राष्ट्रपति ने कहा, मिलकर विचार करने, एकजुट होकर कार्य करने तथा साथ-साथ विकास से हमारे राष्ट्र की समस्याओं को सफलतापूर्वक निपटाया जा सकता है
राष्ट्रपति भवन : 14.12.2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (14 दिसंबर, 2015) कोलकाता में एशियाटिक सोसायटी इंदिरा गांधी स्मृति व्याख्यान दिया।

‘राष्ट्रीय अखंडता’ विषय पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने अपने विशाल आकार और असीम विविधता के बावजूद सदियों से उल्लेखनीय एकता और अस्मिता को कायम रखा है। भारत के विकास के विचार के लिए राष्ट्रीय अखंडता अत्यावश्यक है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रभावी भागीदार के तौर पर भारत के उभरने से मिलकर विचार करने, एकजुट होकर कार्य करने तथा साथ-साथ विकास से 1.28 बिलियन आबादी वाले हमारे राष्ट्र की समस्याओं को सफलतापूर्वक निपटाया जा सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय एकता की नींव सभी भारतीयों के मन और हृदय में डालनी होगी। इस देश के प्रत्येक नागरिक को जानना चाहिए कि भारत क्या है और रहा है। उसे हमारे दीर्घ इतिहास तथा इस धरती पर पनपी महान सभ्यता की पूरी जानकारी होनी चाहिए। सभी भारतीयों को इन लोगों के बारे में जानना चाहिए जो विश्व के विभिन्न भागों से आए और जिन्होंने भारतीय संस्कृति की उत्कृष्ट बनावट में अपना योगदान दिया। यहां जन्म लेने वाले विभिन्न पंथों और महान संतों का ज्ञान प्रत्येक शिक्षा का प्रमुख भाग होना चाहिए। सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि हमारे लोगों, जातीयताओं, भाषाओं और संस्कृतियों की व्यापक विविधता के बीच हमें एक सूत्र में बांधने वाली मूल एकता प्रत्येक नागरिक विशेषकर युवाओं में संचारित करनी चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय एकता के लिए जरूरी है कि प्रत्येक नागरिक व्यक्तिगत या सामूहिक हित के ऊपर राष्ट्रीय हित की प्रमुखता दे। यदा-कदा क्षेत्रीय हित राष्ट्रीय हित के प्रति हमारी निष्ठा पर हावी हो जाते हैं, परंतु हमें ऐसी प्रवृत्ति से बचना चाहिए। हमें अपने सभी नागरिकों में व्यापक मानव दृष्टिकोण को प्रोत्साहन देना चाहिए तथा उन्हें जातिगत और सांप्रदायिक प्रतिबद्धता से ऊपर उठने के लिए उन्हें जागरूक बनाना चाहिए। हमें अल्पसंख्यकों के अधिकारों और संवेदना दोनों का शब्दश: और भावना से सम्मान करना चाहिए। हमें एक पंथ निरपेक्ष और लोकतांत्रिक नज़रिया पैदा करना चाहिए और समावेशी तौर तरीके को बढ़ावा देना चाहिए तथा नागरिक कर्त्तव्यों और अधिकारों तथा दायित्वों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। हमें ऐसा माहौल कायम करना चाहिए जहां प्रत्येक समुदाय स्वयं को राष्ट्रीय गाथा का एक हिस्सा समझे।

राष्ट्रपति ने कहा कि यदि भारत को विकास की चुनौतियों को पूरा करना है तथा राष्ट्रों की पंक्ति में एक सम्मानजनक स्थान बनाना है तो इसके नागरिकों को उत्पादन बढ़ाने, सभी लोगों के बीच सम्पत्ति तथा सेवाओं के समान वितरण के निरंतर प्रयास करने चाहिए। उन्हें राष्ट्रीय प्रगति तथा एक महान भारत की साझी संकल्पना प्राप्त करने के अनवरत प्रयास करने होंगे।

यह विज्ञप्ति 1040 बजे जारी की गई।

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