राष्ट्रपति ने कहा, भारतीय मीडिया ने सदैव अपना विश्वास व्यक्त करने के लिए व्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन किया है
राष्ट्रपति भवन : 26.11.2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (26 नवम्बर, 2015) स्वर्गीय श्री के.एम. मैथ्यू, मलयाला मनोरमा के पूर्व संपादक और प्रकाशक की आत्मकथा ‘द एट्थ रिंग’ पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद की प्रथम प्रति ग्रहण की। इस पुस्तक का श्री मामेन मैथ्यू, मुख्य संपादक, मलयाला मनोरमा द्वारा लोकार्पण किया गया है। विख्यात निर्णायक एवं पूर्व सांसद श्री फली एस. नरीमन तथा एन.डी. टी.वी. के अध्यक्ष, डॉ. प्रणव रॉय ने भी इस अवसर पर विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय मीडिया ने सदैव अपना विश्वास व्यक्त करने के लिए व्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन किया है। उन्होंने विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर समझौता न करने के लिए मीडिया का नमन किया। उन्होंने कहा कि भारतीय पत्रकारिता का इतिहास स्वतंत्रता आंदोलन के साथ जुड़ा हुआ है। ईस्ट इंडिया कंपनी के दौरान प्रकाशित हिक्कीज गजेट के समय से, मीडिया ने जनसाधारण की समस्याओं को उजागर किया है। अधिकांश राष्ट्रीय नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान समाचारपत्रों की स्थापना की अथवा वे इनसे घनिष्ठता से जुड़े रहे। अक्तूबर, 1937 में जवाहरलाल नेहरू ने छद्म नाम से मॉडर्न रिव्यू ऑफ कलकत्ता में लिखा और तानाशाही प्रवृत्तियों के लिए स्वयं की आलोचना की। लोग अचंभित थे कि किसने नेहरू की आलोचना करने की हिम्मत की है। यह काफी बाद में लोगों को पता लगा कि नेहरू ने स्वयं आलोचना को प्रोत्साहन देने के लिए लेख लिखा था।

राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि भारतीय मीडिया ने सदैव तानाशाही प्रवृत्तियों का मुकाबला किया है। उन्हें विश्वास था कि वे प्रौद्योगिकी द्वारा पैदा की गई चुनौतियों सहित सभी वर्तमान चुनौतियों पर पार पाने में सफल होंगे। उन्होंने पत्रकारिता को एक मिशन मानने तथा समाज के प्रति वचनबद्धता के लिए मनोरमा समूह की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मनोरमा समूह ने श्री के.एम. मैथ्यू द्वारा स्थापित उच्च मूल्यों को कायम रखने और उन्हें बढ़ाने के लिए असाधारण नेतृत्व का प्रदर्शन किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि वह अपने सार्वजनिक जीवन के शुरुआती दिनों से श्री के.एम. मैथ्यू को व्यक्तिगत रूप से जानते थे। वह लम्बे समय से मलयाला मनोरमा समूह से परिचित रहे हैं तथा 2013 में उन्होंने कोट्टायम में 125वें वर्ष समारोह में भाग लिया था। मलयाला मनोरमा ने अनगिनत प्रकाशनों, टी.वी. और रेडियो चैनलों सहित मीडिया जगत में एक उल्लेखनीय मौजूदगी स्थापित की हैं। उन्हें मनोरमा ईयर बुक से विशेष प्रेम था तथा वह प्रत्येक वर्ष बंगाली संस्करण के प्रकाशन की उत्सुकता से प्रतीक्षा किया करते थे।

यह विज्ञप्ति 15:35 बजे जारी की गई।

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.