राष्ट्रपति भवन : 03.01.2013
कोलकाता में आज (3 जनवरी, 2013) भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 100वें अधिवेशन के उद्घाटन व्याख्यान में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने वैज्ञानिक बिरादरी का आह्वान किया कि वे भारत के भविष्य के निर्माण के लिए ऐसी वैज्ञानिक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करें जिसमें समृद्धि और शांति, उत्कृष्टता और समता, पौर्वात्य मूल्य तथा विज्ञान की पाश्चात्य पद्धतियां शामिल हों और साथ-साथ मौजूद रहें। उन्होंने कहा कि भारत के 2035 तक एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने की अपेक्षा है। भारत को उच्च मानवीय तथा सामाजिक मूल्यों सहित एक प्रमुख ज्ञान शक्ति के रूप में भी उभरना चाहिए। उन्होंने कहा कि सी.वी. रमन ने जब भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार जीता था तब से 83 वर्षों का लम्बा समय बीत चुका है। विज्ञान विषयों में दूसरा नोबेल पुरस्कार बहुत पहले मिल जाना चाहिए था। उन्होंने कांग्रेस में उपस्थित वैज्ञानिक बिरादरी का आह्वान किया कि वे इस चुनौती को स्वीकार करें तथा इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समयबद्ध ढंग से प्रयास करें।
भारत के प्रधानमंत्री, डॉ मनमोहन सिंह ने इस अवसर पर विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवान्वेषण नीति 2013 जारी की और इसकी पहली प्रति राष्ट्रपति को प्रस्तुत की।
यह विज्ञप्ति 1320 बजे जारी की गई