राष्ट्रपति ने कहा, किसी भी लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए निर्वाचन प्रक्रिया में मतदाता की भागीदारी अत्यावश्यक है
राष्ट्रपति भवन : 25.01.2016

भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (25 जनवरी, 2016) नई दिल्ली में छठे राष्ट्रीय मतदाता दिवस समारोह में भाग लिया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय मतदाता दिवस परस्पर दायित्व का बोध करवाता है। वास्तव में, भारत निर्वाचन आयोग का यह सुनिश्चित करवाने का कर्तव्य है कि सभी योग्य मतदाता सूची में शामिल हों। यह एक भारी और अनवरत कार्य है। परंतु मतदाताओं के रूप में स्वयं को सूची में शामिल करवाना नागरिकों का भी बराबर का दायित्व है। किसी भी लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए निर्वाचन प्रक्रिया में मतदाता की भागीदारी अत्यावश्यक है। मतदाताओं की भागीदारी का स्तर जनता के लोकतंत्र में विश्वास और आस्था के स्तर को प्रतिबिंबित करता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत निर्वाचन आयोग का 67वां स्थापना दिवस भी है। यह संवैधानिक संस्था, प्रथम गणतंत्र दिवस समारोह से मात्र एक दिन पहले 25 जनवरी, 1950 को अस्तित्व में आई। यह एक महत्त्वपूर्ण घटना है जो दर्शाती है कि हमने जनादेश से भारतीय गणतंत्र प्राप्त किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि चुनाव लोकतंत्र के पर्व हैं। ये केवल एक विराट प्रशासनिक कार्य नहीं है। उन्हें प्रसन्नता है कि निर्वाचन आयोग लोगों, विशेषकर हमारे युवाओं तक पहुंचने के लिए नवान्वेषी तरीके अपना रहा है। यद्यपि सोशल मीडिया और इंटरनेट ने हमारे युवाओं में जाग्रति फैलाई है परंतु इन डिजीटल अवसरों के दायरे से बाहर अन्य तरीकों पर भी विशेष ध्यान देना होगा। संविधान के अनुच्छेद 326 में मतदान के लिए न्यूनतम पात्रता आयु 21 वर्ष निर्धारित कर दी गई थी। परंतु लगातार यह मांग की जा रही थी कि मतदान की आयु कम होनी चाहिए। अंतत: संविधान संशोधन (इकसठ) अधिनियम में न्यूनतम पात्रता आयु 18 वर्ष कर दी गई। नवम्बर, 1989 में लोक सभा के आम चुनाव में 18 से 21 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 35.7 मिलियन मतदाताओं ने हिस्सा लिया और अपने निर्वाचन अधिकार का प्रयोग किया। 2014 में 16वें आम चुनावों में 23.16 मिलियन मतदाता केवल 18 से 19 वर्ष के आयु समूह के थे। वास्तव में, वे राष्ट्रीय मतदाताओं का 2.8 प्रतिशत हिस्सा थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि समुचित मतदाता जागरूकता और चुनावी भागीदारी—स्वीप का, 2009 के लोक सभा के चुनावों के बाद भारत निर्वाचन आयोग द्वारा आरंभ आई ई सी के पहलों से जन्म हुआ। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि आयोग का मतदाता जागरूकता कार्यक्रम मतदाताओं के रूप में अभी तक पात्र नहीं बने, संभावित मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए देश के प्रत्येक नागरिक तक पहुंचने के प्रयास के साथ मतदान केंद्रों तक फैल गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मतदाताओं को लुभाने के लिए धन और बाहुबल का प्रयोग चिंता का विषय है। यदि इन गलत तरीकों पर रोक नहीं लगाई गई तो लोकतंत्र की भावना का दमन हो जाएगा। यह सराहनीय है कि चुनाव आयोग ने नैतिक और जागरूक मतदान को बढ़ावा देने के लिए पहल की है। अपनी पहुंच बढ़ाने तथा योग्य मतदाताओं की मदद के लिए निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल आरंभ किया जो ऑन लाइन पंजीकरण, मतदाता सूचियों में नाम की खोज, मतदान केंद्रों का पता लगाने तथा अन्य संबंधित सहयोग जैसी अनेक सेवाएं उपलब्ध करवाता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत विश्व का विशाल सक्रिय लोकतंत्र है। जब नव स्वतंत्र भारत ने चुनाव का आधार सभी वयस्कों के मताधिकार को बनाया तो सभी इसकी कार्यान्वयन क्षमता के बारे में आश्वस्त नहीं थे। तथापि जिस सफलता के साथ शुरुआती चुनाव आयोजित किए गए उससे ये अटकलें शांत हो गईं। उसके बाद से, चुनाव आयोग वर्षों से सफलतापूर्वक चुनाव करवा रहा है तथा चुनावों में भागीदारी से संबंधित कमियों को दूर कर रहा है। उन्होंने नवान्वेषी परिवर्तन के लिए चुनाव आयोग को बधाई दी। उन्होंने हाल ही में राष्ट्रीय मतदाता दिवस से पूर्व नई दिल्ली में आयोजित ‘मतदाता महोत्सव’ मनाने की पहल के लिए भी आयोग की सराहना की। उन्होंने अंत में कहा कि मतदाता भागीदारी के कार्य में योगदान के लिए वह चुनाव प्रक्रिया के उच्चासीन ही नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले लोगों की भी प्रशंसा करते हैं। उन्होंने नए बने मतदाताओं को भी बधाई दी जिन्हें उन्होंने मतदाता फोटो पहचान पत्र बांटे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वे बिना किसी डर अथवा पक्षपात के समझदारी के साथ अपने अधिकारों का प्रयोग करेंगे।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने ‘बिलिफ इन द बैलेट’ की प्रथम प्रति भी प्राप्त की। यह पुस्तक भारत के चुनाव आयोग द्वारा लोकार्पित और प्रकाशन विभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित की गई है।

 

यह विज्ञप्ति 1700 बजे जारी की गई

 

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