राष्ट्रपति ने कहा, उद्यमशीलता को आर्थिक कार्यसूची में सबसे पहले रखना समय की आवश्यकता है
राष्ट्रपति भवन : 13.03.2016

राष्ट्रपति भवन में नवान्वेषण उत्सव का प्रथम दिन कल (12 मार्च, 2016) भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी को प्रस्तुत समावेशी नवान्वेषण पर वैश्विक गोलमेज के विचार-विमर्श के सारांश के साथ संपन्न हो गया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारतीय अर्थव्यवस्था को अपने कार्यबल को उपयोगी रोजगार देने तथा अपनी जनसंख्या लाभ का फायदा उठाने के लिए अगले दशक तक 115 मिलियन गैरकृषि रोजगार देने की जरूरत है। इस संदर्भ में, युवाओं को जीवनवृत्त विकल्प के रूप में स्वरोजगार को प्रोत्साहन और उन्हें बढ़ावा देने का अत्यंत महत्व है। उन्होंने कहा, ‘कम आय और उपेक्षित समूहों का सीधे तौर पर कल्याण करने वाली समावेशी नवान्वेषण परियोजना पहलों पर ध्यान देना होगा। भारत को बुनियादी नवान्वेषण और विकास को तेज करते हुए विनिर्माण पर केंद्रित नए लघु और मध्यम उद्यमों के सृजन को प्रोत्साहित करना होगा। उद्यमशीलता को आर्थिक कार्यसूची में सबसे पहले रखना समय की आवश्यकता है।’

राष्ट्रपति ने कहा कि बहुत से उन्नत राष्ट्र नवान्वेषण, स्टार्ट अप और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी स्थान प्राप्त करने के लिए अपने शैक्षिक नेटवर्क का लाभ उठा रहे हैं। 700 विश्वविद्यालयों और 35,000 कॉलेजों के शैक्षिक नेटवर्क के साथ भारत अपनी बौद्धिक पूंजी का पूर्णत: लाभ उठाने की स्थिति में है। 2013में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में उन्होंने ऐसे नवान्वेषण क्लब स्थापित करने पर विचार करने के लिए उनका आह्वान किया था जो विद्यार्थियों और शिक्षकों तथा बुनियादी नवान्वेषकों के बीच विचारों के आदान-प्रदान के रूप में कार्य कर सकें। उन्होंने बाद में उच्च शिक्षण के अन्य केंद्रीय संस्थानों के अध्यक्षों के सम्मेलन में इस आह्वान को दोहराया है। विगत तीन वर्षों में लगभग 85 केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों में नवान्वेषण क्लब विकासकर्ता और केंद्र स्थापित किए गए हैं। पिछले वर्ष नवम्बर में आयोजित कुलाध्यक्ष सम्मेलन तथा इस वर्ष फरवरी में राज्यपाल सम्मेलन में उन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों के निदेशकों तथा राज्यपालों जो राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति हैं, को अपने-अपने शिक्षा संस्थानों में विषय के तौर पर नवान्वेषण पर कार्य करने तथा विचारों को नवान्वेषी उत्पादों और सेवाओं में बदलने में मदद करने का अनुरोध किया था।

अनुसंधान और विकास में भारतीय फर्मों और कारोबारों द्वारा निवेश की कम मात्रा के मुद्दे का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अनुसंधान और विकास ने हमारी वर्तमान निवेश मात्रा विश्व स्तरीय कंपनियों के खर्च का अंश भर है। इस व्यय में पर्याप्त वृद्धि के बिना हम मूल्य शृंखला के उच्च सिरे पर पहुंचने की उम्मीद नहीं कर सकते। उन्होंने निजी क्षेत्र और उच्च शिक्षण संस्थानों से आग्रह किया कि वे अर्थव्यवस्था में नवान्वेषण और रोजगार सृजन में मदद के लिए अनुसंधान और विकास के लिए अपने संसाधनों का बड़ा हिस्सा लगाएं।


यह विज्ञप्ति 1100 बजे जारी की गई।

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