115 हेलिकॉप्टर यूनिट तथा 26 स्क्वाड्रन को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
तेज़पुर, असम : 21.11.2014
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1. मुझे आज 115 हेलिकॉप्टर यूनिट तथा 26 स्क्वाड्रन को ध्वज प्रदान करने के लिए पूर्वी सेक्टर के भारतीय वायुसेना के इस प्रमुख हवाई ठिकाने,तेजपुर में आकर अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है। इन विशिष्ट उड़ान यूनिटों का गौरवशाली इतिहास तथा कार्यकौशल में उत्कृष्टता की समृद्ध परंपरा रही है। अपनी स्थापना के समय से ही,उन्होंने राष्ट्र को शानदार सेवा प्रदान की है तथा हमें गौरवान्वित किया है। उनकी समृद्ध विरासत तथा उत्कृष्टता प्राप्ति की दिशा में उनके महती प्रयासों ने दूसरों के समक्ष अनुकरणीय मानदंड स्थापित किए हैं। उनके नि:स्वार्थ समर्पण,कार्यकौशल तथा विपरीत परिस्थितियों के समक्ष साहस के लिए राष्ट्र आज अत्यंत आभार एवं प्रशंसा के साथ उन्हें सम्मानित करता है।
2. भारतीय वायुसेना हमारे देश की ताकत का प्रदर्शन करने में सदैव अग्रणी रही है। हमारे देश की संप्रभुता की रक्षा करने में अपनी भूमिका के अलावा यह सदैव हमारी सीमाओं के अंदर मानवीय सहायता प्रदान करने में अग्रणी रही है। आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में,प्राय: विपरीत मौसम तथा दुर्घटनाओं का सामना करते हुए, इसके द्वारा किया गया राहत कार्य, इन नीली वर्दीधारी पुरुष एवं महिला योद्धाओं के धैर्य,कार्यकौशल तथा दृढ़ निश्चय का साक्षी है। कन्याकुमारी से विशाल हिमालय तक हवाई लड़ाकों का वेग तथा दृढ़ता देश के लिए बहुत गर्व का स्रोत रहे हैं। पिछले कुछ दशकों के दौरान उनके द्वारा प्रदर्शित किया गया उत्कृष्ट कार्यकौशल,मनोबल तथा दृढ़ निश्चय अत्यंत प्रशंसनीय हैं। उनके शानदार कार्य की भारत में तथा विभिन्न अंतरराष्ट्रीय अभ्यासों में भाग लेने के दौरान विदेशों में भी सराहना हुई है।
3. आज हमारा देश सभी क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है। जहां देश सभी क्षेत्रों में प्रगति तथा विकास कर रहा है,वहीं इस उपमहाद्वीप को विभिन्न प्रकार के खतरों का विशेष प्रकार से,गैर-राष्ट्रीय तत्वों द्वारा सामना करना पड़ रहा है। शांति तथा सौहार्द बनाए रखने तथा सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने के लिए हमारे पास कारगर निवारक तथा मजबूत सुरक्षा का होना जरूरी है। यद्यपि एक राष्ट्र के रूप में हम शांति के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं परंतु हमें,आवश्यकता होने पर, अपने देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए अपनी ताकत के इस्तेमाल करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। हमारा देश सभी क्षेत्रों में समानता पर विश्वास करता है। हमारे सामने आज जो पुरुष एवं महिलाएं खड़े हैं,वह इस मूल भावना की दिशा में हमारे साहस तथा दृढ़ निश्चय के प्रतीक हैं। मुझे इस संबंध में अग्रणी रहने के लिए हमारी रक्षा सेनाओं पर गर्व है। मैं इस परेड में शामिल सभी हवाई लड़ाकों को उनकी प्रशंसनीय कवायद,वेश तथा प्रदर्शन के लिए बधाई भी देना चाहूंगा।
4. 115 हेलिकॉप्टर यूनिट का स्वर्णिम संक्रियात्मक रिकार्ड रहा है। इसे1967 में एमआई-4हेलिकॉप्टरों के साथ छत्तीसगढ़ में गठित किया गया था। यह उन पहली हेलिकॉप्टर यूनिटों में से भी थी जिन्हें जेट इंजन चेतक हेलिकॉप्टरों से लैस किया गया था।1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान इस यूनिट ने सेना के हमले,हताहतों की निकासी तथा खोज एवं बचाव संक्रियाओं में सहायता के लिए बहुत सी संक्रियाओं में भाग लिया था। इस यूनिट के कार्मिकों को उनके साहस और वीरता के लिए कई वीरता पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। शुरुआत से ही इस यूनिट ने न केवल विभिन्न संक्रियात्मक मिशनों को अंजाम दिया वरन् बहुत से बचाव मिशनों को भी सक्रिय रूप से पूरा किया। इस यूनिट ने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सदैव निस्वार्थ सेवा प्रदान की है। अगस्त1975 के दौरान यह यूनिट बिहार में बाढ़ राहत कार्य में जुटी रही तथा इन्हीं चुनौतिपूर्ण संक्रियाओं के दौरान राष्ट्रीय मीडिया ने इस यूनिट का उपयुक्त नामकरण‘द होवरिंग एन्जेल्स’ किया था और इस नाम को यह यूनिट आज भी धारण किए हुए है। वर्षों के दौरान,यह यूनिट अपने कथन, ‘‘जीवन रक्षा - सदैव’’को चरितार्थ करती रही है। इसलिए इसका ध्येय वाक्य ‘‘आपात्सु मित्रम्’’अर्थात्‘आपातकाल में पड़े सभी लोगों का मित्र’इस यूनिट की संक्रियाओं में इसके महती एवं वीरतापूर्ण योगदान का प्रतीक है। इस यूनिट ने एमआई-4,चेतक तथा चीता हैलिकॉप्टर का संचालन उत्कृष्टता एवं दक्षता से किया है। मुझे विश्वास है कि‘द हॉवरिंग एन्जेल्स’ आने वाले वर्षों के दौरान और अधिक मजबूत होते जाएंगे।
5. 26 स्क्वाड्रन की स्थापना जनवरी, 1968 में आदमपुर में हुई थी और यह पहली स्क्वाड्रन था जिसे अविजेय सुखोई-7 विमान से लैस किया गया था। इस स्क्वाड्रन ने 1971के भारत-पाक युद्ध में सक्रिय रूप से भाग लिया था जहां इसने सेना के आक्रमण की सहायता करते हुए उसकी ताकत बढ़ाने का कार्य किया। इसके योद्धाओं का प्रशंसनीय प्रदर्शन को वीरता पुरस्कारों के रूप में मान्यता तथा सम्मानित किया गया है। 1977 में इस स्क्वाड्रन को मिग21 बिस विमानों से लैस करके पठानकोट स्थानांतरित किया गया। अपनी शुरुआत से ही स्क्वाड्रन ने महत्त्वपूर्ण संक्रियात्मक मिशनों में भाग लिया जिनमें1999 में कारगिल संघर्ष के दौरान कई मिशनों तथा आपरेशन प्राक्रम के भाग के तौर पर बहुत लंबे समय तक उत्तरी आकाश की रक्षा में भी शामिल रहा है। यह स्क्वाड्रन सदैव अपने ध्येय वाक्य युध्यस्व विगतज्वर,अर्थात् ‘अपनी संपूर्ण शक्ति के साथ युद्ध लड़ो’पर खरा उतरा है। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में यह स्क्वाड्रन और अधिक उत्कृष्टता प्राप्त करेगा।
6. मैं 115 हेलिकॉप्टर यूनिट तथा 26 स्क्वाड्रन के उत्कृष्ट प्रदर्शन को मान्यता और सम्मान प्रदान करते हुए उनहें ध्वज प्रदान करता हूं। इस अवसर पर मैं115 हेलिकॉप्टर यूनिट तथा 26 स्क्वाड्रन के भूतपूर्व एवं वर्तमान कार्मिकों और उनके परिवारों का उनकी निस्वार्थ सेवा और देश के प्रति समर्पण के लिए अभिनंदन करता हूं। देश को वास्तव में आप पर गर्व है। मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।
जय हिंद!