राष्ट्रपति भवन : 28.05.2014
अफगानिस्तान, मालदीव तथा श्रीलंका के राष्ट्रपति, मारिशस, पाकिस्तान, नेपाल तथा भूटान के प्रधानमंत्री तथा बांग्लादेश की संसद की अध्यक्षा ने कल (27 मई, 2014) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति श्री हामिद करजई का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि अ़फगानिस्तान में लोकतंत्र जड़ें जमा चुका है। यह उस देश के लिए राष्ट्रपति करजई की राजनीतिक विरासत है। उन्होंने कहा कि सभी दलों का भारतीय राजनीतिक नेतृत्व अफगानिस्तान की भारत के साथ मैत्री को बहुत महत्त्व देता है तथा हमारी कार्यनीतिक साझीदारी को विकसित करने में राष्ट्रपति करजई के व्यक्तिगत प्रयासों की सराहना करता है। भारत अफगानिस्तान के विकास तथा पुनर्निर्माण के प्रति प्रतिबद्ध रहेगा। भारत एक समृद्ध, स्वतंत्र तथा संप्रभु अफगानिस्तान को भारत के हितों के लिए अति महत्त्वपूर्ण मानता है।
राष्ट्रपति, करजई ने भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों को मजबूत तथा प्रगाढ़ बताया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अफगानिस्तान में नए राष्ट्रपति इस प्रगाढ़ रिश्ते को मजबूत बनाते रहेंगे। अफगानिस्तान की जनता चाहती है कि उनका देश भारत के साथ अपने प्रगाढ़ रिश्तों का आनंद उठाए। वह चाहते हैं कि आने वाले वर्षों के दौरान विभिन्न तरह के संबंधों में सुधार हो। अफगानिस्तान की जनता को भारत में उनके प्रति मौजूद भारी सद्भावना तथा मैत्री का अहसास है तथा वह भारत के साथ और अधिक साझीदारी की अपेक्षा करते हैं।
मालदीव गणराज्य के राष्ट्रपति, श्री अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि जनवरी 2014 में श्री गयूम की भारत यात्रा, जो राष्ट्रपति के रूप में उनकी पहली विदेश यात्रा थी, भारत-मालदीव के रिश्तों को और अधिक प्रगाढ़ बनाने की उनकी उत्कट अभिलाषा का प्रतीक थी। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्ते आर्थिक, सुरक्षा, रक्षा तथा लोगों के आपसी संबंधों जैसे विस्तृत क्षेत्रों में प्रगाढ़ सहयोग का उदाहरण हैं। भारत की इच्छा है कि इस क्षेत्र में ऐसी आर्थिक प्रगति और विकास हो जिसमें भारत एवं मालदीव की अर्थव्यवस्थाओं का आपसी लाभ के लिए प्रगाढ़ तालमेल हो।
मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा कि उसकी आजादी के समय से ही भारत उसका सबसे करीबी मित्रों में से एक रहा है। उन्होंने राष्ट्रपति को आश्वासन दिया कि मालदीव भारत को प्रगाढ़ सहयोग देगा तथा यह विश्वास व्यक्त किया कि भारत-मालदीव संबंध मजबूत से मजबूत होते चले जाएंगे। उन्होंने कहा कि मालदीव सभी मुद्दों पर भारत के साथ अधिक सहयोग के प्रति प्रतिबद्ध है।
श्रीलंका लोकतांत्रिक समाजवादी गणराज्य के राष्ट्रपति, श्री महिंद्रा राजपक्षा का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्त्व देता है। पिछले दिनों द्विपक्षीय संबंधों में काफी गति तथा विस्तार हुआ है और उसमें लगभग सभी क्षेत्र शामिल हैं। दोनों देशों के बीच यह द्विपक्षीय सहयोग आपसी साझीदारी तथा पारस्परिक हितों पर आधारित है। भारत, श्रीलंका के साथ अपने रिश्तों में सर्वांगीण प्रगति चाहता है। राष्ट्रपति ने कहा कि श्रीलंका में संघर्ष की समाप्ति का उपयोग संगठित श्रीलंका के ढांचे के तहत एक स्थाई राजनीतिक समझौते तक पहुंचने में होना चाहिए। संवाद की फिर से शुरुआत तथा शक्तियों का सार्थक हस्तांतरण से इस दिशा में योगदान मिलेगा।
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति जी के उद्गारों का उत्तर देते हुए कहा कि इस क्षेत्र से राजनेताओं के निमंत्रण से पूरे क्षेत्र को मैत्री का महत्त्वपूर्ण संदेश पहुंचा।
मारिशस गणराज्य के प्रधानमंत्री, डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति जी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में उनकी उपस्थिति भारत एवं मारिशस के बीच द्विपक्षीय रिश्तों की विशेष प्रकृति का प्रतीक है। राष्ट्रपति जी ने पिछले वर्ष मारिशस की अपनी यात्रा को याद करते हुए कहा कि भारत और मारिशस के बीच संबंध साझा इतिहास, संस्कृति तथा पारिवारिक रिश्तों पर आधारित हैं।
मॉरिशस के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति के उद्गारों का उसी गर्मजोशी से उत्तर देते हुए कहा कि वह इन संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचते देखना चाहते हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, श्री मुहम्मद नवाज़ शरीफ का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति जी ने कम समय की सूचना के बावजूद हमारे नए प्रधानमंत्री के आमंत्रण पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के सौहार्दपूर्ण उत्तर पर, अपनी सराहना व्यक्त की। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत की सदैव शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण तथा सहयोगात्मक संबंध बनाने की नीति रही है तथा नई सरकार की भी यही नीति होगी। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि वह भारत आने को अपना व्यक्तिगत सौभाग्य मानते हैं। दोनों देशों की सरकारों के पास मजबूत जनमत है तथा यह दोनों देशों के लिए अपने रिश्तों को आगे बढ़ाने और अविश्वास को दूर करने का एक ऐतिहासिक मौका है। राष्ट्रपति, मुखर्जी ने कहा कि व्यापार तथा आर्थिक सहयोग को खोलने के प्रयास होने चाहिए। यह ऐसा अवसर तथा ऐतिहासिक क्षण है जिसे हाथ से नहीं जाने देना चाहिए।
नेपाल के प्रधानमंत्री, श्री सुशील कोइराला का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति जी ने शपथ ग्रहण समारोह में पधारने के लिए उनको धन्यवाद दिया और कहा कि उनकी यात्रा का दोगुना महत्त्व है क्योंकि पद ग्रहण करने के बाद यह उनकी भारत की पहली यात्रा है। राष्ट्रपति जी ने कहा कि नेपाल एक पुराना और अत्यंत बहुमूल्य मित्र है। दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों की जड़ें साझा इतिहास, भौगोलिक स्थिति तथा संस्कृति में निहित हैं। भारत के नेपाल के साथ प्राचीन, सभ्यतागत तथा जनता के आपसी रिश्ते हैं। यह सभी क्षेत्रों में नेपाल के साथ रिश्तों को मजबूत बनाने के प्रति प्रतिबद्ध है। राष्ट्रपति जी ने कहा कि नेपाल में नवंबर, 2013 में दूसरी संविधान सभा और संसद के ऐतिहासिक चुनावों में 70 प्रतिशत का रिकार्ड मतदान एक ऐतिहासिक अग्रगामी कदम था। यद्यपि संविधान निर्माण की चुनौतियों का सामना अंतत: नेपाली राजनीतिक दलों और उनकी जनता को करना है परंतु भारत एक निकट मित्र और पड़ोसी के रूप में नेपाल की सरकार और जनता को इस ऐतिहासिक प्रयास में सहयोग देने के लिए तत्पर है।
नेपाल के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति जी के उद्गारों का प्रत्युत्तर देते हुए उन्हें देश में संविधान निर्माण प्रक्रिया से अवगत कराया।
बांग्ला देश की संसद की अध्यक्षा डॉ. शिरिन शरमिन चौधरी ने राष्ट्रपति जी से भेंट की। इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति जी ने पिछले वर्ष अपनी बांग्लादेश यात्रा का मधुरता से स्मरण किया। राष्ट्रपति जी ने कहा कि भारत बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्त्वपूर्ण मानता है तथा और अधिक प्रगाढ़ एवं मजबूत साझीदारी के लिए उत्सुक है। भारत और बांग्लादेश ने द्विपक्षीय संबंधों में काफी अच्छी प्रगति की है। दोनों देशों को सहयोग के सभी क्षेत्रों में मौजूदा प्रगति की गति को बनाए रखना होगा और उसमें तेजी लानी होगी।
अध्यक्षा ने उत्तर देते हुए कहा कि बांग्लादेश ने सदैव भारत के साथ अपने संबंधों को अलग महत्त्व और प्राथमिकता दी है। राष्ट्रपति जी की पिछले वर्ष बांग्लादेश की यात्रा एक महत्त्वपूर्ण यात्रा थी तथा बांग्लादेश की सरकार भारत के साथ अपने संबंधों को और सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भूटान के प्रधानमंत्री, श्री ल्योंछेन त्सेरिंग टोब्गे ने राष्ट्रपति जी से भेंट की। इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और भूटान के अनन्य तथा विशेष संबंध हैं। ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंध उन्हें प्राकृतिक मित्र एवं साझीदार बनाते हैं। भारत एवं भूटान के बीच द्विपक्षीय रिश्ते कार्यनीतिक समझ, पूर्ण विश्वास, पारदर्शिता तथा एक दूसरे की चिंताओं और महत्त्वपूर्ण हितों के प्रति संवेदनशीलता पर आधारित है। भारत और भूटान दोनों की सुरक्षा चिंताएं स्वाभाविक रूप से एक दूसरे के साथ जुड़ी हैं और उन्हें अलग नहीं किया जा सकता।
प्रधानमंत्री ने उत्तर देते हुए कहा कि हमारे संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं तथा इन्हें दोनों देशों के नेताओं ने बढ़ावा दिया है। दोनों देशों का भविष्य और सुरक्षा आपस में जुड़े हुए हैं। भूटान, भारत द्वारा उसके आर्थिक विकास के लिए उपलब्ध कराई गई सभी प्रकार की सहायता के लिए आभारी है।
यह विज्ञप्ति 1645 बजे जारी की गई।