बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों के प्रमुखों के साथ नवान्वेषण वित्तीयन पर गोलमेज परिचर्चा के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र : 17.03.2016
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1. मुझे बैंकिंग और वित्त उद्योग के प्रमुखों के साथ‘नवान्वेषण’के वित्तीयन पर गोलमेज परिचर्चा के इस समापन सत्र में भाग लेकर प्रसन्नता हुई है। यह गोलमेज चल रहे नवान्वेषण उत्सव, 2016का एक भाग है। मैं इस कार्यक्रम के सुचारू संचालन के लिए राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान तथा इस गोलमेज परिचर्चा के आयोजकों नाबार्ड और सिडबी को बधाई देता हूं।
2. नाबार्ड ने भारत की विकास प्रक्रिया में एक अहम भूमिका निभाई है। ऋण सहयोग,संस्थान विकास तथा अन्य कार्यकलापों के माध्यम से,नाबार्ड सतत और समतामूलक कृषि तथा ग्रामीण स्मृद्धि को प्रोत्साहन दे रहा है। सिडबी ने भारत की औद्योगिक अर्थव्यवस्था में अपना एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र के प्रोत्साहन,वित्त पोषण और विकास के प्रमुख वित्तीय संस्थान के रूप में यह व्यापक पैमाने पर उत्पादन,रोजगार और निर्यात में योगदान दे रहा है। इन दोनों संस्थाओं की,नवान्वेषण से भरपूर भारत में एक प्रमुख भूमिका है।
देवियो और सज्जनो,
3. इस अवसर पर,राष्ट्रपति ने कहा कि नवान्वेषण सामाजिक-आर्थिक विकास का अग्रदूत है। यह विकास में मदद करता है और रोजगार अवसर पैदा करता है। नवान्वेषण में लोगों के जीवन स्तर को उठाने की बड़ी संभावना है। यदि किसी नए विचार को उपयोगी उत्पाद में बदला जाए तो इससे समाज में प्रगति आती है। परंतु नए विचार को नए उत्पाद या सेवाओं में बदलने के कार्य में चुनौतियां भरी हुई हैं।
4. किसी भी नए कारोबार में पूंजी,कार्यबल और प्रौद्योगिकी जैसे उत्पादन के साधनों में निवेश के लिए संसाधनों की जरूरत होती है। परंपरागत उद्यमों के लिए वित्तीयन संस्थानों सहित बाजार से संसाधनों को प्राप्त करने के लिए एक सुस्थापित ढांचा विद्यमान है। परंतु नवान्वेषण आधारित उद्यमीय ढांचे के मामले में, ऐसी विशिष्ट परिस्थितियां हैं जिनसे कुछ बाधाएं पैदा होती हैं। इनमें से एक है,नवान्वेषण उन्मुख फर्मों की मानव पूंजी में निहित ज्ञान आधार के रूप में अमूर्त परिसंपत्तियां होती हैं।
विशिष्ट प्रतिभागियो,
5. एक अध्ययन के अनुसार, 90प्रतिशत ऐसे नए उद्यम तीन वर्षों के भीतर विफल हो जाते हैं जो निवेशकों को आकर्षित नहीं कर पाते हैं। निवेशक निवेश करने और उसमें वृद्धि करने से पहले पहले प्रमाणित कारोबार नमूनों को पसंद करते हैं। नवान्वेषण आधारित परियोजनाओं में काफी अनिश्चितता होती है। इनके अपेक्षित परिणामों की संभावनाएं निश्चित करना न केवल मुश्किल होता है बल्कि उन परिणामों की किस्मों का अनुमान लगाना भी कठिन होता है। किसी नवान्वेषण गतिविधि की वास्तविक क्षमता शुरुआत में पूरी तरह नहीं मापी जा सकती है।
6. नवान्वेषण प्रक्रियाओं का प्रतिफल उलझा हुआ है। प्रत्येक स्टार्ट-अप को समाप्ति के खतरे का सामना करना पड़ता है। इसलिए सीड और स्टार्ट-अप अवस्थाओं के प्रथम चरण वह है,जिसमें: 1. एक नया विचार या संकल्पना विकसित की जाती है।2. इसकी तकनीकी व्यवहार्यता,बाजार क्षमता और आर्थिक व्यवहारिकता निश्चित की जाती है। 3. उत्पाद का नमूना तैयार किया जाता है तथा4. एक औपचारिक व्यवसाय संगठन स्थापित किया जाता है।
इन शुरुआती गतिविधियों में लागत डूब जाती है जिसमें नई फर्म के लिए ऋणात्मक नकद प्रवाह पैदा होता है। नवान्वेषण स्टार्ट अप जिनका वेबसाइट और स्मार्ट अनुप्रयोग जैसे कम विकासात्मक खर्चे होते हैं,के साथ ऐसी समाप्ति के खतरे से बचने के काफी मौके होते हैं।
देवियो और सज्जनो,
7. एक बार नवान्वेषण उद्यम से आय पैदा होने के बाद वित्तीय संसाधनों को प्राप्त करने की कठिनाई कम हो जाती है। विकास और विस्तार चरणों में जिनमें आकार बढ़ाने और बाजार मौजूदगी के लक्ष्य होते हैं,बैंक ऋण प्राप्त करने की शर्तें पूरी करना आसान होता है। इसलिए नवान्वेषकों,उद्यमियों, वित्त प्रदाताओं तथा नीति निर्माताओं की शुरुआती बड़ी चुनौती एक जैसी होती है। मेरे विचार से,नवान्वेषणों के वित्त पोषण के लिए एक समाधान की बजाय एक मिश्रित मॉडल होना चाहिए। एंजल निवेशक,उद्यम पूंजीपति, समूह वित्तपोषण,सीड वित्तपोषण तथा प्रौद्योगिकी की नवान्वेषण निधि जैसे नए युग के वित्तीयन विकल्प सृजन स्तर पर नवान्वेषण परियोजनाओं की विशेष आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं।
8. ऐसा कहा भी गया है कि नवान्वेषण संस्कृति के देश में गहराई से स्थापित होने के लिए बैंकिंग क्षेत्र महत्वपूर्ण रहता है। एक प्रगतिशील और सहयोगात्मक वित्तीय क्षेत्र नवान्वेषण मोर्चे पर एक राष्ट्र के प्रदर्शन का मूल मंत्र है। हम बुनियादी स्तर पर वित्तीय सहयोग के अभाव में होने वाले बहुत से नवान्वेषणों को समाप्त नहीं होने दे सकते। मैंने पहले भी कहा है कि नवान्वेषक,उद्यमी और वित्त प्रदाता की त्रिमूर्ति को एक सुदृढ़ नेटवर्क तंत्र के माध्यम से जोड़ना होगा। एक सहयोगात्मक भावना बहुत से उदीयमान विचारों के फलने-फूलने में मददगार हो सकती है।
विशिष्ट प्रतिभागियो,
9. अधिकांश संभावित नवान्वेषकों को अपने नूतन विचारों को बाजारों तक ले जाने के लिए तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। उनके कामकाज में वित्त प्रदान करने वाले बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं इस संबंध में एक सहायक की भूमिका निभा सकती हैं। वे उनके विचारों में रुचि रखने वाले उद्यमों तथा मान्यता,डिजायन, बाजार व्यवहार्यता और उद्यम स्थापना में सहयोग के लिए संबंधित संस्थानों के साथ जुड़ने में नवान्वेषकों की मदद कर सकते हैं। वे उन परामर्शकों की पहचान कर सकते हैं जो नवान्वेषकों की जरूरतों का आकलन कर सकें और उन्हें पूरा कर सकें। सर्जनात्मक लोगों,उद्यमियों और तकनीकी संस्थानों के बीच संयोजन स्थापित करने में उनकी इस भूमिका से देश में प्रचुर नवान्वेषी विचार पैदा हो सकते हैं। नवान्वेषकों की प्रबंधकीय मदद सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी तंत्र भी स्थापित किया जा सकता है। वित्तीय संस्थानों को नवान्वेषकों के लिए संस्थागत तंत्र के बारे में और जागरूकता पैदा करनी चाहिए।
10. केंद्रीय विश्वविद्यालय,आईआईटी और एनआईटी जैसे केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थाओं ने विद्यार्थी और शिक्षकों तथा बुनियादी नवान्वेषकों के बीच विचारों और युक्तियों के आदान-प्रदान के मंच के रूप में कार्य करने के लिए नवान्वेषण क्लब और केंद्र स्थापित किए हैं। अधिकांश केंद्रीय संस्थानों में विचारों को बाजार तक पहुंचाने के लिए नवान्वेषण विकासकर्ता केंद्र स्थापित किए हैं। बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं और अधिक सहयोग के लिए इन नवान्वेषण क्लबों और विकासकर्ता केंद्रों के साथ जुड़ सकती हैं।
देवियो और सज्जनो,
11.सरकार, जनता और निजी संगठनों के एकाग्र प्रयास के द्वारा भारत में नवान्वेषण और उद्यमशीलता के उन्नयन के लिए अनेक पहल आरंभ की जा रही हैं। अटल नवान्वेषण मिशन की स्थापना एक ऐसे मंच के रूप में की जा रही है जिसमें नवान्वेषण की संस्कृति को प्रोत्साहन तथा विश्व स्तरीय नवान्वेषण केंद्रों के नेटवर्क को बढ़ावा देने के लिए शिक्षाविद,उद्यमी और शोधकर्ता शामिल हैं। स्वरोजगार और प्रतिभा उपयोग (सेतु) विशेषकर प्रौद्योगिकी संचालित क्षेत्रों में स्टार्ट अप व्यवसाय और अन्य स्वरोजगार कार्यों में सहयोग देने के लिए एक तकनीकी-वित्तीय,विकास और सहायता कार्यक्रम है। सूक्ष्म इकाई विकास और पुन:वित्त एजेंसी बैंक (मुद्रा) को अनिगमित लघु कारोबार क्षेत्र के वित्तीयन के जरिए भारत में उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने के लिए स्थापित किया गया है।
12. स्टार्ट-अप इंडिया कार्यक्रम एक कार्ययोजना के साथ हाल ही में आरंभ किया गया था जिसमें स्टार्ट-अप के वित्त पोषण के लिए10,000 करोड़ रुपये की विशिष्ट स्टार्ट-अप निधि का सृजन शामिल है। उद्योग निकायों,निगमित संस्थाओं और शैक्षिक संस्थानों द्वारा नवान्वेषण के प्रोत्साहन के लिए निधियां स्थापित की गई हैं। नाबार्ड की कृषि,गैर कृषि तथा सूक्ष्म वित्त क्षेत्रों में नवान्वेषी,जोखिम अनुकूल और अपारंपरिक प्रयोगों को सहयोग देने के लिए एक ग्रामीण नवान्वेषण निधि है। इस योजना में ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ाने तथा आजीविका अवसरों को बढ़ावा देने की क्षमता है।
13. मुझे ऑनलाइन मंच ‘सिडबी-स्टार्ट-अप मित्र’आरंभ करके प्रसन्नता हुई है जो शुरुआती अवस्था में स्टार्ट अप उद्यमों की वित्त और अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए एकमात्र समाधान के रूप में कार्य करेगा। मैं वित्तीय सेवा विभाग तथा सिडबी की,इस राष्ट्रीय नवान्वेषण वित्त कार्यक्रम की संकल्पना करने के लिए सराहना करता हूं। निधि तथा अन्य सेवा प्रदाताओं के साथ स्टार्टअप के समेकन से देश में समावेशी नवान्वेषण माहौल पैदा करने में मदद मिलेगी।
14. इन्हीं शब्दों के साथ,मैं अब अपनी बात समाप्त करता हूं। मैं बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का इस मंच में उनकी उत्साहजनक सहभागिता के लिए धन्यवाद देता हूं। सभी संबद्ध एजेंसियों को परिचर्चा की संस्तुतियों पर विचार करना चाहिए और उन पर काम करना शुरू कर देना चाहिए। मैं नाबार्ड और सिडबी के साथ-साथ राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान की एक बार पुन: नवान्वेषण के वित्तीयन पर इस सार्थक परिचर्चा के आयोजन के लिए सराहना करता हूं। मैं आप सभी को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद।
जय हिन्द।