राष्ट्रपति भवन : 30.11.2015
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (30नवम्बर, 2015) खेड़ा, गुजरात में एक अत्याधुनिक पशु आहार उत्पादन संयंत्र का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि अमूल वास्तव में भारत का गौरव है। यह नि:स्वार्थ समर्पण और दूरदर्शी नेतृत्व की भावना का प्रतीक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह किसान नेताओं, पेशेवरों और अन्य भागीदारों की वर्तमान पीढ़ी का दायित्व है कि वह अमूल क्रांति का इस प्रकार विस्तार करे कि सभी किसान लाभान्वित हों। उन्होंने सभी का यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि यह विश्व स्तरीय संस्थान उसी उत्साह और निष्ठा तथा संस्थापकों द्वारा अमूल में संचारित निष्ठा, कौशल और ईमानदारी के मूल्यों के साथ प्रगति करता रहे।
राष्ट्रपति ने कहा कि 1946 से दूध की ‘बूंद’ से ‘बाढ़’ तक की अमूल की यात्रा चुनौतीपूर्ण थी। यह किसानों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील और सक्रिय होने तथा बदलती परिस्थितियों के अनुसार गतिशील बनने की अमूल की योग्यता के कारण संभव हुआ। डेयरी सहकारी आंदोलन से उत्पन्न ‘अमूल मॉडल’ या ‘आणंद प्रतिरूप’ नामक संस्थागत ढांचे ने गरीब से गरीब किसानों को शामिल करते हुए इसे बिलियन रुपये मूल्य का ब्रांड बना दिया। अमूल ने संभार नवान्वेषण के जरिए पूरे देश में उच्च गुणवत्तापूर्ण,पैकेज वाले दूध तथा डेयरी उत्पादों की सुगम उपलब्धता सुनिश्चित की है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज अमूल एशिया का सबसे विशालतम तरल दुग्ध ब्रांड तथा भारत का सबसे विशाल खाद्य ब्रांड है। यह भारत के डेयरी उत्पादों का विशालतम निर्यातक भी है। राष्ट्रपति ने अमूल परिवार के 3.6 मिलियन किसानों के शानदार योगदान की सराहना की तथा 150 मिलियन भारतीय दुग्ध उत्पादकों को राष्ट्र निर्माण के उनके प्रयासों के लिए नमन किया। राष्ट्रपति ने कहा कि इनकी निष्ठा, सच्चाई, त्याग और परिश्रम से दुग्ध और डेयरी उत्पादों के प्रमुख क्षेत्रों में हमारे देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विगत एक वर्ष के दौरान, वैश्विक डेयरी उत्पाद कीमतों में तेज गिरावट से विश्वभर में 20 से 50 प्रतिशत तक डेयरी किसानों की दूध की कीमतों में कमी आई है। सुखद तुलना यह है कि अमूल डेयरी से जुड़े किसानों को अपनी सहकारी संस्था में दिए गए दुग्ध की ऊंची कीमतें प्राप्त हुई हैं। अमूल के अग्रणी किसानों की सहयोग भावना ने संपूर्ण राष्ट्र में बदलाव लाते हुए ग्रामीण भारत में सामाजिक-आर्थिक क्रांति आरंभ कर दी है। अमूल प्रयोग किसानों के ज्ञान,लोकतांत्रिक ढांचे,पेशेवर प्रबंधन तथा उपयुक्त प्रौद्योगिकी के अभिग्रहण का मिश्रण है। यह अनुकरणीय मॉडल है तथा इसे अपनाने से हमारे कृषक समुदाय के सम्मुख अन्य क्षेत्रों की समस्याओं पर ध्यान देने में मदद मिल सकती है।
यह विज्ञप्ति15:32 बजे जारी की गई।