अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान करते समय भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन : 08.03.2017
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1. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आपके बीच आने में मैं सचमुच बहुत खुश हूं। हम रोजमर्रा के जीवन में भारत में महिलाओं को मान्यता देते हैं, याद करते हैं और उनकी सराहना करते हैं। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को - पूरे विश्व की महिलाओं को उनकी निःस्वार्थ सेवा के लिए विश्व के साथ आभार प्रकट करते हैं।
2. मैं सभी महिलाओं का और भारत के संगठनों को बधाई देता हूं जिन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार, नारी शक्ति पुरस्कार प्राप्त किया है। उन्होंने चुनौतियों को स्वीकार करने में और उन उच्च आकांक्षाओं को पूरा करने में जिनका वे प्रतिनिधित्व करते हैं, में अपने को विशिष्ट बनाया है। प्रत्येक सफलता के पीछे भारी प्रतिबद्धता और दृढ़ता की गाथा छुपी हुई है। प्रत्येक उपलब्धि हजारों अन्य महिलाओं की गहन प्रयास का प्रतिनिधित्व करते हैं और इनका बराबर सम्मान किया जाना चाहिए।
3.महिलाओं के सशक्तीकरण पर बातचीत भारत के लोकतंत्र बनने से कहीं पहले आरंभ हो गई थी। हमारे संविधान और नीति निर्देशक सिद्धांतों में सरकार के नीति और योजना निर्माण के लिए स्पष्ट मार्गनिर्देश हैं। हमारी सफलताओं ने हमारे समाज को इसके अद्वितीय तरीके से विकास में सहायता की है। अब महिलाएं केवल कल्याणकारी लाभों के प्राप्तकर्ता के रूप में नहीं देखी जाती बल्कि वे समानाधिकार, समान भागीदारी की धारक और देश की सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रक्रिया में परिवर्तन की एजेंट हैं।
4.राजनैतिक क्षेत्र में महिलाओं ने महान कदम उठाए हैं जिससे विकास के लक्ष्य और राष्ट्र निर्माण के लिए सामाजिक और आर्थिक विषमताओं और निःस्वार्थ रूप से कार्य करके प्रभावी योगदान मिला है। स्थानीय स्वयं शासन के क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्रों में एक लाख महिलाओं से अधिक जो कि निर्धारित 33 प्रतिशत से परे है प्राधिकरण की स्थिति को प्रभावी रूप से संभाला है और अपनी जिम्मेदारियों को दक्षता से पूरा किया है और बेहतर परिणामों के साथ।
5.रक्षा सेवा, पुलिस और सुरक्षा बल, खेलों में अकादमी, अंतरिक्ष अनुसंधान और नवोन्वेष, परिवर्तनशील और शोषित के कारणों में बहुत सामूहिक स्वास्थ्य जैसे चुनौतिपूर्ण क्षेत्रों में महिलाओं की सेवाएं अच्छे टीम कार्य और सफलता के लिए अपरिहार्य हैं। यह बहुधा आसान नहीं है - हमें स्वीकार करना चाहिए कि उन्हें बारंबार निराधार पूर्वाग्रहों और भेदभाव में झोंका गया है फिर भी यह तथ्य कि वे इनपर विजय प्राप्त करती हैं और सम्मान और आदर को प्रेरित करती हैं वास्तव में सराहनीय है।
देवियो और सज्जनो,
6.अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर यह दोहराना महत्वपूर्ण है कि हमारे देश में प्रत्येक कन्या और महिला को आश्वासन दिया जाना चाहिए कि भारत सरकार उसे एक ऐसा अनुकूल वातावरण जुटाने के लिए प्रतिबद्ध है जो उसे समान अवसर देता है। उसमें आत्मविश्वास की भावना होनी चाहिए कि वो अपने चुने हुए किसी भी क्षेत्र में उच्चतम अभिलाषा को पूर्ण कर सकती है। प्रधानमंत्री की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान हमारे देश के अनेक भागों में गिरते चाइल्ड सेक्स रेशियो के प्रत्युत्तर में लॉंच किया गया है। इसे देश के प्रत्येक भाग में महिला बच्चों को प्राइमरी शिक्षा के लिए पंजीकृत करने हेतु प्रोत्साहन देने के लिए भी बनाया गया है। इस कार्यक्रम में चुनिंदा हस्तक्षेप भी हैं - भारत में 100 जिले 2015 में लक्षित किए गए थे और 2016 में 61 अतिरिक्त जिलों तक बढ़ा दिए गए थे।
7.सरकार महिलाओं के विरुद्ध हिंसात्मक अपराध की बढ़ती हुई दर को लेकर समान रूप से चिंतित है। यह है कि भारत में महिलाएं उतनी सुरक्षित और रक्षित महसूस नहीं करती जितना उन्हें करना चाहिए। लिंग भेद के लिए आधुनिक भारत में कोई स्थान नहीं है जहां समावेशी विकास एक प्रमुख उद्देश्य हो। स्कूलों और उच्च शिक्षा के संस्थानों में बच्चों और युवाओं का जल्दी संवेदनशील होने से महिलाओं को देय सम्मान मिलेगा। इसे हमारे ग्रामीण और शहरी आबादी में उपयुक्त उपायों के द्वारा और अभिकल्पित और सुसगम्य सरकारी कार्यक्रमों के द्वारा आरंभ किया जाना चाहिए।
देवियो और सज्जनो
8.इसमें कोई संदेह नहीं कि महिलाओं में बहुकौशल के लिए आश्चर्यजनक क्षमता है। अपने परिवारों और गृह से लेकर उनके व्यवसाय और कारोबार में खेतों और मैदानों और पेशे में, महिलाएं उस प्रतिबद्धता के लिए स्वयं को लगाने में किसी से कम नहीं हैं जो उनकी हृदय और आत्मा से निकलती हैं। मैं रविन्द्र नाथ टैगोर की महान कृति में एक टिप्पणी को याद करता हूं जो मैं साझा करना चाहूंगा ‘हम महिलाएं केवल गृहस्थ अग्नि की देवियां नहीं हैं बल्कि स्वयं आत्मा की ज्योति हैं।’ हमें महिलाओं को उनके देय सम्मान और देते समय और उनसे भेद करते समय इन शब्दों को ध्यान रखना चाहिए।
9.यह बहुत कठिन नहीं है क्योंकि ये मौलिक गुण हमारे महान विरासत का भाग हैं और हमारी चेतना में गहराई से जमे हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आइए हम सब इन मौलिक गुणों को बहाल करने, धारण करने और प्रचार करने के लिए अपने आप को पुर्नसमर्पित करते हैं।
10.इन शब्दों के साथ मैं एक बार फिर नारी शक्ति पुरस्कार की प्राप्तकर्ताओं को बधाई देता हूं और हमारे समाज में महिलाओं के चहुंमुखी विकास के लिए उनके निरंतर प्रयासों के लिए में उनकी सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
11.मैं इन पुरस्कारों को आरंभ करने के लिए श्री मेनका संजय गांधी की गतिशील नेतृत्व में महिला बाल विकास मंत्रालय के प्रति गहन आभार प्रकट करता हूं। निःसंदेह वे महिलाओं के और अधिक सशक्तीकरण और हमारे देश की प्रगति के लिए-छोटी और बड़ी- योगदान देने के लिए और अधिक व्यक्तियों संस्थानों और संगठनों को प्रेरित करेंगे।
धन्यवाद
जय हिंद।