33वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
नई दिल्ली : 14.11.2013
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भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन के इस प्रमुख समारोह, भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले, जिसका आज 33वां संस्करण आज आरंभ हो रहा है, के उद्घाटन समारोह के सुखद अवसर पर आपके बीच उपस्थित होना मेरे लिए वास्तव में प्रसन्नता की बात है।
2. भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले की किस्म और आकार के व्यापार मेले बहुत कम हैं। भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला, अपने तीन दशक की यात्रा के दौरान राष्ट्रों को आपस में मिलाने तथा भागीदार देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय व्यापार सम्बन्धों को और सुदृढ़ बनाने का एक सफल मंच बन गया है।
3. व्यापार मेला, भारतीय उद्यमशीलता का प्रतिबिम्ब और हमारी अर्थव्यवस्था की आधारशिला, लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों द्वारा की गई प्रगति, का दर्पण है जो संभवत: भारत के आर्थिक विकास और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के बीच सबसे महत्त्वपूर्ण कड़ी हैं। हमारी मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्यम इकाइयां तभी फल-फूल सकती हैं जब उनके उत्पादों के लिए बाजार के विस्तार के लिए एकजुट प्रयास किए जाएं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला इस महत्त्वपूर्ण क्षेत्र की आवश्यकता को पूरा करने में निरंतर मदद कर रहा है, और इस तरह यह राष्ट्र के समतामूलक और समावेशी विकास के परम लक्ष्य पूरा करने में योगदान कर रहा है।
4. यह भी उपयुक्त ही है कि व्यापार मेला सदैव भारत के प्रथम प्रधानमंत्री और आधुनिक भारत के निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्म-दिवस पर आरंभ होता है, जिनकी संकल्पना भारत को औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था से बदलकर इसे एक आधुनिक जीवंत अर्थव्यवस्था बनाना था। प्रमुख रूप से कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और अत्यधिक जनसंख्या वाला देश भारी उद्योग, संचार, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष अनुसंधान, इलेक्ट्रॉनिकी आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा सकता है, इस तथ्य को अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा वैश्विक रूप से स्वीकार किया गया है।
5. यह व्यापार मेला भारत की आर्थिक उपलब्धियों और मूलभूत विशेषताओं के एक अहम आयाम का प्रतिनिधित्व करता है। क्रय शक्ति समानता के मामले में भारत विश्व की तीसरी सबसे विशाल अर्थव्यवस्था है। विश्व आर्थिक संकट के संदर्भ में, विशेषकर पिछले दशक के दौरान, हमारे देश द्वारा प्राप्त अच्छी विकास दर से भारतीय अर्थव्यवस्था की सहनशक्ति परिलक्षित होती है। विश्व के साथ देश का वित्तीय एकीकरण उतना ही तेजी से हुआ है जितना इसके व्यापार का वैश्वीकरण। निर्यात की हमारे देश के आर्थिक विकास में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका है और इसमें हमारे देश के सामाजिक-आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने की क्षमता है। रोजगार में इस क्षेत्र के योगदान का, समतापूर्ण और समावेशी विकास की हमारी संकल्पना में अत्यंत महत्त्व है। आज, भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चावल निर्यातक और दूसरा सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक है। भारत के निर्यात ने लगातार चौथी बार अक्तूबर, 2013 में 13.5 प्रतिशत की दोहरे अंक में विकास दर दर्ज की है जो पिछले दो वर्षों के दौरान उच्चतम् है।
6. तथापि, बढ़े हुए व्यापार उदारीकरण और आर्थिक विकास का तब तक कोई महत्त्व नहीं है जब तक हमारे लोगों को इनका पूरा फायदा न मिले। इसलिए रोजगार वृद्धि और क्षेत्रीय विकास जैसे लक्ष्यों को पूरा करने पर जोर दिया जाना चाहिए। विगत दशक के दौरान हमारे लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में विकासात्मक नजरिए में बड़ा बदलाव आया है। नरेगा, शिक्षा का अधिकार और खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसी विधिक गारंटी द्वारा समर्थित हकदारी के माध्यम से लोगों के सशक्तीकरण ने देश के समावेशी विकास की प्रक्रिया को तेज किया है।
7. किसी भी आर्थिक विकास की कुछ सामाजिक जटिलताएं होती हैं। तीव्र वैश्विक बदलावों के साथ चलने के लिए, हमें अपने कार्यबल के कौशल को लगातार निखारना होगा। हमारे आर्थिक विकास की प्रक्रिया में कौशल निर्माण और व्यावसायिक प्रशिक्षण शामिल करने की जरूरत है। समावेशिता की संकल्पना केवल निर्धनता मिटाना नहीं बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए अवसरों की समानता तथा आर्थिक और सामाजिक प्रगति है। यह परिणाम तभी सुनिश्चित हो सकता है जब इस हद तक सशक्तीकरण हो कि उससे एक लोकतांत्रिक राजव्यवस्था के लिए अत्यावश्यक, भागीदारी का सच्चा अहसास पैदा हो। पिछड़े और वंचित वर्गों का सशक्तीकरण समावेशी विकास का एक प्रमुख हिस्सा है। इस संकल्पना में पर्यावरणीय रूप से सतत् विकास प्रक्रिया को अमल में लाने की पूरी प्रतिबद्धता भी शामिल होनी चाहिए।
8. भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में रोजगार के अवसरों के सृजन, प्रौद्योगिकी में उन्नति तथा वैश्विक संचार बाधाओं से बचाव के क्षेत्र में योगदान देने में भारी क्षमताओं से सम्पन्न सेवा क्षेत्र में उपलब्धिं के प्रदर्शन के साथ-साथ समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास के विभिन्न पहलुओं को प्रमुखता दी गई है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला-2013 ने देश के सभी भागों के सैकड़ों उद्यमियों को मेले में अपने उत्पाद प्रदर्शित करने के लिए इकट्ठा किया है। ज्ञात हुआ है कि भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला 2013 में, 31 राज्यों और संघशासित क्षेत्रों सहित बिहार ‘साझीदार राज्य’ तथा ओडिशा ‘प्रमुख राज्य’ के तौर पर भाग ले रहे हैं। भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले द्वारा घरेलू उद्यमों को प्रदान किए गए अवसर अत्यंत सराहनीय है। मुझे विश्वास है कि सूचना प्रौद्योगिकी तथा मोबाइल प्रयोग और कार्यक्रमों के लाइव वेबकास्ट जैसी दूरसंचार पहलें दर्शकों और प्रदर्शकों दोनों के लिए बहुत उपयोगी रहेंगी। मैं इन प्रयासों के लिए आयोजकों की सराहना करता हूं।
9. यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला 2013 की एक प्रमुख नई विशेषता ‘नवान्वेषण पेवेलियन’ है जिसमें विद्यार्थियों तथा उद्यमियों द्वारा विकसित कुछ नवान्वेषी विचारों को प्रदर्शित किया गया है। नवान्वेषण को पहले से भविष्य की मुद्रा की मान्यता मिल चुकी है तथा यह विकास का एक अहम उत्प्रेरक है। नवान्वेषण की प्रक्रिया ज्ञान को सामाजिक हित और आर्थिक सम्पत्ति में बदल देती है। नवान्वेषण के इस दशक में हमें यह सुनिश्चित करने के लिए मिलजुलकर प्रयास करने होंगे कि जमीनी नवान्वेषकों के सभी संभावनापूर्ण विचारों को समग्र राष्ट्रीय हित में प्रोत्साहित किया जाए। हमें अपने समाज की रचनात्मक क्षमता पर और अधिक ध्यान देना होगा और वाणिज्यिक और सामाजिक विस्तार के लिए जमीनी नवान्वेषणों के मूल्य संवर्धन का प्रयास करना चाहिए।
10. भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला संगठित और समृद्ध विश्व के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर कार्य करने के उद्देश्य को हासिल करने का महत्त्वपूर्ण माध्यम बन गया है। मैं, भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के सभी भागीदार देशों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई देता हूं और यह उम्मीद करता हूं कि हमारे प्रयासों से कई क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त होंगे। मैं जानता हूं कि मेले में इस वर्ष 25 देश मेले में भाग ले रहे हैं जिसमें दक्षिण अफ्रीका को ‘प्रमुख देश’ का दर्जा दिया गया है। दक्षिण अफ्रीका, अफ्रीकी महाद्वीप में भारत का दूसरा सबसे विशाल साझीदार है। भारत-दक्षिण अफ्रीका द्विपक्षीय व्यापार पिछले चार वर्षों के दौरान लगभग दोगुना हो गया है। मुझे उम्मीद है कि भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच निरंतर बढ़ता व्यापार सम्बन्ध आने वाले वर्षों में और मजबूत होता जाएगा। यह भी ज्ञात हुआ है कि इस वर्ष जापान को, जो पहली बार भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में भाग ले रहा है, ‘साझीदार देश’ का दर्जा दिया गया है। 2011 में जापान के साथ व्यापक आर्थिक साझीदारी समझौते पर हस्ताक्षर से भारत और जापान के साथ पहले से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध को गति मिली है। हम जापान के साथ अपने व्यापार सम्बन्धों को महत्त्वपूर्ण मानते हैं तथा वर्तमान में अपने स्थायी व्यापार और आर्थिक साझीदारियों को सुदृढ़ बनाने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों में अनेक प्रयास कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि विदेश या घरेलू स्तर पर भागीदारी से कम्पनियां कारोबार के वाणिज्यिक फायदों से ऊपर उठाते हुए समग्र रूप से लोगों के जीवन के अंतरतम् तक पहुंचने के लिए प्रयास करेगी।
11. इस अवसर पर, इस विशाल मेले के आयोजन के लिए मैं वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय तथा भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन को बधाई देता हूं। मुझे विश्वास है कि व्यापारी और सामान्य दर्शकों को यह व्यापार मेला आकर्षक और उपयोगी लगेगा। मैं, इस व्यापार मेले के सभी भागीदारों और दर्शकों को अपनी बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
12. इन्हीं शब्दों के साथ, मैं 33वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के शुभारंभ की घोषणा करता हूं।
धन्यवाद,
जयहिंद!