राष्ट्रपति भवन : 28.01.2016
भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के संस्मरणों के द्वितीय खण्ड ‘द टर्बुलेंट ईयर्स—1980-1996’का आज (28 जनवरी, 2016) राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में लोकर्पण किया गया। भारत के उपराष्ट्रपति, मो. हामिद अंसारी ने आमंत्रित दर्शकों के समक्ष इस पुस्तक का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि प्रथम खण्ड ‘द ड्रामाटिक डिकेड—द इंदिरा गांधी ईयर्स’ का 11 दिसम्बर, 2014 को लोकार्पण किया गया था तथा उन्होंने अपने पाठकों से वादा किया था कि द्वितीय खण्ड एक वर्ष अर्थात 11 दिसंबर, 2015 तक प्रकाशित कर दिया जाएगा। दुर्भाग्यवश वह अपना वादा पूरा नहीं कर पाए और पुस्तक आज ही आई है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वह 1980 और 1990 के दशक की अनेक ऐतिहासिक घटनाओं के साक्षी रहे और कभी-कभार इनमें हिस्सेदार भी रहे। यह खण्ड उनकी दृष्टि से प्रमुख घटनाओं का लेखा-जोखा है। उन्हें प्रतिदिन अपनी डायरी का एक पन्ना लिखने की आदत है। इस पुस्तक की मुख्य सामग्री उनकी इन्हीं डायरियों से ली गई है। यद्यपि उन्होंने एक संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने अपनी लम्बी सार्वजनिक सेवा के दौरान बहुत से संवेदनशील पद संभाले हैं तथा मंत्री के रूप में वह कोई ज्ञात जानकारी प्रकट न करने की शपथ से बंधे हैं। उनका यह विश्वास है कुछ तथ्यों का कभी भी खुलासा न किया जाए।
इस अवसर पर, उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा कि पुस्तक हम जिस काल और युग में रह रहे हैं, उस पर एक टिप्पणी है। इसमें भारतीय शासन तंत्र और भारतीय संघवाद के स्वरूप पर अनेक प्रासंगिक विचार हैं जिन्हें ध्यानपूर्वक पढ़ने की आवश्यकता है।
पुस्तक पर विचार प्रस्तुत करते हुए डॉ. करण सिंह, सांसद ने कहा कि पुस्तक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसमें विभिन्न शख्सियतों का मूल्यांकन है, तत्कालीन प्रमुख घटनाओं का अहम विवरण है तथा इसमें उस दौर के अहम अर्थिक मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने कहा कि पुस्तक का सबसे रोचक पहलू उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव वाला राष्ट्रपति के राजनीतिक जीवन का विवरण है। उन्होंने राष्ट्रपति को अत्यंत प्रबुद्ध, अनुभवी और प्रतिभावान राजनीतिक बताया जो प्रखर स्मरण शक्ति और अत्यंत बौद्धिक महानता से भरपूर हैं।
डॉ. चंदन मित्रा, सम्पादक, पायनियर ने कहा कि पुस्तक दर्शाती है कि श्री प्रणब मुखर्जी बेजोड़ स्मृति और लोकतंत्र के प्रति सुदृढ़ समर्पण सहित घटनाओं के तीव्र प्रेक्षक हैं। जिस सरलता से श्री मुखर्जी ने घटनाओं को स्पर्श किया है, वह इस पुस्तक की विशेषता है। उन्होंने कहा कि राजनीति विज्ञान के प्रत्येक विद्यार्थी के लिए इस पुस्तक का अध्ययन अनिवार्य तथा विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम का भाग बना देना चाहिए।
यह विज्ञप्ति 1640 बजे जारी की गई