‘अंतरराष्ट्रीय बिहार झारखंड सम्मेलनः साझे दृष्टिकोण पर साझा इतिहास’ के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण का सार

पटना : 24.03.2017

डाउनलोड : भाषण ‘अंतरराष्ट्रीय बिहार झारखंड सम्मेलनः साझे दृष्टिकोण पर साझा इतिहास’ के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण का सार(हिन्दी, 245.66 किलोबाइट)

speech1. बिहार और झारखंड के विकास की संभावना और वास्तविकता के बीच बृहत अंतर ने अनेक विद्वानों का ध्यान आकर्षित किया है जिसमें बिहार के पास अधिक मात्रा में उर्वर भूमि है और झारखंड के पास प्रचुर मात्रा में खनिज संसाधन मौजूद हैं। दोनों ने एक साथ बिहार और झारखंड में आर्थिक और सामाजिक लगभग सभी आयामों-उपनिवेशवादी विरासत,स्वतंत्रता के पश्चात् के समय में विकास प्रवृति,सामाजिक गतिशीलता, प्रवास संबंधी लंबी-चौड़ी घटना राजनीतिक गतिशीलता,जाति आधारित गतिशीलता, पारितंत्र और पर्यावरण के मामले,उपराष्ट्रीय पहचान संबंधी प्रश्न अथवा सामाजिक न्याय की मांग में खोज की है औरउन सभी ने बिहार और झारखंड को वह बनाने में योगदान दिया है जो वह आज हैं। ऐसे मौके पर बिहार और झारखंड जैसा कि हम जानते हैं दोनों ही चौराहे पर खड़े हैं और सब आश्चर्य में है कि वे अपनी जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए निकट भविष्य में किस राह पर चलेंगे और ये आकांक्षाएं अब पहले से बहुत अधिक हैं,क्षेत्र में हाल कीराजनीतिक गतिशीलता को धन्यवाद जिसने जनता के एक ऐसे नये वर्ग को सत्ता में ला खड़ा किया है जो राजनीतिक रूप से पूरी तरह से अब तक वंचित हैं।

2. तथापि इस इस समय हमें इतिहास का केवल एक महत्वपूर्ण पाठ याद रखने की आवश्यकता है अर्थात इतिहास का बोझ,चाहे कितना भी भारी हो उसे सही सामाजिक गतिशीलता और राजनीतिक पहल के साथ सचमुच हल्का किया जा सकता है। हमें यह भी एहसास करने की आवश्यकता है कि बिहार और झारखंड जैसे गंभीर रूप से वंचित क्षेत्रों के लिए एक विकास की रणनीति के लिए नीति निर्धारकों से अर्थव्यवस्था के उत्पादक परिणाम शुरू करने की आवश्यकता है,और ना कि अप्रश्नीय रूप से औद्योगिकीकरण के पथ का अनुसरण करने की,जैसा कि उन देश में अथवा क्षेत्रों द्वारा किया गया था,जो पहले विकसित हुए थे। अब इसमें प्रत्यक्ष अनुसंधान की आवश्यकता है जो उन उपयुक्त नीतियों की पहचान कर सके जो इस क्षेत्र के लिए सर्वोत्तम रूप से उपयुक्त हों और उनके हित में हों। विगत से एक उदाहरण के रूप में यह नोट किया जा सकता है कि विकास का एक नवान्वेषी पथ बनाते हुए बंग्लादेश जो कि बंगाल प्रेजीडेंसी का एक हिस्सा था,ने प्रभावशाली रूप से विकास की चुनौतियों को वास्तविक रूप से पूरा किया। बंग्लादेश के इस अनुभव ने बिहार,झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुछ पूर्वी भारतीय राज्यों के लिए बड़े महान पाठ प्रस्तुत किए।

3.और अधिक विशिष्ट रूप से बिहार और झारखंड जैसे क्षेत्रों में आर्थिक विकास वर्द्धन के लिए मानव विकास की गहन संभावना पर विचार किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय अनुभव दर्शाता है कि विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों के लिए मानव विकास, एक वैकल्पिक विकास रणनीति हो सकता है। इस रणनीति के अंतर्गत वंचित क्षेत्रों के लिए निम्न कौशल श्रम,गहन वस्तु और सेवाओं को अधिक कौशल-गहन वस्तु और सेवा प्रदाता के रूप में तुलनात्मक लाभ के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। इस वैकल्पिक विकास रणनीति की तार्किक आवश्यकता शिक्षा पर निवेश इस बात की परवाह न करते हुए प्राथमिकता देगी कि सामान्य परिस्थितियों में क्या होगा। यहां यह भी देखा जा सकता है कि शिक्षा का अर्थ केवल शिक्षित व्यक्तियों के लिए आर्थिक लाभ देना नहीं है। इसके अन्य कुछ और भी महत्वपूर्ण लाभ हैं- यह जनता को सशक्त करता है और विकास कार्यक्रम और राजनीतिक प्रक्रिया दोनों में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहन देता है।

4.विकास अनुसंधान के संदर्भ में मैं यहां यह भी उल्लेख करूंगा कि सभी वर्तमान विकास समस्याएं अपने आप को आसानी से टेक्नो मैटिरियल समाधान में नहीं डालते। बहुधा विकासशील देशों में जिन्होंने पिछली सदी के मध्य में स्वतंत्रता प्राप्त कर ली थी, राज्य की स्थापना को अत्यंत व्यापक माना गया है जिसमें गैर राज्य संस्थानों के लिए बहुत सीमित स्थान है। अंतरराष्ट्रीय विकास अनुभव दर्शाता है कि ऐसे गैर राज्यीय संस्थान की अनुपस्थिति में जिसे अकसर सीविल सोसाइटी संगठन भी कहा जाता है, राज्य द्वारा नेतृत्व की गई विकास प्रक्रिया की कुशलता बड़ी सीमित है। ऐसी भूमिका में सामाजिक विज्ञान अनुसंधान के लिए सचमुच यह एक महत्वपूर्ण एजेंडा है कि वह केवल यह अन्वेषण न करे कि किस प्रकार संस्थागत अंतर विगत वर्षों में उभरा है बल्कि साथ साथ ऐसे सामाजिक हस्तक्षेप का भी सुझाव दे जो इस अंतर को समाप्त कर सके।

5.हाल ही में विगत में दोनों राज्यों ने अच्छा कार्य करना आरंभ किया है विशेषकर बिहार ने अनेक सामाजिक विकास योजनाओं के कार्यान्वयन का रास्ता दिखाया है। पिछले एक दशक से बिहार अर्थव्यवस्था का विकास निष्पादन रहा है या प्रत्यक्ष रहा है जिसने 10.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की। यह उत्कृष्ट उपलब्धि है जबकि बिहार अब भी आधिक्य रूप से कृषि राज्य है,झारखंड धीरे-धीरे सेवा क्षेत्र के अधिकतर भाग में अर्थव्यवस्था में अपने आपको बदल रहा है। दोनों राज्यों में सरकारों ने राज्यों के सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बदलने में तेजी से अनेक कदम उठाए हैं। मैं इस क्षेत्र के लोगों को आगे बढ़ने के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

6.मैं यह जानकर बहुत प्रसन्न हूं कि एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आदरी) उन संस्थानों में से एक है जो पिछले25 वर्षों के दौरान सामाजिक विज्ञान अनुसंधान में सक्रिय रहे हैं। इस संस्थान के आगे बढ़ने का एक कारण है इसके अनुसंधान एजेंडा का उर्ध्वमुखी होना जो संस्थानों के समूह द्वारा तैयार किया गया विकास प्रयास का प्रत्यक्ष प्रसंग है। आदरी का यह भी लक्ष्य रहा है कि वह अपने अनुसंधान परिणामों को अधिक नववान्वेषी,हटे हुए रहस्यविहीन और उपयोगी रूप से प्रसारित करे और अनुसंधान परिणामों के उपयोगकर्ताओं के बीच अंतर को कम करे। आज मुझे बताया गया है कि आदरी केवल राज्य अथवा केंद्रीय सरकार को ही अनुसंधान सहायता नहीं पहुंचा रहा बल्कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों जिसे विश्व बैंक, युनिसैप,डीएफआईडी और कुछ अन्य को भी सहायता पहुंचा रहा है। मैं इस मौके पर शैक्षिक उपलब्धियों के लिए आदरी के सदस्यों को बधाई देता हूं। मैं यह भी उम्मीद करता हूं कि वे आने वाले वर्षों में अपने प्रयास बनाए रखेंगे और अपने शैक्षिक अनुसरणों में नई ऊचाइयां प्राप्त करेंगे और इसके साथ ही विभिन्न विकास एजेंसियों को अपन अनमोल अनुसंधान समर्थन देंगे।

7.अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन स्वर्गीय अरविंद नारायण दास को समर्पित है जो2000 में अपनी असामयिक मृत्यु से पहले पांच साल के लिए आदरी के अध्यक्ष थे। डॉ. दास उन चुनिंदा सामाजिक वैज्ञानिकों में से एक थे जिनके लेखों ने अनुशासनात्मक सीमाओं को पार किया। उनके अनुसंधान कार्य ने अर्थव्यवस्था,समाज विज्ञान, राजीनीति विज्ञान,सामाजिक इतिहास और उन सब विषयों को छुआ जो विकास से संबंधित हैं। लोगों को जागरूक बनाने के लिए उन्होंने पत्रकारिता में कार्य किया और सचमुच उस क्षेत्र में भी एक मेधावी छाप छोड़ी। उनकी पुस्तकों में दो उत्कृष्ट पुस्तकें रिपब्लिक ऑफ बिहार और चेंजः द बायोग्राफी ऑफ ए विलेज ने भी रेखांकित किया कि वे बिहार की जडों से किस प्रकार जुड़े हुए थे। मैंने डॉ. अरविंद नारायण दास को जो कि एक महान विद्वान थे,और एक महान आत्मा थे, को श्रद्धांजलि देने के लिए आदरी के सदस्यों का साथ दिया।

8.अंत में मैं चाहता हूं कि एशियन डेवलेपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट को अपनी यात्रा में सर्वकीर्ति और सफलता प्राप्त हो और वह क्षेत्र के विकासात्मक नीति अनुसंधान में एक अनिवार्य स्रोत का कार्य करे। मैं आप सभी को एक बहुत ही सफल और लाभदायी भविष्य के लिए कामना करता हूं।

धन्यवाद 
जय हिंद।

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