राष्ट्रपति ने, खोए हुए मूल्यों व परंपराओं की पुन: प्राप्ति के लिए अकादमिक उत्कृष्टता के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास की आवश्यकता बताई
राष्ट्रपति भवन : 09.12.2012

भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि शिक्षा से व्यक्ति का महत्त्व बढ़ता है और मूल्य आधारित शिक्षा से हम अपने समाज में सार्थक ढंग से योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस युग में अकादमिक उत्कृष्टता के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास के लिए प्रयास खोए हुए मूल्यों और परंपराओं को दोबारा प्राप्त करने का सही तरीका है। वह आज (9 दिसम्बर, 2012) देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के चौथे वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में शिक्षा का विकास ही भारत की सहनशीलता का एक प्रमुख कारक है। इसलिए यह निर्विवाद है कि जब कोई देश शिक्षा के माध्यम से बौद्धिक सम्पत्ति का निर्माण करता है, तो वह किसी व्यक्ति, समाज या राष्ट्र के लिए महत्त्वपूर्ण होती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि बड़े स्तर पर शिक्षा राष्ट्र का निर्माण और छोटे स्तर पर चरित्र का निर्माण करती है। उन्होंने कहा कि उन्हें भारतीय सभ्यता के दर्शन और संस्कृति में गहरी आस्था है और उनका मानना है कि प्रगति का मार्ग ऐसे मूल्यों के मेलजोल द्वारा सुदृढ़ किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि वह देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा व्यवहृत शिक्षा मॉडल द्वारा बहुत प्रोत्साहित हैं।

यह विज्ञप्ति 1415 बजे जारी की गई

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