राष्ट्रपति भवन : 08.11.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा कुलाध्यक्ष के रूप में बुलाया गया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशकों का दो दिवसीय सम्मेलन आज (08 नवम्बर 2013) राष्ट्रपति भवन में सम्पन्न हुआ।
अपने समापन उद्बोधन में राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों से कहा कि वे नवान्वेषण को जीवन शैली बनाएं और कम से कम एक विभाग को उत्कृष्टता के मॉडल के तौर पर विकसित करें। उन्होंने कहा कि सभी राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्राथमिकता के आधार पर नवान्वेषण क्लब स्थापित किए जाने चाहिए और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की अपनी भावी यात्रा के दौरान, वह प्रेरक शिक्षकों तथा जमीनी नवान्वेषकों से मिलना और उनसे बातचीत करना चाहेंगे।
राष्ट्रपति ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया कि पुराने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में शिक्षकों के 44 प्रतिशत से अधिक तथा नए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में 63 प्रतिशत से अधिक पद खाली हैं। उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों से कहा कि वे समयबद्ध तरीके से इन खाली पदों को भरने के प्रयास करें। उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से भी आग्रह किया कि वह उद्योग, विदेशी विश्वविद्यालयों तथा राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं से विजिटिंग और सहायक शिक्षकों के रूप में उत्कृष्ट उम्मीद्वारों को भर्ती करने के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को लचीलापन प्रदान करने के उपाय करें। राष्ट्रपति ने आगे बल देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय दर्जा बढ़ाना एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होना चाहिए और उन्होंन राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों से कहा कि वे मूल्यांकन एजेंसियों के साथ संपर्क के लिए, समन्वयक के तौर पर एक वरिष्ठ प्रोफेसर को नामित करें।
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों से आग्रह किया कि वे एक निर्धारित समय सीमा के भीतर ई-कक्षा सहित बुनियादी सुविधाओं का निर्माण कार्य पूरा करें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान को स्थानीय उद्योग तथा उद्योग एसोसिएशनों के सहयोग से अगले छह महीनों में एक उद्योग प्रकोष्ठ बनाना चाहिए। यह प्रकोष्ठ सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाएं, इंटर्नशिप, शिक्षकों का आदान-प्रदान और कार्यशालाओं आदि को विकसित करने के लिए कम से कम दस औद्योगिक इकाइयों/लघु, मध्यम उद्यमों के साथ संपर्क करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों का यह सम्मेलन एक वार्षिक आयोजन रहेगा और वह वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के शिक्षकों और विद्यार्थियों से संपर्क कायम रखना चाहते हैं।
सम्मेलन के समापन पर, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशकों द्वारा विस्तृत सिफारिशें की गई जिनकी जांच मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा की जाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ एम.एम. पल्लम राजू ने भी समापन सत्र को संबोधित किया।
यह विज्ञप्ति 1800 बजे जारी की गई।