अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन : 08.03.2016

डाउनलोड : भाषण अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 253.58 किलोबाइट)

spसर्वप्रथम, मैं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हमारे देश और विश्व की महिलाओं को अपनी हार्दिक बधाई देता हूं।

यह अत्यंत संतोष का विषय है कि हम भारतीय असाधारण महिलाओं और पुरुषों की उपलब्धियों,चुनौतिपूर्ण परिस्थितियों में उनके द्वारा प्रदर्शित उत्साह और साहस तथा महिलाओं के हित के लिए महिलाओं और संस्थाओं के उल्लेखनीय प्रयासों का सम्मान करके इस दिवस को मना रहे हैं। इसलिए नारी शक्ति पुरस्कार हमारे देश की महिलाओं के जीवन की परिस्थितियों को बदलने तथा सुधार करने के उनके प्रयासों के लिए इन महिलाओं और संस्थाओं के प्रति राष्ट्र के सम्मान के प्रतीक हैं।

पुरस्कारों का उद्देश्य महिलाओं, विशेषकर कमजोर और उपेक्षितों को उम्मीद और सहायता प्रदान करने तथा दूसरों को योगदान के लिए प्रेरित करना भी है। मेरे विचार से,कोई प्रयास चाहे वह बड़ा हो या छोटा एक समान मूल्यवान है। ये पहल हमारे मन में उत्साह और रुचि पैदा करती हैं जिसे मैं सबसे महत्वपूर्ण समझता हूं।

मैं इस राष्ट्रीय सम्मान के गौरवान्वित प्राप्तकर्ताओं को बधाई देता हूं तथा उनके योगदान के लिए धन्यवाद देता हूं।

मैं यह देखकर गर्व और खुशी से भर जाता हूं कि भारत की महिलाएं किस प्रकार जीवन के सभी क्षेत्रों में नेतृत्वपूर्ण भूमिकाओं और चुनौतिपूर्ण दायित्वों को ग्रहण करते हुए तेजी से अग्रसर हैं। परंतु मैं उतना ही दुखी और चिंतित हो जाता हूं कि वर्तमान में हमारे समाज का एक विपरित पहलू यदा-कदा अपना विकृत चेहरा दिखाता रहता है।

देवियो और सज्जनो,

हमें स्वयं को पूरी तरह याद रखना दिलाना और हम दिला सकते हैं कि हमारे समाज के प्रत्येक पुरुष या महिला सदस्य को सुरक्षा,शांति और गरिमा के साथ जीने का समान अधिकार है। यह असहनीय है कि आज इस युग में भी महिलाएं इसलिए क्रूर अत्याचार और हिंसा का शिकार हो रही हैं क्योंकि वे महिलाएं हैं। हिंसा अथवा हिंसा का भय प्रत्येक विशेषकर हमारी महिलाओं और बच्चों की स्वतंत्रता और विकास को बाधित करता है। परंतु इससे भी बुरी बात यह है कि जब महिलाओं की सुरक्षा,संरक्षा और समान अधिकारों की गारंटी की बजाए उनके प्रति ऐसे अमानवीय व्यवहार की अनुमति दी जाती है तो इससे हमारे समाज को क्षति होती है। आइए इस दिन हम सभी मिलकर सरकार,नागरिक समाज और जनता को हमारी माताओं और बहनों की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने से संबंधित विधिक,प्रशासनिक और अन्य उपाय करने की शपथ लें।

देवियो और सज्जनो,

मैं प्राय: सुनता हूं कि महिलाओं को कुछ करने का अवसर या अनुमति नहीं दी जाती है। मेरा कहना है,जो आपका अधिकार है उसे दूसरों के द्वारा देने की प्रतीक्षा आप क्यों करते हैं?

हमें महिलाओं को सशक्त बनाना चाहिए। हमारे लोगों की मानसिकता को विकसित करना होगा। उन्हें अनुभव करना चाहिए कि बिना किसी वर्जना या भय के महिलाओं के लिए अपने परिवार और कार्य स्थल पर अपनी मर्जी से कार्य करने की परिस्थितियां पैदा करना समाज के हित में है। लैंगिक समानता समावेशी आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति की प्रमुख प्रेरक है।

जैसा कि हमें ज्ञात है,संसाधनों तक महिलाओं की पहुंच और इन संसाधनों पर नियंत्रण पर और ज्यादा ध्यान तथा बालिकाओं और महिलाओं का स्वास्थ्य और पोषण बढ़ाने पर और अधिक बल आवश्यक है। महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार से परिवारों और समुदायों की उत्पादकता बढ़ती है और भावी पीढ़ी के लिए मानदंड नियत होते हैं।

सरकारी नीति के कुशल कार्यान्वयन के लिए सामुदायिक कार्यक्रम सर्वव्यापक सुगम्यता के सर्वोत्तम साधन साबित हुए हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि महिला और बाल विकास मंत्रालय ने ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम संयोजन और सुविधा सेवा कार्यक्रम की संकल्पना की है। मैं विश्वास व्यक्त करता हूं कि बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए कुपोषण,मातृत्व मृत्यु पर ध्यान देने तथा अंतर को समाप्त करने में सफल होगा।

हमारी जैसी विविध और बढ़ती आबादी में सही दृष्टिकोण का चुनाव और उसे अमल में लाना हमेशा से एक विशाल और चुनौतिपूर्ण कार्य रहा है। तथापि,सरकार निजी क्षेत्र तथा नागरिक समाज संगठनों के व्यापक नेटवर्क के साथ साझीदारी करके इसे बेहतर बना सकती है। राज्य और केंद्र शासित क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर कारगर सर्वोत्तम तरीके भारत सरकार की महिला विकास योजनाओं में अपनाए और बढ़ाए जाने चाहिए। एक प्रमुख और तात्कालिक प्राथमिकता महिलाओं के सर्वांगीण सशक्तीकरण के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण पैदा करना है। सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक सभी तत्वों के प्रभावी मिलन से यह कार्य आसान हो सकता है। मैं विवेकानंद के इन शब्दों को याद करता हूं, ‘एक राष्ट्र की प्रगति का सर्वोत्तम मापदंड महिलाओं के प्रति इसका व्यवहार है’,तथा ‘सभी राष्ट्रों ने महिलाओं को समुचित सम्मान देकर महानता अर्जित की है। जो देश और जो राष्ट्र महिलाओं का आदर नहीं करता वह कभी महान नहीं बना और न ही भविष्य में कभी बनेगा।

इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार पुन: नारी शक्ति पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं तथा इस समारोह के आयोजन के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय को बधाई देता हूं। मैं विशिष्ट पुरस्कार विजेताओं को उनके प्रयास और समर्पण के लिए धन्यवाद देता हूं और उनके भावी प्रयासों के सफल होने की कामना करता हूं।

धन्यवाद।


जयहिन्द।

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