राष्ट्रपति भवन : 23.10.2012
भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति पद ग्रहण करने के पश्चात पश्चिम बंगाल के मिराती में अपना पहला दुर्गा पूजा पर्व मनाया। राष्ट्रपति ने पूजा उत्सव में भाग लिया और अपने पैतृक निवास में ग्रामीणों से मिले।
पूजा में भाग लेने के अतिरिक्त, राष्ट्रपति ने 21 अक्तूबर, 2012 को मिराती जूनियर हाई स्कूल के भवन का उद्घाटन किया। जन-समूह को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने देश में शत प्रतिशत साक्षरता लाने के लिए एकजुट प्रयास की आवश्यकता की बात कही। राष्ट्रपति ने कहा कि 11वीं और 12वीं पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान शिक्षा पर व्यय बढ़ा दिया गया है। श्री मुखर्जी ने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान ने शिक्षा के प्रसार में एक अहम भूमिका निभाई है। राष्ट्रपति ने कहा कि नए संस्थान खोलने के साथ-साथ मौजूदा संस्थानों का समुचित रखरखाव होना चाहिए। उनके अनुसार, सरकार शिक्षा के विस्तार के लिए सब कुछ नहीं कर सकती। व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर प्रयास भी आवश्यक हैं। इसके लिए लोगों को आगे आना होगा और ऐसे प्रयासों में शामिल होना होगा। पहले, परोपकारी लोग शिक्षा के प्रसार में उल्लेखनीय योगदान करते थे। इस संदर्भ में, उन्होंने पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल, सर हीरेन मुखर्जी और शिक्षाविद् डॉ. बीरेश गुहा के बहुमूल्य योगदान का उल्लेख किया।
22 अक्तूबर, 2012 को राष्ट्रपति ने किरणाहार शिब चन्द्र हाई स्कूल,किरणाहार द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर बोलते हुए इस स्कूल के पूर्व विद्यार्थी रहे राष्ट्रपति ने कहा कि हम समाज, लोगों, शिक्षकों और संरक्षकों से हर समय कुछ न कुछ सीखते हैं और इस प्रकार स्वयं को पोषित व समृद्ध करते हैं। अपने स्कूल और शिक्षकों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए, श्री मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने उनके मन में जिज्ञासा जगा दी और इससे वह सांसद, मंत्री और संयुक्त राष्ट्र संघ में तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए अत्यंत लाभान्वित हुए।
राष्ट्रपति ने स्कूल के मौजूदा बच्चों के साथ बातचीत की। उनके प्रश्नों का उत्तर देते हुए एक पूर्व विद्यार्थी के रूप में श्री मुखर्जी ने कहा कि सभी को एक अच्छा इन्सान बनना चाहिए इससे वह परिवार, समाज और देश के लिए मूल्यवान हो जाएगा। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि उन्हें चरित्र निर्माण करना चाहिए और निष्ठा व प्रतिबद्धता विकसित करनी चाहिए। उन्होंने अपने स्कूली दिनों की कुछ घटनाओं को याद किया। श्री मुखर्जी ने इस अवसर पर औपचारिक रूप से एक स्मारिका का भी विमोचन किया।
इससे पूर्व राष्ट्रपति ने स्कूल के लिए भूमि दान करने वाले स्वर्गीय शिब चन्द्र सरकार और उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी स्व. कामदा किंकर मुखोपध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री मुखर्जी ने आज स्कूल आगमन के अवसर पर एक पट्टिका फलक का अनावरण किया। उन्होंने ‘प्रणब का स्कूल—स्कूल का प्रणब’ शीर्षक से एक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और आगंतुक पुस्तिका में हस्ताक्षर किए। प्रदर्शनी में श्री प्रणब मुखर्जी के प्रवेश को दर्ज करने वाले रजिस्टरों के फोटो तथा विभिन्न श्रेणी की परीक्षाओं में उनके द्वारा अर्जित अंकों को दर्शाया गया। प्रदर्शनी में स्कूल के शताब्दी समारोह के भाग के रूप में प्रकाशित शताब्दी स्मारिका में उनकी स्मृतियों को दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया। राष्ट्रपति के रूप में उनके शपथ ग्रहण दिवस पर स्कूल के माहौल वाला फोटो भी प्रदर्शित किया गया। राष्ट्रपति ने कक्षा 5 से 10 इसी तक स्कूल में पढ़ाई की और 1952 में इसी स्कूल से अंतिम परीक्षा पास की।
राष्ट्रपति आज शाम दिल्ली वापिस लौट जाएंगे।