राष्ट्रपति भवन : 09.02.2016
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज 09 फरवरी 2016 को 47वें राज्यपाल सम्मेलन का आरंभ किया। इस सम्मेलन में राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों के 23 राज्यपालों के और उपराज्यपालों ने भाग लिया। अपने आरंभिक संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा देश आजादी से लेकर निरंतर मजबूत हुआ है। यह प्रारंभिक रूप से हमारे संविधान में निहित सिद्धांतों से प्रत्यक्ष जुड़े रहने के कारण है। यह एक स्थायी दस्तावेज है जिसमें हमारी आकांक्षाएं और उन्हें प्राप्त करने की मार्गों की समाहित रूप से झलक दिखाई पड़ती है। हम सभी पर, जो संवैधानिक पदों पर आसीन हैं, इस पावन मूल पाठ की पवित्रता बनाए रखने की जिम्मेदारी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि 2015 एक कठिन वर्ष था हमें वैश्विक आर्थिक गिरावट, जलवायु परिवर्तन और आंतरिक और बाह्य सुरक्षा से चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय सीमा वाले देश उन आतंकवादी हमलों से प्रभावित हुए जिनके स्पष्ट बाह्य संबंध थे। विस्फोटक बाह्य सुरक्षा पर्यावरण ने हम सब पर यह जिम्मेदारी लादी है कि हम अपने रक्षा क्षमताओं का उन्नयन करें; साथ ही शांतिपूर्ण वार्ता और समझौतों के द्वारा हम सभी असाधारण अंतरराष्ट्रीय मसलों को सुलझाने के निरंतर प्रयास करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत लगातार दो कम मॉनसून वाले सूखे के अत्यंत बुरे प्रभाव से गुजर रहा है। इससे आगे,कृषि उत्पादन को कुप्रभावित करने वाला और भी अधिक शुष्क समय आने वाला है। किसान विपत्ति को युद्ध स्तर पर निपटाया जाना है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का उद्देश्य किसान उपयोगी प्रौद्योगिकी के प्रभावी जोखिम को कवर करना है। जलवायु लचीलेपन के विकास के लिए हमें कृषि अनुसंधान संस्थाओं को सूखायुक्त खाद्यान और अन्य खाद्य वस्तुओं की किस्मों के विकास के लिए कहना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार की योजनाएं जैसे मेक इन इंडिया,स्टार्ट अप इंडिया,स्मार्ट सिटी मिशन और स्वच्छ भारत मिशन को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए इन्हें राज्य सरकारों की निकट साझीदारी से चलाए जाने की आवश्यकता है। अपने-अपने राज्यों के संवैधानिक प्रमुख होने की हैसियत से राज्यपाल उनके सक्रिय सहयोग को सुनिश्चित करने में एक प्रेरणादायक भूमिका निभा सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि 320 राज्य सरकारी विश्वविद्यालय और 140 से भी अधिक राज्य निजी विश्वविद्यालय हैं। राज्यपाल इन संस्थाओं में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने में प्रेरक भूमिका निभा सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस देश के नागरिकों को एक स्वस्थ, खुशहाल और सफल जीवन जीने का अधिकार है। हमारे शहरों में निराशाजनक प्रदूषण स्तर द्वारा इन अधिकारों में दरार दिखाई पड़ती है। पर्यावरण के खतरे को कम करने के लिए सर्वांगीण परिवर्तन की आवश्यकता है जिसकी स्थिरता केवल तभी सुनिश्चित की जा सकती है यदि लोग सक्रिय भागीदार बन जाएं। राज्यपाल ऐसे प्रयासों में एक उत्प्रेरक की भूमिका निभा सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि रिकॉर्ड किए गए इतिहास में 2015 को सबसे अधिक गर्म वर्ष घोषित किया गया है, इसके साथ जलवायु परिवर्तन नीति निर्धारण में अहम स्थान पर पहुंच गया है। इसके बुरे प्रभाव हाल ही में प्रकृति के असामान्य व्यवहार में दृष्टिगत हैं। अपूर्व बाढ़ जिसने पिछले वर्ष दिसम्बर में चेन्नई को जलमग्न कर दिया था, ने अव्यक्त मानव त्रासदी और आर्थिक क्षति को जन्म दिया है। हमें अपनी आपदा प्रबंधन प्रणालियों को और अधिक कुशल बनाना चाहिए और उन्हें क्षति को कम करने के लिए तैयारी की स्थिति में रखना चाहिए और जब भी कुदरत का कहर पड़े तो राहत प्रदान करने के लिए तैयारी की स्थिति में रहना चाहिए।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में भागीदार गणमान्यों में उपराष्ट्रपति; प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री,विदेश मंत्री,उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और नीति आयोग के उपाध्यक्ष शामिल थे।
सम्मेलन के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री, शहरी विकास, रक्षा, मानव संसाधन विकास; श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार),वाणिज्य एंव उद्योग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की भी राज्यपालों को संबोधित करने की अपेक्षा है। राज्यपालों के दो दिवसीय सम्मेलन के एजेंडा में (क) सुरक्षा, आंतरिक और बाह्य, जिसमें आतंकवाद और उग्रवादी गतिविधियों पर विशेष ध्यान दिया गया है; (ख) युवाओं के लिए रोजगार सृजन : स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के लिए कौशल विकास पर विशेष ध्यान; (ग) स्वच्छ भारत अभियान, 2022 तक सबसे के लिए आवास और स्मार्ट सिटिज के फ्लैगशिप कार्यक्रम का कार्यान्वयन; (घ) उच्चतर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार;(ड.) ‘मेक इन इंडिया कार्यक्रम और रोजगारिता पर बल देना’और (च) एक्ट ईस्ट पॉलिसी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों का विकास शामिल है।
यह विज्ञप्ति 1030 बजे जारी की गई।