11वीं मैट्रोपोलिस वर्ल्ड कांग्रेस - 2014 के समापन समारोह में भारत के राष्ट्रपति का अभिभाषण
हैदराबाद, तेलंगाना : 09.10.2014
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मैं तेलंगाना सरकार द्वारा हैदराबाद में आयोजित किए जा रहे 11वीं मैट्रोपोलिस वर्ल्ड कांग्रेस 2014के समापन समारोह में भाग लेकर सम्मान का अनुभव कर रहा हूं। मैं समझता हूं कि यह नवगठित राज्य का प्रथम प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है। मैट्रोपोलिस वर्ल्ड कांग्रेस की बैठक तीन वर्ष में एक बार होती है और इसमें 136महानगरों के सर्वोत्तम शहरी प्रमुख प्रशासक,नगर प्रबंधक,पेशेवर, संगठन तथा नागरिक प्रतिनिधि अपने शहरों के वर्तमान मुद्दों पर विचार-विमर्श करने तथा जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए इकट्ठा होते हैं। पहली बार इस कांग्रेस को भारत में आयोजित किया जा रहा है तथा100से अधिक भारतीय शहरों के प्रतिनिधि भी आज यहां उपस्थित हैं।
मुझे विश्वास है कि विगत तीन दिनों की बौद्धिक परिचर्चा फलदायक रही तथा इससे इस कांग्रेस के विषय‘सभी के लिए शहरों’को निर्मित करने के परम लक्ष्य के साथ शहरी नियोजन और प्रशासन की नई अंतर्दृष्टि प्राप्त होगी। मैं इस समारोह के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए तेलंगाना सरकार और मैट्रोपोलिस को बधाई देता हूं।
मित्रो,
शहरीकरण पूरी दुनिया पर छाता जा रहा है। यह कहा जाता है कि 19वीं शताब्दी साम्राज्यों की शताब्दी थी; 20वीं शताब्दी देशों की शताब्दी थी और21वीं शताब्दी शहरों की शताब्दी होगी। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, 2008के दौरान मानव अपने इतिहास में पहली बार प्रमुखत: एक शहरी प्रजाति बन गया। जनसांख्यिकीविदों का अनुमान है कि शहरी जनसंख्या का तिहाई हिस्सा (75प्रतिशत) हिस्सा2050 तक शहरी हो सकता है और ज्यादातर वृद्धि एशिया और अफ्रीका के तेजी से विकसित हो रहे शहरों में होगी।
भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार,देश की आबादी का31 प्रतिशत अर्थात् लगभग 377 मिलियन भारतीय शहरी इलाकों में रहते हैं। चीन की45 प्रतिशत, इंडोनेशिया की 54प्रतिशत,मैक्सिको की78 प्रतिशत तथा ब्राजील की 87 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में रहती है। शहरी जनसंख्या ने2.76प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की गई है तथा 2011 की जनगणना में बताया गया कि दस लाख से अधिक की जनसंख्या वाले शहर35 से बढ़कर 52हो गए। शहरी इलाके अब ‘आर्थिक विकास के उत्प्रेरक’माने जाते हैं तथा भारत का लगभग60 प्रतिशत से अधिक सकल घरेलू उत्पाद शहरी क्षेत्रों से आता है।100सबसे बड़े शहर 16 प्रतिशत आबादी तथा मात्र0.24प्रतिशत भू-क्षेत्र के साथ लगभग43 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद पैदा करते हैं। वैश्विक रूप से यह भी माना जाता है कि ग्रामीण-शहरी विभाजन की बजाय ग्रामीण-शहरी अनुपूरकता आज की जरूरत है। भारत में भी यह महसूस किया जाता है कि योजनाबद्ध शहरीकरण भारत की विकास संभावनाएं खोलने की कुंजी है।
ऐसे समय में जबकि पचास प्रतिशत से अधिक दुनिया शहरी इलाकों में निवास करती है,यह जरूरी हो जाता है कि प्रशासक स्वच्छता,प्रदूषण,आवागमन, शहरी सुविधाओं और जन सुरक्षा के क्षेत्र में लगातार उभरती चुनौतियों के समाधान पर नवान्वेषी ढंग से कार्य करें। विकासशील दुनिया के ज्यादातर शहर स्थानीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर,शहरीकरण तथा बुनियादी ढांचे तथा सुविधाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करने की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार नहीं हैं। वर्तमान आवश्यकताओं तथा अपनी भावी चुनौतियों को पूरा करने के लिए शहरी प्रशासन और स्थानीय-वित्त को सशक्त करने की जरूरत है। ये चुनौतियां न केवल जलवायु परिवर्तन तथा ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन,के लिए हैं बल्कि सभी निवासियों को बुनियादी सेवाएं उपलब्ध करवाने,जल आपूर्ति और परिवहन के नेटवर्क के निर्माण,अपशिष्ट के एकत्रण,भूमि और ऊर्जा तक समान पहुंच की व्यवस्था,हरित भवनों का निर्माण,जन परिवहन प्रणालियों आदि के विस्तार के लिए भी हैं। इसके अलावा,हमारे शहरों को और कम वित्तीय संसाधनों से काम चलाना पड़ रहा है।
आज शहरी भारत बुनियादी सुविधाओं तथा अवसंरचना की उपलब्धता के मामले में पिछड़ा हुआ है। लगभग9प्रतिशत शहरी भारत के पास स्वच्छ पेयजल तथा 12.6 प्रतिशत के पास शौचालय सुविधाएं नहीं हैं।
स्वच्छता किसी भी शहरी प्रशासक की प्रथम चुनौती है। एक स्वच्छ शहर समानता का प्रथम और सबसे जरूरी मापदंड है। एक स्वच्छ परिवेश प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। शहरी प्रशासकों को स्वच्छता को एक अनिवार्य आवश्यकता मानना चाहिए। उन्हें आमूल-चूल बदलाव लाते हुए अपशिष्ट के स्थान पर अपशिष्ट संसाधन को अपनाना चाहिए। कूड़े को एक संसाधन के रूप में देखा जाना चाहिए। जो शहर अपने कूड़े को केवल फेंकता है,और उसका संसाधन नहीं करता है,वह स्मार्ट शहर नहीं होता है। मुझे यह जानकर खुशी है कि हैदराबाद शहर ने इस दिशा में सही कदम उठाया है।
जैसा कि आप में से बहुत से लोग जानते होंगे,भारत सरकार ने‘स्वच्छ भारत अभियान’नामक एक वृहत् अभियान आरंभ किया है। इस पंचवर्षीय स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य सभी को स्वच्छता सुविधाएं मुहैया करवाना तथा हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की150वीं वर्षगांठ के अवसर पर2019 तक 4041 चुनिंदा नगरों में एक स्वच्छ शहरी भारत का निर्माण करना है।
आज प्रदूषण शहरों की एक अन्य बड़ी चुनौती है। प्रदूषक तत्वों को कम करने पर नहीं बल्कि उसकी रोकथाम पर जोर दिया जाना चाहिए। स्वच्छ स्थलों और हरित क्षेत्र निर्मित करने के अलावा,हमें लोगों को ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हरित भवनों और हरित क्षेत्रों को शहरी नियोजन का एक अभिन्न और आवश्यक हिस्सा बनाना होगा तथा नागरिकों को तदनुसार अपने नई रिहायश की योजना बनाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। जब तक हम नीति-निर्माण तथा नियोजन स्तर पर ही हरियाली और संरक्षण को शामिल नहीं करेंगे तब तक हरियाली की कमी बहुत अधिक होगी और उसे पूरा करना असंभव होगा।
शहरों में लगातार बढ़ रही आबादी के कारण,व्यापक यातायात प्रबंधन की आवश्यकता इन्कार नहीं किया जा सकता। कुशल और वहनीय शहरी आवागमन समाधान एक स्मार्ट शहर के आवश्यक अंग हैं। परंपरागत रूप से,भारत में नगरपालिकाएं शहरी परिवहन को अपना प्रमुख कामकाज नहीं मानती हैं; परंतु अब यह महसूस किया जा रहा है कि एक शहर को यह सोचना और प्रयास करना होगा कि उसके लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक कैसे जाएंगे। आवागमन और परिवहन नियंत्रण का नहीं बल्कि विकास का मुद्दा है। शहरों को अपनी आबादी की अपनी पहली पसंद के रूप में, जन प्रणालियों का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हैदराबाद मैट्रो भारत में उपलब्ध जन परिवहन के सर्वोत्तम मॉडलों में से एक है। मुझे उम्मीद है कि यह विश्वव्यापी प्रयासों के सम्मुख एक उदाहरण होगी।
शहरी प्रशासकों को हमारी जनता को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए। चूंकि शहर विकास के उत्प्रेरक हैं और समय मूल्यवान है,इसलिए लोगों को बुनियादी सुविधाएं प्राप्त करने में उपयोगी समय बेकार नहीं करना चाहिए। सरकार की ओर से जनता को मिलने वाली सेवाएं न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ ऑनलाइन उपलब्ध होनी चाहिए। विगत दशक के दौरान,भारत ने इस दिशा में अनेक नए कदम उठाए हैं। लोग अपनी सेवाएं प्राप्त करने के लिए निरंतर इंटरनेट पर निर्भर होते जा रहे हैं,इसलिए समूचे शहरों को वाई-फाई युक्त करने की जरूरत होगी।
शहरों में प्रवास बढ़ने के साथ-साथ,सभी के लिए आवास एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। शहरी प्रशासकों के लिए यह जरूरी है कि वे ऐसी सतत आवास नीतियां बनाएं जिनसे नई झुग्गी झोपड़ियां पनपने से रूक सकें। निजी साझीदारी को ऐसी नीतियों का एक अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए। सैटेलाइट टाउनशिप का निर्माण इस मुद्दे के समाधान का एक अन्य तरीका है। अनेक राज्य सरकारों ने गरीबों के लिए आवास निर्माण में नवान्वेषी दृष्टिकोण अपनाएं हैं तथा इसके लिए एक दूसरे से सीखने की आवश्यकता है।
सुरक्षा विश्वभर में शहरी सरकारों के लिए एक प्रमुख चिंता तथा स्मार्ट शहर की अनिवार्यता है। जैसे-जैसे शहरी आबादी बढ़ रही है,जन-सुरक्षा एक प्रमुख चिंता बनती जा रही है। शहरी प्रशासकों को अधिकतम जन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नई प्रौद्योगिकी का फायदा उठाना चाहिए। एक शहर उतना ही सुरक्षित होगा जितना लोग चाहेंगे। कानून और व्यवस्था के प्रभावी प्रशासन के लिए जन-सहयोग और सहभागिता आवश्यक है।
मित्रो,
शहरीकरण की तेज गति के साथ अवसंरचना और सेवाओं के निर्माण में राज्यों की मदद करने के लिए भारत सरकार का एक शहरी विकास मिशन आरंभ करने का प्रस्ताव है। इन गतिविधियों की शुरूआत हेतु देश के500शहरों के लिए एक मिशन मोड कार्यक्रम का खाका तैयार किया जा रहा है। सार्वजनिक-निजी साझीदारी पद्धति को प्रोत्साहित करना होगा। सरकार का ध्यान हमारे निर्वाचित तथा शहरी क्षेत्र में सेवारत अधिकारियों के क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को सहयोग देने पर भी होना चाहिए।
सरकार की एक अन्य पहल 100 स्मार्ट शहर विकसित करना है। स्मार्ट शहर दृष्टिकोण में शहरी नियोजन,प्रशासन परिस्थितिकी,पर्यावरण,अवसरंचना तथा यह सुनिश्चित करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी शामिल होगी कि प्रौद्योगिकी के लाभ आसपास के हर एक इलाके तक पहुंचे तथा नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार आए।
भारत सरकार का प्रस्ताव ‘हृदय’ अथवा धरोहर शहर विकास तथा संवर्धन योजना शुरू करने का है। इस कार्यक्रम के तहत,आजीविका,कौशल, स्वच्छता,सुरक्षा,सुगम्यता और सेवा सुपुर्दगी पर बल सहित समावेशी और एकीकृत तरीके से शहरी नियोजन,आर्थिक विकास तथा धरोहर संरक्षण को समन्वित करके धरोहर केन्द्रों का सतत् विकास आरंभ किया जाएगा।
मित्रो,
मैट्रोपोलिस जैसे सम्मेलन विश्व के अलग-अलग हिस्सों से विचारों के आदान-प्रदान का श्रेष्ठ मंच होते हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में उल्लेख है, ‘आनो भद्र: क्रतवो यंतु विश्वत:’अर्थात श्रेष्ठ विचारों को हर दिशा से आने दें। मुझे विश्वास है कि इस सम्मेलन के दौरान सभीदिशाओं से श्रेष्ठ विचार प्रवाहित हुए होंगे। मुझे उम्मीद है कि इन विचारों के परिणामस्वरूप,कार्यमें तेजी आएगी तथा निकट भविष्य में बेहतर शहर बनेंगे।
मैं भारत आगमन के लिए सभी विदेशी विशिष्टगण,विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों का धन्यवाद करता हूं तथा अपने देश की सुरक्षित वापसी यात्रा के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। मैं मैट्रोपोलिस और तेलंगाना सरकार विशेषकर मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव और उनके अधिकारियों को एक बार फिर इस कांफ्रेंस की शानदार सफलता के लिए बधाई देता हूं।
धन्यवाद,
जयहिन्द !