आठवें द्विवार्षिक राष्ट्रीय राष्ट्रपति बुनियादी नवान्वेषण और विशिष्ट पारंपरिक ज्ञान पुरस्कार समारोह तथा नवान्वेषण प्रदर्शनी के अवसरस पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन, सांस्कृतिक केंद्र, नई दिल्ली : 07.03.2015
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1. मुझे आठवें द्विवार्षिक राष्ट्रीय राष्ट्रपति बुनियादी नवान्वेषण तथा पारंपरिक ज्ञान पुरस्कार प्रदान करने के समारोह में उपस्थित होकर वास्तव में प्रसन्नता हो रही है। सर्वप्रथम, मैं नवान्वेषण के क्षेत्र में उनके कार्य और योगदान के लिए सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं। मैं इस अवसर पर बुनियादी नवान्वेषकों की रचनात्मक क्षमता को प्रोत्साहित करने तथा अपनी विभिन्न पहलों के जरिए समावेशी नवान्वेषण कार्य को सहयोग देने के लिए राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान की सराहना करता हूं। मैं विशेषकर, नवान्वेषण को हमारे देश का अभियान बनाने में प्रो. मार्शलकर और प्रो. अनिल गुप्ता के योगदान की अत्यंत सराहना करता हूं।
देवियो और सज्जनो,
2. नवान्वेषण प्रगति और समृद्धि की कुंजी है। ऐसी बहुत सी सामाजिक आवश्यकताएं हैं जिन्हें सार्वजनिक, निजी और सिविल समाज की संस्थाएं पूरा नहीं कर पा रही हैं। इसी प्रकार,लोगों के अंदर शानदार दक्षता है जिसे प्रयोग किया जाए तो जनसाधारण की जरूरतों का समाधान हो सकता है। सबसे अच्छी बात यह है कि बसंत के फूलों की तरह स्थानीय समुदायों, विद्यार्थियों, किसानों और अन्य लोगों के नवान्वेषण हमारे लाखों लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला सकते हैं।
3. नवान्वेषण की प्रक्रिया ज्ञान को सामाजिक हित तथा आर्थिक संपदा में बदल देती है। यह जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रतिभाओं को समाज के साथ जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। भारत में सदैव ज्ञान की सुदृढ़ परंपरा रही है। हमारी ज्ञान प्रणाली में जमीन से प्रयोगशाला तक जांच तक अनुसंधान तथा प्रयोगशाला से जमीन तक प्रौद्योगिकी के अंतरण के विशाल संभावनाएं हैं। यह जरूरी है कि पारंपरिक ज्ञान के सुविख्यात प्रयोगकर्ताओं के सक्रिय सहयोग से स्वदेशी ज्ञान के विशाल भंडार को सुरक्षित, आलेखित और संरक्षित किया जाए।
4. समावेशी विकास तभी संभव है जब जनसाधारण के विचारों और नवान्वेषणों को पूरे मन से सहयोग दिया जाए। नवान्वेषण के इस दशक (2010-20) के मध्य में, हमें संभवत: अपने बुनियादी नवान्वेषकों और विद्यार्थियों की सर्जनात्मकता का उपयोग करने की दिशा में अपने नजरिए का मूल्यांकन तथा आवश्यकता होने पर उसका पुन: अभिमुखीकरण करना चाहिए। बुनियादी नवान्वेषणों के पैमाने को बढ़ाने के लिए हमारे समाज में मौजूद अमूल्य ज्ञान भंडार और औपचारिक शिक्षा प्रणाली के बीच एक सुदृढ़ संयोजन की आवश्यकता है। सबके कल्याण के लिए हमारी नवान्वेषण क्षमता का प्रयोग करने हेतु नोडल सरकारी एजेंसियों को एक सक्षम भूमिका निभानी चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
5. औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों के बीच व्यवहार्य संबद्धता के लिए जनसाधारण और युवा विद्यार्थियों की सर्जनात्मकता के साथ प्रौद्योगिकीय वित्तीय और शैक्षिक क्षेत्रों के प्रमुखों की भागीदारी को प्रगाढ़ बनाने की भी आवश्यकता है। इस वर्ष राष्ट्रपति भवन में एक नवान्वेषण समारोह आरंभ किया गया है। इससे विभिन्न भागीदारों को एक मंच पर लाने तथा इन संस्थाओं को समावेशी नवान्वेषण में सक्रिय साझीदार बनने में मदद मिलेगी। इस कार्यक्रम में भाग ले रहे नवान्वेषक हमारे देश के अनेक भागों से आए हैं। मुझे उम्मीद है कि इस पहल के द्वारा श्रेष्ठ विचारों के प्रसार की समान विचारों वाली महत्त्वपूर्ण शृंखला निर्मित की जा सकती है।
6. मुझे बताया गया है कि नवान्वेषण प्रदर्शनी में इंजीनियरी, कृषि, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र जैसे अनेक परिदृश्यों में समस्याओं के नूतन समाधान प्रदर्शित होंगे। इन नवान्वेषणों का लक्ष्य उत्पादकता और कौशल को सुधारना तथा वहनीयता और पर्यावरणीय गुणवत्ता को बढ़ाना है। ये हमारे देश के ‘भारत में निर्माण’ मिशन को वास्तविक गति प्रदान करेंगे। निवेशकों, उद्यमियों और वित्तीय संस्थानों के साथ उपयुक्त संयोजन स्थापित करने के अलावा, केंद्र और राज्य सरकारों को खासतौर से आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों, तथा जनजातीय और सुदूर इलाकों में अपने प्रशासनिक तंत्रों के माध्यमों के जरिए इन नवान्वेषणों का व्यापक प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
7. इस संदर्भ में, यह उचित ही है कि कृषि विश्वविद्यालय, सार्वजनिक क्षेत्र की अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाएं, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान तथा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान बुनियादी प्रौद्योगिकियों की प्रामाणिकता और मूल्य संवर्धन में राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान को सहयोग दे रहे हैं। इसके बावजूद, राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान और अधिक महिला नवान्वेषकों तथा विशिष्ट पारंपरिक ज्ञानकर्ताओं को सहयोग देने के मामले में कठिन चुनौतियों का सामना कर रहा है। मुझे विश्वास है कि निरंतर प्रयास से राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान इन बाधाओं को दूर कर लेगा। महत्त्वपूर्ण भागीदारों की अधिक से अधिक सहभागिता से समावेशी प्रगति और विकास में आवश्यक तेजी आएगी।
देवियो और सज्जनो,
8. भारत में नवान्वेषण में अग्रणी बनने की क्षमता है। इस दिशा में उत्साह बढ़ाने वाले प्रयासों के बावजूद हमारा देश बहुत से अन्य देशों से पीछे है। भारत, वैश्विक नवान्वेषण सूची 2014 में 76वें स्थान पर है जो 29वें स्थान पर मौजूद चीन से काफी नीचे है। 49वें स्थान पर रूस और 61वें स्थान पर ब्राजील ने हमसे बेहतर प्रदर्शन किया है।
9. हमारे देश में बुनियादी नवान्वेषकों के योगदान तथा मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्यम तथा अनौपचारिक क्षेत्र द्वारा किए गए नवान्वेषण महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। तथापि दूसरों से सबक सीखना होगा तथा समावेशी नवान्वेषण के क्षेत्र में अग्रणी देशों और संगठनों के साथ अनुभव साझा करने होंगे। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि यह उपयोगी विषय—समावेशी नवान्वेषण, आज और कल गोलमेज परिचर्चा का विषय होगा। मुझे आज शाम परिचर्चा के सार की प्रतीक्षा है और उम्मीद है कि विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के साथ परिचर्चा से भारत को इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
देवियो और सज्जनो,
10. केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों के सम्मेलनों के माध्यम से, मैं नवान्वेषण क्लब स्थापित करने के लिए अपने उच्च शैक्षिक संस्थानों से आग्रह करता रहा हूं। इन क्लबों का उद्देश्य अध्यापन और विद्यार्थी समुदायों के बीच नवान्वेषी विचारों के आदान-प्रदान का मंच का कार्य करना है। इन क्लबों से समाज की अपूर्ण आवश्यकताओं का पता लगाने तथा बुनियादी नवान्वेषणों के अनुसंधान, प्रसार और उनका आनंद उठाने की अपेक्षा की जाती है। एक बार इन अपूर्ण आवश्यकताओं को पता लगाने पर, हमारी अध्यापन और अनुसंधान प्रक्रिया को उपयुक्त रूप से पुन: अभिमुख किया जा सकता है। नवान्वेषण क्लबों के प्रतिनिधि इस सप्ताह के दौरान अपनी उपलब्धियों और भावी कार्यनीतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए यहां आपस में मिलेंगे। यह समारोह मितव्ययी और सतत् नवान्वेषणों के बारे में बुनियादी नवान्वेषकों से सीखने के लिए संकाय और विद्यार्थी प्रतिनिधियों को एक मंच उपलब्ध करवाएगा।
11. हमारी जनता की रचनात्मक क्षमता को बढ़ावा और प्रोत्साहन देने के लिए, राष्ट्रपति भवन को नवान्वेषण विद्वानों, लेखकों, कलाकारों तथा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के विद्वानों तथा प्रेरणा प्राप्त शिक्षकों के लिए खोला गया है। आज, नवान्वेषण विद्वानों, लेखकों और कलाकारों का दूसरा बैच आवासी कार्यक्रम में यहां हमारे साथ शामिल है। मैं उन सभी का राष्ट्रपति भवन में स्वागत करता हूं। मुझे उम्मीद है कि यह नवान्वेषण समारोह इन रचनात्मक लोगों के बीच तालमेल पैदा करेगा।
12. मैं एक बार पुन: पुरस्कार विजेताओं की सराहना करता हूं और यहां उपस्थित सभी नवान्वेषकों से गरीबी दूर करने,रोजगार पैदा करने तथा समाज को स्वस्थ, खुशहाल और सौहार्दपूर्ण बनाने के कारगर समाधान प्रस्तुत करने का आह्वान करता हूं। मैं नवान्वेषण समारोह के अत्यधिक सफलता की कामना करता हूं। अंत में मैं एलबर्ट आईंस्टीन के शब्दों से अपनी बात समाप्त करता हूं :
‘व्यक्ति और उसके भविष्य की चिंता सभी तकनीकी प्रयासों का प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए। रेखाचित्रों और समीकरणों के मध्य इस बात को कभी न भूलें।’
धन्यवाद,
जय हिंद!