राष्ट्रपति ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत की लुक ईस्ट विदेश नीति का अहम् भागीदार है।
राष्ट्रपति भवन : 29.11.2013

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (29 नवंबर, 2013) ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश विधान सभा के सदस्यों को संबोधित किया।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश, भारत के पूर्वोत्तर भाग का अभिन्न और महत्त्वपूर्ण हिस्सा है तथा भारत की लुक ईस्ट विदेश नीति का अहम भागीदार है। भारत का पूर्वोत्तर, भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच प्राकृतिक सेतु उपलब्ध कराता है। भारत की लुक ईस्ट नीति का बुनियादी दर्शन यह है कि हमें, अपने एशियाई साझीदारों तथा शेष विश्व के साथ अधिकाधिक जुड़कर अपने भविष्य को साकार बनाने का प्रयास करना चाहिए। हम अपने पड़ोसियों को अपने विकास में साझीदार बनाना चाहते हैं। हम यह मानते हैं कि भारत के भविष्य तथा हमारे बेहतर आर्थिक हितों को एशिया के साथ प्रगाढ़ एकीकरण द्वारा अधिक फायदा होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व के स्थलों की बहुतायत है। इसका उल्लेख पुराणों और महाभारत में भी मिलता है। यह माना जाता है कि यहां पर ऋषि परशुराम ने अपने पापों से छुटकारा पाया, ऋषि व्यास ने तपस्या की, राजा भीष्मक ने अपने राज्य की स्थापना की तथा भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी रुक्मिणी से विवाह किया। अरुणाचल प्रदेश में 400 वर्ष पुराना तवांग बौद्ध मठ है तथा यहीं पर छठे दलाई लामा, त्सांग्यांग ग्यात्सो का जन्म हुआ।

इस बात का उल्लेख करते हुए कि आपसी परामर्श के आधार पर निर्णय लेने की परंपरा भारत में प्राचीन काल से ही रही है, राष्ट्रपति ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश की जनता ने भी अपनी-अपनी जनजातियों के प्रथागत तथा परंपरागत कानूनों के द्वारा खुद पर शासन किया है। बुलियांग, केबांग, मौचुक जैसी संस्थाएं ऐसी लोकतांत्रिक संस्थाएं थी जो लोगों की इच्छा तथा शक्ति की अभिव्यक्ति से अपना प्राधिकार प्राप्त करती थी। ये प्रणालियां अभी जारी हैं तथा आज भी प्रतिनिधित्वात्मक लोकतंत्र की आधुनिक प्रणाली के साथ-साथ कार्यरत हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को आज एक सफल आधुनिक सांविधानिक संसदीय लोकतंत्र का आदर्श मॉडल माना जाता है। यह सच्चाई भी सभी जानते हैं कि हम एक ऐसे बहुलवादी तथा विविधतापूर्ण समाज में रहते हैं जो कि विभिन्न प्रकार की चुनौतियों से जूझ रहा है। जब हमने स्वतंत्र भारत के शासन के मॉडल के रूप में संसदीय लोकतंत्र का विकल्प अपनाया तो विश्व हमें अविश्वास तथा संदेह की नजर से देख रहा था। परंतु हमने विनाश की भविष्यवाणी करने वालों को गलत सिद्ध कर दिया तथा अपनी अखंडता बनाए रखी, एक अत्यंत सफल लोकतंत्र को स्थापित किया तथा एक तीव्र आर्थिक प्रगति दर्ज की है।

राष्ट्रपति ने कहा कि संसद तथा विधायिका वह आधारशिलाएं हैं जिन पर हमारी लोकतांत्रिक राजव्यवस्था का भवन खड़ा है। एक प्रतिनिधित्वात्मक लोकतंत्र का एक बुनियादी लक्ष्य यह देखना होता है कि शासन का संचालन करते समय लोगों के हितों, उनकी जरूरतों तथा उनकी आकांक्षाओं को ध्यान में रखा जाए। संसदीय लोकतंत्र में विधायिका जनता की संप्रभुतात्मक इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश विधान सभा का आह्वान किया कि वह लोकतांत्रिक परिपाटी के उच्चतम मानदंडों को बनाए रखे तथा खुद को पूर्णत: जनता के कल्याण के लिए समर्पित करे।

यह विज्ञप्ति 1815 बजे जारी की गई।

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