रोवानेमी से नई दिल्ली की यात्रा के दौरान नॉर्वे और फिनलैंड की राजकीय यात्रा के बारे में राष्ट्रपति जी का मीडिया वक्तव्य
राष्ट्रपति भवन : 17.10.2014

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा नॉर्वे और फिनलैंड की राजकीय यात्रा (12 अक्तूबर से 17 अक्तूबर, 2014 तक) के संबंध में मीडिया को दिए गए वक्तव्य का मूल पाठ निम्नवत् है। यह वक्तव्य राष्ट्रपति की रोवानेमी से नई दिल्ली से वापसी की यात्रा के दौरान विमान में दिया गया था :

‘‘मित्रो, मैंने उत्तरी यूरोप के दो देशों, नॉर्वे के शाही राज्य और फिनलैंड गणराज्य की राजकीय यात्राएं सफलतापूर्वक पूरी की हैं।

जैसा कि आपको विदित है, मेरे साथ इस यात्रा में उद्योग और लोक उद्यम राज्य मंत्री, श्री पी. राधाकृष्णन और हमारे देश के विभिन्न भागों के संसद सदस्यों श्री राजीव शुक्ला, श्री अनंत कुमार दत्तात्रेय हेगड़े, डॉ. किरीट पी. सोलंकी और श्री बाबुल सुप्रिया बराल सहित एक शिष्टमंडल भी गया था।

दोनों देशों की मेरी यात्रा का प्रमुख उद्देश्य शिक्षा, अनुसंधान, नवान्वेषण, व्यापार और निवेश में सहयोग का विस्तार करना था।

जैसा कि आपको पहले से ज्ञात है, इस यात्रा के दौरान, हमने नॉर्वे में पृथ्वी विज्ञान, संस्कृति, वैज्ञानिक अनुसंधान, चिकित्सा और रक्षा तथा वाणिज्यदूत संबंधी मामलों के क्षेत्रों में सहयोग के लिए छह सरकारी समझौते किए। इसी प्रकार, फिनलैंड में हमने नवीकरणीय ऊर्जा, जैव-प्रौद्योगिकी, असैन्य परमाणु अनुसंधान और मौसम विज्ञान से संबंधित मुद्दों पर सहयोग और अनुसंधान के क्षेत्रों में चार सरकारी समझौते किए। मेरे साथ गए शैक्षिक शिष्टमंडल ने भी नॉर्वेजियन और फिनिश विश्वविद्यालयों के साथ संस्थागत संबंध स्थापित किए। मुझे खुशी है कि संकाय, विद्यार्थी और अनुसंधान के आदान-प्रदान की दृष्टि से, नॉर्वे की यात्रा के दौरान शैक्षिक संस्थानों के बीच आठ तथा फिनलैंड के साथ सत्रह समझौता ज्ञापनों पर स्ताक्षर किए गए। मैंने आर्कटिक में भारत के अनुसंधान केंद्र ‘हिमाद्रि’ में परियोजनाएं संचालित कर रहे हमारे वैज्ञानिकों तथा स्वालबार्ड यूनिवर्सिटी सेंटर में हमारे अनुसंधानकर्ताओं के साथ भी वीडियो-लिंक के जरिए बात की।

यह नॉर्वे की भारत के किसी भी राष्ट्राध्यक्ष की प्रथम राजकीय यात्रा थी। नरेश हराल्द पंचम और प्रधानमंत्री आरना सूडबर्ग दोनों ने इस यात्रा की अत्यंत सराहना की और इसे ऐतिहासिक बताया। मेरा शिष्टमंडल और मैं हमें प्रदान किए गए हार्दिक स्वागत और आतिथ्य से अभिभूत थे। हमने परस्पर महत्त्व के द्विपक्षीय और क्षेत्रीय तथा बहुपक्षीय मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया। मैंने नॉर्वेजियन संसद, स्टोर्टिंग के अध्यक्ष, उनके व्यापार और उद्योग मंत्री, शिक्षा और अनुसंधान मंत्री तथा ओस्लो के महापौर से भी मुलाकात की। मुलाकात के दौरान, हम सभी में भारत और नॉर्वे के बीच घनिष्ठ सहयोग के प्रति गहन उत्सुकता दिखाई दी। हम, द्विपक्षीय संबंध को संपर्क के और उच्च स्तर तक ले जाने तथा सहयोग को घनिष्ठ और विविध बनाने की नॉर्वे की सरकार द्वारा व्यक्त की गई इच्छा से आश्वस्त हैं। मेरी यात्रा के ठीक बाद एक भारतीय, श्री कैलाश सत्यार्थी को नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने के सुखद संयोग से भी मुझे खुशी हुई।

प्रधानमंत्री आरना सूडबर्र्ग के साथ मेरे विचार-विमर्श के दौरान, हम अनुसंधान और विकास, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, नवान्वेषण, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों तथा नवीकरणीय ऊर्जा और ध्रुवीय अनुसंधान के क्षेत्रों में मौजूदा सहयोग को और बढ़ाने की संभावना पर सहमत थे। नॉर्वे की प्रधानमंत्री सूडबर्ग ने सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों के अंतर्गत निर्धनता, मातृत्व स्वास्थ्य और बाल-मृत्यु की कमी पर उपलब्धियों और प्रगति के लिए भारत को बधाई दी। उन्होंने पोलियो मुक्त दर्जा हासिल करने के लिए हमें बधाई दी। हम इस पर सहमत थे कि सतत विकास लक्ष्यों पर से ध्यान नहीं हटाया जाना चाहिए।

फिनलैंड में, फिनलैंड के राष्ट्रपति और सरकार ने हमारा हार्दिक स्वागत किया। हम प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और हेलसिंकी और रोवानेमी के महापौरों तथा फिनिश संसद के अध्यक्ष और सदस्यों से भी मिले। मुझे, भारत की जनता की ओर से भारत और फिनलैंड के बीच मैत्री के प्रतीक के रूप में हेलसिंकी शहर का सम्मान पदक हासिल करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

मैंने द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर फिनिश नेतृत्व के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया। हम इस बात पर सहमत थे कि हम दोनों के बहुत से वैश्विक दृष्टिकोण समान हैं। हमने यूक्रेन, सीरिया,अफगानिस्तान की स्थिति और ब्रिक्स बैंक जैसे मुद्दों पर विचार-विनिमय किया। हमने, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की आवश्यकता पर चर्चा की क्योंकि आतंकवाद की कोई सरहद नहीं होती।

इस यात्रा ने आर्कटिक परिषद के सदस्यों नॉर्वे और फिनलैंड दोनों में आर्कटिक में तथा ध्रुवीय और हिमनद अनुसंधान पर सहयोग पर विचार विमर्श करने का अवसर मुहैया करवाया। हमने दोनों देशों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, समुद्रवर्ती मुद्दों, हाइड्रोकार्बन, शिक्षा और अनुसंधान तथा पर्यावरण सहित अनेक क्षेत्रों में हमारे विस्तृत और व्यापक सहयोग को देखा। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत के नेतृत्व और विशेषज्ञता को स्वीकार किया गया है।

मैंने नॉर्वे और फिनलैंड नेतृत्व को इस अवसर पर, भारत की आर्थिक स्थिति तथा नई सरकार के ‘भारत में निर्माण’अभियान जैसी हाल की नीतिगत पहलों के बारे में जानकारी दी। मैंने आग्रह किया कि नॉर्वेजियन सरकारी वैश्विक पेंशन फंड सहित, इन दोनों देशों द्वारा भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में देखा जाए। नॉर्वे और फिनलैंड दोनों ने माना कि हमारे आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को घनिष्ठ बनाने की बहुत संभावना है। उन दोनों ने, महत्त्वपूर्ण रूप से,यह बताया कि वे इस संबंध में यूरोप से आगे की संभावना पर विचार कर रहे हैं। 2009 में नॉर्वे और 2013 में फिनलैंड ने, वास्तव में, भारत के साथ अपने रिश्तों को कार्यनीतिक बनाने के लिए कार्य योजनाएं बनाई की हैं। फिनलैंड में,अगले तीन वर्षों में हमारे द्विपक्षीय व्यापार के वर्तमान स्तर को 1बिलियन यूरो से दुगना करके 2 बिलियन यूरो करने का प्रयास करने का मेरा सुझाव तुरंत मान लिया गया। फिनिश नेतृत्व ने उल्लेख किया कि उनकी कंपनियां भारत में निवेश के अवसरों की उत्सुकता से तलाश कर रही हैं। नॉर्वेजियन पक्ष ने यूरोपीय मुक्त व्यापार एसोसियेशन से बातचीत के निष्कर्ष के प्रति उत्सुकता व्यक्त की और सूचित किया कि उनकी सरकार ने मुंबई में एक महावाणिज्यक दूतावास खोलने का निर्णय लिया है।

भारत ने घोषणा की कि नॉर्वे उन देशों की सूची में है जिन्हें शीघ्र ही आगमन पर पर्यटक वीजा सुविधा प्रदान की जाएगी। नॉर्वेजियन पक्ष ने अत्यंत संतोष व्यक्त करते हुए इसका स्वागत किया। सामाजिक सुरक्षा समझौता अब कार्यान्वयन के लिए तैयार है जिससे आव्रजन और रोजगार से संबंधित मामलों में हमारे नागरिकों को मदद मिलेगी।

मैंने चार निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं की पूर्ण सदस्यता के भारत के प्रयासों के बारे में नॉर्वेजियन और फिनिश पक्ष को जानकारी दी तथा परमाणु अप्रसार पर हमारे साफ सुथरे रिकॉर्ड पर बल दिया। हमने इस संबंध में उनका समर्थन मांगा।

हमने समसामयिक विश्व की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र परिषद में सुधार तथा विस्तारित संयुक्त राष्ट्र परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी के प्रयास हेतु उनका निरंतर समर्थन भी मांगा। दोनों देशों ने भारत के प्रति समर्थन दोहराया।

मैंने दोनों देशों के विशाल भारतीय समुदाय से मुलाकात की और व्यापार समुदाय को संबोधित किया। मेरी यात्रा के दौरान दोनों पक्षों के व्यापार प्रतिनिधियों के बीच अनेक वाणिज्यिक करार संपन्न हुए।

मैंने उच्च स्तरीय यात्राओं को नियमित बनाने तथा संबंध को निरंतरता प्रदान करने के लिए नॉर्वे के नरेश और प्रधानमंत्री तथा फिनलैंड के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भारत यात्रा का निमंत्रण दिया।

मैं इस बात से संतुष्ट हूं कि इस यात्रा तथा नॉर्वेजियन और फिनिश नेतृत्व के साथ मेरी बातचीत के दौरान, हमने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की है। नॉर्वे और फिनलैंड दोनों ही अतिविकसित देश हैं, उनके पास संसाधन, प्रौद्योगिकीय उन्नति, नवान्वेषण क्षमताएं और ऐसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता है जिनसे भारत को काफी कुछ हासिल करना है। उन्हें स्वच्छ प्रौद्योगिकियों, नवीकरणीय ऊर्जा, जैव-प्रौद्योगिकी, अपशिष्ट प्रबंधन तथा शिक्षा,अनुसंधान, कौशल विकास तथा नवान्वेषण जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में भी विशेषज्ञता प्राप्त है। भारत, भावी पीढ़ियों के लिए सतत विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, उनके साथ सफलतापूर्वक सहयोग कर सकता है।

मुझे विश्वास है कि आने वाले वर्षों में हमारे द्विपक्षीय संबंध और ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे।’’

यह विज्ञप्ति 1600 बजे जारी की गई।

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