राष्ट्रपति ने कहा कि स्वदेशी हस्तशिल्प भारतीय जीवन शैली का अभिलषित पहलू है
राष्ट्रपति भवन : 09.12.2016

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (09 दिसंबर, 2016) वर्ष 2015 के लिए श्रेष्ठ शिल्पकारों को राष्ट्रीय पुरस्कार और शिल्प गुरु पुरस्कार से सम्मानित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि आज प्रदान किए गए पुरस्कारों के द्वारा शिल्पकारों को मान्यता देते हुए हम इस क्षेत्र में नवोन्वेष और रचनात्मकता को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने कला की श्रेष्ठ कृतियों की रचना करने और भारत को श्रेष्ठ शिल्पकारों का हब बनाने के लिए इन महत्वपूर्ण पुरस्कारों के द्वारा संवर्धन करने के लिए वस्त्र मंत्रालय की प्रशंसा की। उन्होंने कहा स्वदेशी हस्तशिल्प भारतीय जीवन शैली का अभिलषित पहलू है। उनका विस्तृत फैलाव हमारे देश की अनेकता और असीमित रचनात्मकता को प्रतिबिंबित करता है। हमारे विशाल देश के प्रत्येक क्षेत्र की अपनी अनूठी शैली और परंपरा है। ये आधार समाज के प्राचीन जीवन लय से जन्म लेते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि अच्छे उत्पाद की एक अंतरराष्ट्रीय पहुंच होती है। वर्ष 2015-16 में 16 प्रतिशत हस्तशिल्प निर्यात में बढ़ोतरी इस क्षेत्र द्वारा हमारे निर्यात बास्केट में महत्व होने का संकेत है। इस क्षेत्र का पूर्ण दोहन किए जाने के लिए सक्रिय उपाय करने की आवश्यकता है। स्वदेशी और अंतरराष्ट्रीय बाजार दोनों में ही उत्पाद के प्रोत्साहन देने से इसके भौगोलिक पहुंच, पैमाने की अर्थव्यवस्था की उपलब्धि और उत्पादन को अधिक व्यवहार्य करने में सहायता मिलेगी। लाभकारी बाजार संपर्क विकसित करने और बैंक ऋण तक आसानी से पहुंच सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत समर्थन की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि क्षमता निर्माण और कौशलपूर्ति के लिए अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। ‘गुरु-शिष्य परंपरा’ हमारी पारंपरिक कला और शिल्प का एक महत्वपूर्ण पहलू रही है। सदियों से श्रेष्ठ शिल्कारों को अपनी अनुवर्ती पीढ़ीयों को अपने कौशल उत्तराधिकार में देने का गौरव प्राप्त है। हस्तशिल्प में ज्ञान की लंबी परंपरा को अंतरित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त ललित कलाओं में कौशल सिखाने के लिए एक समग्र पाठ्यक्रम का अनुसरण करने के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली अच्छे ढंग से कार्य करेगी। इससे अनेक छात्रों में छुपी हुई प्रतिभा और कौशल का पता लगाया जा सकेगा।

यह विज्ञप्ति 1930 बजे जारी की गई।

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