राष्ट्रपति भवन : 07.09.2012
21वें ‘नो इंडिया प्रोग्राम’ के युवा प्रतिभागियों ने आज भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की।
युवाओं को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि वे असाधारण विविधता के बीच भारत की एकता, समावेशी विकास के आर्थिक लक्ष्य और इस सच्चाई को हमेशा याद रखें कि समावेशी विकास की कुंजी ज्ञान का प्रसार है।
उन्होंने भारतीय संविधान को जीता जागता दस्तावेज बताया जिसका शासन कला के माध्यम से प्रतिदिन उपयोग किया जाता है तथा उन्होंने ध्यान दिलाया कि भारत किस तरह सूचना के अधिकार, शिक्षा के अधिकार और भोजन के अधिकार के जरिए लोगों को सशक्त बना रहा है और यह एक भारी दायित्व है जिसे सरकार को वहन करना है। उन्होंने कहा कि भारत की कहानी, इतिहास की पाठ्य पुस्तक के कुछ अनुच्छेद ही नहीं हैं बल्कि राष्ट्रों के समूह में अपना उचित स्थान प्राप्त करने के लिए प्रयासरत विशाल जनसमूह की कहानी है। भारत की कहानी प्रतिदिन इसके गांवों, खेतों, कार्यालयों, फैक्ट्रियों, प्रयोगशालाओं और कक्षाओं में रची जाती है। यह विश्वास व्यक्त करते हुए कि उनमें से प्रत्येक अपने हृदय में भारत का एक छोटा सा हिस्सा लेकर जाएगा, उन्होंने युवाओं को प्रोत्साहित किया कि वे कार्यक्रम में भागीदारी के माध्यम से प्राप्त प्रत्यक्ष अनुभव के आधार पर भारत के विषय में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करते रहें।
प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए, राष्ट्रपति ने युवाओं के लिए मूल्यों के महत्व पर बल दिया और कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हमने अपने पूर्वजों से वसुधैव कुटुंबकम का सिद्धांत सीखा है। स्वामी विकेकानंद, रवीन्द्रनाथ ठाकुर और महात्मा गांधी इस दर्शन के समकालीन प्रवर्त्तक थे। यही भारतीय संविधान में निहित है जिसे मानव जाति के बड़े हिस्से के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का महाधिकार पत्र कहा गया है।
भारत पर पाश्चात्य जगत के प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए, उन्होंने कहा कि भारत सदैव एक खुला समाज रहा है जिसमें भारत से बाहर से और भारत के अंदर से सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता रहा है। भारत ने विदेशी प्रभावों को आत्मसात कर लिया और अपनी विशिष्ट पहचान के अनुकूल उन्हें ढाल लिया। अंग्रेजी शिक्षा और संसदीय प्रणाली भारत को पश्चिम के कुछ योगदान हैं। भारत ने लोकतांत्रिक प्रणाली में सभा और समिति की अपनी परंपराओं को शामिल किया। राष्ट्रपति ने कहा कि आज प्रत्येक आधुनिक राष्ट्र समावेशीकरण का परिणाम है और भारत विश्व के अन्य हिस्सों के सभ्यतागत आदान-प्रदान में अग्रणी रहा है।
भारतीय मूल के ये प्रतिभागी 11 देशों से आए हैं और 18-26 वर्ष की आयु समूह के हैं। वे न्यूजीलैंड, सूरीनाम, मलेशिया, फिजी, श्रीलंका, मारीशस, दक्षिण अफ्रीका, त्रिनिडाड और टोबैगो, ईरान, स्लोवाक गणराज्य और इजरायल से आए हैं।
नो इण्डिया प्रोग्राम एक राज्य सरकार की साझीदारी से प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय द्वारा आयोजित प्रवासी भारतीय युवाओं के लिए तीन सप्ताह का अभिमुखीकरण कार्यक्रम है। कार्यक्रम का उद्देश्य समूह को भारत से परिचित कराना है। प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय का लक्ष्य भारत के युवा समुदाय को उनके मूल देश से जोड़ना है। मंत्रालय द्वारा विभिन्न राज्यों की मदद से ऐसे 20 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। इसकी विषयवस्तु में भारत के ऐतिहासिक , सांस्कृतिक, औद्योगिक और प्रशासनिक संस्थानों का दौरा, भारतीय मीडिया, गैर सरकारी संगठनों और महिला संगठनों के साथ विचार-विमर्श शामिल है।इस कार्यक्रम का प्रथम भाग 29 अगस्त से 7 सितंबर 2012 तक था। 8 से 15 सितंबर 2012 तक वे तमिलनाडु की यात्रा करेंगे और तत्पश्चात 16 से 18 सितंबर 2012 को वापिस दिल्ली आ जाएंगे।
यह विज्ञप्ति 1615 बजे जारी की गई