आजीविका सुरक्षा संबंधी एसोचैम शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति का अभिभाषण

विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 03.11.2014

डाउनलोड : भाषण आजीविका सुरक्षा संबंधी एसोचैम शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति का अभिभाषण(हिन्दी, 434.7 किलोबाइट)

1. मुझे आज ‘आजीविका सुरक्षा : 1.3बिलियन भारतीयों के लिए परिकल्पना को साकार करना’ विषय पर शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करने तथा कुछ समय पूर्व इस विषय पर प्रतिवेदन की प्रथम प्रति प्राप्त करने के लिए यहां उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। आरंभ में मैं हमारे समाज को व्यापक दायरे को छूने वाले इस मुद्दे पर इस सम्मेलन के आयोजन के लिए देश के एक अग्रणी उद्योग संघ एसोचैम की सराहना करता हूं।

2. समाज के निचले सामाजिक-आर्थिक पायदान पर मौजूद लोगों को आजीविका सुरक्षा प्रदान करने की अत्यधिक जरूरत है। इसके साथ ही,युवा भारतीयों की महत्वाकांक्षी पीढ़ी के सपनों को साकार करने के प्रति भी हमारा अनिवार्य दायित्व है। भारत के पास विश्व का2.4प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र तथा इसकी जनसंख्या का 17 प्रतिशत हिस्सा होने के चलते यह एक भारी चुनौती है। मुझे उम्मीद है कि इस सम्मेलन में आजीविका सुरक्षा संबंधी मुद्दों का ईमानदार मूल्यांकन होगा तथा ऐसे समाधान ढूंढ़े जाएंगे जो नीति-निर्माताओं का मार्गदर्शन करेंगे।

देवियो और सज्जनो,

3. आजीविका सम्मानपूर्वक मानवीय अस्तित्व के लिए एक मौलिक जरूरत है। इस महत्त्वपूर्ण जरूरत के बिना लोग जीवन की सामान्य आवश्यकताओं को प्राप्त करने से वंचित रहते हैं। स्थायी आजीविकाहीन व्यक्ति को भोजन,आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। इसलिए सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र की कोई भी नीति चाहे वह ऐसे उद्देश्य को सीधे तौर पर समर्थन दे या न दे,के मूल में आजीविका का प्रावधान शामिल रहता है।

4. आजीविका अवसरों में कमी अभाव के अनेक रूपों और सबसे प्रमुख गरीबी के रूप में प्रकट होती है। भारत में,छह दशक पहले से विद्यमान 60 प्रतिशत से ज्यादा गरीबी के रूप की उच्च दर अब घटकर30 प्रतिशत से कम हो गई है। 2009-10से2011-12 की अवधि के दौरान लगभग 85 मिलियन लोग गरीबी से ऊपर उठे। इसके बावजूद, 2011-12में लगभग 270 मिलियन लोगों की भारी संख्या गरीबी रेखा से नीचे है। हमारा लक्ष्य अब गरीबी उपशमन नहीं गरीबी निर्मूलन है। गरीब को पहला हकदार बनाना होगा और इस प्रकार विकास गतिविधि का प्रमुख बिंदु बनाना होगा। गरीबी के अभिशाप को मिटाने के लिए, रोजगार पैदा करना सबसे सशक्त साधन है। रोजगार पैदा करने की नीतियों और कार्यक्रमों को इस कमजोर वर्ग की विशिष्ट आश्यकताओं पर ध्यान देना होगा।2005 में, हमने रोजगार के अधिकार को एक कानूनी हक बना दिया जिससे हमें गरीबी के विरुद्ध लड़ने की शक्ति हासिल हुई।

5. भारत में गरीबों का लगभग चार बटे पांचवां बड़ा हिस्सा,ग्रामीण इलाकों में रहता है। इसलिए ग्रामीण जनसंख्या के लिए आजीवका सुरक्षा को तेज गति प्रदान करनी होगी। भारत की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का भी एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। गरीबी समाप्ति,खाद्य पर्याप्तता, पोषण सुरक्षा, ग्रामीण रोजगार का विस्तार तथा उच्च ग्रामीण आय जैसे अनेक उद्देश्यों को हासिल करने के लिए एक सुदृढ़ कृषि प्रणाली अपरिहार्य है।

6. अत्यधिक बड़ी संख्या में ग्रामीण परिवारों की जीविका सुरक्षा कृषि पर आधारित है। लाखों किसान छोटे और सीमांत जोत पर खेती कर रहे हैं। हमारा जोर आजीविका कृषि को एक व्यवहार्य और लाभकारी पेशे में बदलने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों,मशीनों और औजारों के नवान्वेषण पर होना चाहिए। हमारी चुनौती अंतिम खेत तक पहुंचना और उन्हें सर्वोत्तम कृषि तरीकों से लैस करना है। हमारा प्रयास किसान की आय बढ़ाने के लिए कम कृषि उत्पादकता को बढ़ाने की दिशा में होना चाहिए।

देवियो और सज्जनो,

7. विशाल ग्रामीण जनसंख्या रोजगार के लिए कृषि क्षेत्र पर दबाव डालती है। इससे कृषि में कम रोजगार तथा प्रछन्न बेरोजगारी,ऐसी स्थिति जिसमें आवश्यकता से अधिक लोग कार्यरत हैं, पैदा होती है। कृषि क्षेत्र से दबाव हटाने के लिए,प्राथमिक से द्वितीयक कृषि पर दबाव में बदलाव के जरिए गैर कृषि क्षेत्र में और अधिक रोजगार पैदा करने की जरूरत है। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र,कृषि के साथ उद्योग को जोड़ते हुए तथा ग्रामीण इलाकों और छोटे उपनगरों में रोजगार पैदा करते हुए एक उम्मीद पैदा कर रहा है। इस उदीयमान क्षेत्र के विकास के लिए शीतन शृंखला,हैंडलिंग, पैकेजिंग और परिवहन जैसी बुनियादी जरूरतों में अधिक से अधिक निवेश की आवश्यकता है।

8. सरकार ने हाल ही में निर्धन और पिछड़ों के हित के लिए प्रयास शुरू किए हैं।‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के अंतर्गत उन्नत मूलभूत आवश्यकताएं प्रदान करने तथा अधिकार और हकदारी तक अधिक पहुंच के लिए गांवों को गोद लिया जाएगा। उन्हें दूसरों के अनुकरण के लिए आदर्श गांवों में तब्दील किया जाएगा।‘डिजीटल इंडिया’ कार्यक्रम में हमारे देश को डिजीटल रूप से सशक्त समाज तथा ज्ञान संपन्न अर्थव्यवस्था बनाने के लिए ई-अवसंरचना की व्यापक उलपब्धता का प्रस्ताव है। इसी प्रकार,वित्तीय समावेशन कार्यक्रम में सभी निवासियों को बैंकिंग सुविधाओं को शामिल किया जाएगा तथा सभी परिवारों को बैंक खाता,रुपे कार्ड, वित्तीय साक्षरता, सूक्ष्म बीमा तथा असंगठित क्षेत्र पेंशन मुहैया करवाई जाएगी। मुझे विश्वास है कि इन संकल्पूर्ण प्रयासों से अधिक आजीविका अवसर सहित भरपूर सामाजिक-आर्थिक लाभ पैदा होंगे।

9. भारत की जनसांख्यिकीय बढ़त से हम अगले दशक में विश्व के सबसे बड़े कार्यबल के आपूर्तिकर्ता बन जाएंगे।2021 तक कामकाजी जनसंख्या के अनुपात के 64 प्रतिशत होने की उम्मीद है। हमारे यहां दुनिया की विशालतम युवा आबादी है। 2020तक एक भारतीय की औसत आयु 29 वर्ष होगी जो किसी भी अमरीकी या चीनवासी से8 वर्ष कम होगी। हमें न केवल अपनी निरंतर बढ़ रही जनशक्ति के लिए लाभकारी रोजगार ढूंढ़ना होगा बल्कि हमें इस भावी जनसांख्यिकी का फायदा उठाने के लिए उन्हें क्षमता और विशेषज्ञता प्रदान करनी होगी। विश्व की सर्वोत्तम कुशल कार्यशील जनसंख्या अद्वितीय लाभ अर्जित कर सकती है।

10. एक बहुमॉडल नजरिया अपनाया जाना आवश्यक है। विनिर्माण क्षेत्र को ऊर्जावान बनाना होगा क्योंकि विशाल रोजगार उत्पादक के रूप में इस क्षेत्र में अपार संभावना है। मुझे बेहद उम्मीद है कि भारत में निर्माण के निवेशक सहायक पहल से हमारा देश न केवल कम लागत बल्कि उच्च गुणवत्तापूर्ण उत्पादों का विनिर्माण केंद्र बनेगा। रोजगार सृजन तथा क्षमता विकास को एक दूसरे का पूरक बनाना है। राष्ट्रीय कौशल विकास नीति परिकल्पना अनुसार2022 तक500 मिलियन व्यक्तियों का विशाल पैमाने पर कौशल विकास जरूरी है। आवश्यक मापदंड बनाए रखना तथा निर्धारित संख्या में कुशल कर्मी मुहैया करवाने का दायित्व राष्ट्रीय कौशल विकास निगम तथा अन्य एजेंसियों का है। नए कौशल हासिल करने या मौजूदा कौशल के उन्नयन के लिए युवाओं में दिलचस्पी पैदा करने हेतु आर्थिक प्रोत्साहन की जरूरत है।

देवियो और सज्जनो,

11. अधिक रोजगार के कारण नए कृषि रोजगारों पर रोक तथा ग्रामीण इलाकों में अतिशय ग्रामीण कार्यबल को खपाने करने में गैर कृषि क्षेत्र की बढ़ती अक्षमता से शहरी इलाकों में जनशक्ति की बाढ़ सी आ गई है। शहरी क्षेत्र में रोजगार सृजन कौशल अंतर और शहरी गरीबी के सम्बन्ध में एक भीषण चुनौती पेश कर रहा है। शहरी गरीबों को बाह्य वातावरण का मुकाबला करने तथा संसाधन प्राप्त करने में समर्थ बनाने के लिए,वित्तीय सहकारी ढांचों को प्रोत्साहित करना होगा। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन सतत आजीविका पैदा करने के लिए गरीबों की क्षमताओं का उपयोग करने में अहम भूमिका निभा रहा है।

12. सामाजिक सुरक्षा प्रदान किए बिना आजीविका सुरक्षा अधूरी है। भारत की85 प्रतिशत से ज्यादा कामकाजी आबादी या अनुमानत: 400 मिलियन लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। आजीविका सुरक्षा पर उल्लेखनीय प्रभाव के लिए असंगठित क्षेत्र पेंशन से संबंधित स्वावलंबन जैसी योजनाओं में असंगठित क्षेत्र को पूरी तरह शामिल करना होगा।

13. भारतीय जनता की आजीविका सुरक्षा में बड़ा बदलाव लाने के लिए चुनौतियां बहुत हैं और समय कम है। तथापि,मेरा विश्वास है कि सरकार, उद्योग, गैरसरकारी एजेंसियां तथा संपूर्ण समाज—सभी भागीदारों के मिले-जुले प्रयासों से हम अपने देशवासियों के सामने बहुत से आजीविका विकल्प प्रस्तुत करने में सफल होंगे। उद्योग भी कंपनी अधिनियम2013 में निहित कारपोरेट सामाजिक दायित्व के तहत आय के विकल्पों और क्षमता निर्माण के लिए तंत्र स्थापित कर सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि इस शिखर सम्मेलन में विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा होगी तथा सही नजरिए से सिफारिशें की जाएंगी। मैं एक बार फिर इस समारोह के आयोजन के लिए एसोचैम की सराहना करता हूं। अंत में मैं महात्मा गांधी के इन शब्दों से अपनी बात समाप्त करता हूं, ‘‘प्रसन्नता उस पर निर्भर है जो आप दे सकते हैं;न कि जो आप ले सकते हैं।’’

धन्यवाद, 
जय हिंद!

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