राष्ट्रपति भवन : 21.11.2012
भारत के राष्ट्रपति, प्रणब मुखर्जी ने श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा आज 21 नवम्बर, 2012 को विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में वर्ष 2008, 2009 और 2010 के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार (खान) प्रदान किए।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि खनन उद्योग राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है और यह न केवल दस लाख लोगों को रोजगार देता है बल्कि बहुत से उद्योगों को आधारभूत कच्चा माल उपलब्ध करवा रहा है। उन्होंने कहा कि यह आत्मावलोकन करने का समय है क्योंकि बढ़ हुए यंजीकरण, पर्यावरण की सुरक्षा पर बल, कार्यस्थलों पर सुरक्षा सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण सामाजिक आवश्यकता, खनन उद्योग में सूचना प्रौद्योगिकी की विशाल पैमाने पर शुरुआत, अधिक कठिन भू-खनन स्थलों और लागत विचार जैसे मुद्दे भारत के खनन उद्योग के सम्मुख चुनौतियां प्रस्तुत करते हैं। इस बदले हुए परिदृश्य में, सभी भागीदारों को शिक्षण ग्राफ में निरंतर आगे बढ़ने तथा कारोबार व प्रौद्योगिक प्रक्रियाओं को निरंतर पुन: अविष्कृत करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी विकासात्मक आवश्यकताओं और ऊर्जा की विशाल जरूरतों को पूरा करने के लिए, देश को अगले 10-15 वर्षों के दौरान कोयले पर और अधिक निर्भर रहना होगा। उन्होंने कहा कि यद्यपि कोयले पर अधिक निर्भरता को एक सतत् परिघटना बनाने के लिए, हमें अधिक स्वच्छ प्रौद्योगिकियों की और अग्रसर होना पड़#2364;ेगा ताकि पर्यावरण पर बुरा प्रभाव न पड़े। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार (खान) हमारी खानो में स्वास्थ्य सुरक्षा और कल्याण मापदण्डों की बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण माध्यम साबित होंगे।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगो में केन्द्रीय श्रम और रोजगार मंत्री श्री मल्लिकार्जुन खड़गे तथा श्रम और रोजगार राज्य मंत्री श्री के. सुरेश शामिल थे।
श्रम और रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार ने खानों में सुरक्षा मानकों की बेहतरी तथा राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय सुरक्षा निष्पादन को उचित महत्त्व देने के लिए खान संचालकों में प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देने के लिए प्रतियोगिता वर्ष के लिए 1983 में राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार (खान) आरम्भ किए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार (खान) योजना, खान अधिनियम 1952 के अधिकार क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले सभी खानों पर लागू होती है।
यह विज्ञप्ति 1400 बजे जारी की गई