स्वीकृति और आत्मसात्करण की परंपरा ने भारतीय सभ्यता को परिभाषित किया है तथा विश्व का विचार केंद्र बनाया है
राष्ट्रपति भवन : 02.12.2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कल (01दिसम्बर, 2015) दीव में ‘फेस्टा डी दीव’ का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि दीव भौगोलिक रूप से छोटा हो सकता है परंतु इसमें भारत और विश्व के सभी भागों के पर्यटकों को आकर्षित करने की अपार संभावनाएं हैं। दीव कभी एक फलता-फूलता बंदरगाह था तथा गुजरात के व्यापारी वस्त्र अफ्रीका ले जाया करते थे और वापसी में स्वर्ण और हाथी दांत लाया करते थे। उस युग में, हमारे लोग विचारों, संस्कृति और व्यापार तक सीमित थे। दीव के जरिए में ही पहली बार पारसियों ने भारत में कदम रखा था। स्वीकृति और आत्मसात्करण की इस परंपरा ने भारतीय सभ्यता को परिभाषित किया है तथा इसे विश्व का विचार केंद्र बनाया है। हमें इस भावना को सहेजना और प्रोत्साहित करना चाहिए जिसने हमारे देश को विविध संस्कृतियों का समृद्ध संगम बना दिया।

राष्ट्रपति ने दीव को पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित प्रथम शहर बनाने के प्रयास के लिए दीव की सराहना की तथा कहा कि यह देश के अन्य शहरों के लिए एक आदर्श बनेगा। दीव को विशिष्ट अवस्थिति लाभ, प्राकृतिक प्रचुरता का वरदान प्राप्त है। इस क्षेत्र के विकास की योजना बनाते हुए, प्रशासन को युवाओं की आकांक्षाओं को ध्यान में रखना चाहिए।

यह विज्ञप्ति 12:00 बजे जारी की गई।

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.