको हमारी विरासत और सहिष्णुता, आपसी सम्मान की परंपरा तथा विकास संबंधी लक्ष्यों की प्राप्ति को कभी नहीं भूलना चाहिए।

विशिष्ट देवियो और सज्जनो, तथा उपस्थित विद्यार्थियों, यह पूरी तरह समीचीन है कि यह विश्वविद्यालय प्रख्यात चिकित्सिक तथा चिकित्सा अनुसंधानकर्ता डॉ. एम.एस. वालियाथन तथा सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् डॉ. बी.के. बोस को उनकी उपलब्धियों के लिए डी एस सी (मानद) की उपाधि प्रदान करे। मुझे यह उल्लेख करते हुए भी खुशी हो रही है कि यह विश्वविद्यालय बनारस घराने की प्रख्यात शास्त्रीय गायिका श्रीमती गिरिजा देवी को डी लिट् (मानद) की उपाधि प्रदान करेगा।

मुझे, आज इंजीनियरी के क्षेत्र के प्रतिभाशाली व्यक्तियों सर जगदीश चन्द्र बोस, मणि लाल भौमिक, सत्येन्द्र नाथ बोस, मेघ नाद साहा और प्रफुल्ल चन्द्र राय आदि की याद आ रही है। मैं इस अवसर पर, उनकी विरासत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उम्मीद व्यक्त करता हूं कि मानवता के प्रति उनके प्रयास, उपलब्धियां और योगदान आपको सर्वोच्च लक्ष्यों की अभिलाषा करने की प्रेरणा प्रदान करेंगे।

मैं, बंगाल इंजीनियरी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, कुलपति, संकाय सदस्यों को बधाई देता हूं और इस विश्वविद्यालय को उत्कृष्टतापूर्ण संस्थान के रूप में विकसित करने में निरंतर सफलता के लिए शुभकामना देता हूं।

इन्हीं शब्दों के साथ, मैं उन्हें बधाई देता हूं, जिन्होंने इस अवसर पर उपाधि और पुरस्कार प्राप्त किए हैं और आप सभी भावी प्रयासों के सकल होने की कामना करता हूं।

धन्यवाद। 
जय हिंद!

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