राष्ट्रपति भवन : 08.05.2015
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत के इतिहास के कठिन क्षणों में रूस शक्ति का स्तंभ बना रहा है। वह आज (08 मई 2015) मास्को में डिप्लोमेटिक एकेडमी ऑफ द रसियन मिनिस्ट्री ऑफ फॉरेन अफेयर्स में अकेडमी से मानद डॉक्टरेट प्राप्त करने के बाद मुख्य व्याख्यान दे रहे थे।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि भारत-रूस संबंध,जो हमारे परस्पर ऐतिहासिक अनुभवों, सांस्कृतिक निकटता, राजनीतिक तालमेल तथा आर्थिक अवसरों से बने हैं अस्थाई राजनीतिक रुझानों की हवाओं से प्रभावित नहीं होंगे। रूस ने भारत के विकास,प्रगति तथा सुरक्षा में योगदान दिया है। भारत सदैव इस समर्थन का प्रत्युत्तर देगा। भारत के समाज तथा इसके राजनीतिक ढांचे के परिवेश में यह सर्वसम्मति मौजूद है कि रूस के साथ मैत्री भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। भारत रक्षा, परमाणु, ऊर्जा तथा सुरक्षा के क्षेत्र में रूस के साथ अपने प्रगाढ़ तथा विस्तृत सहयोग को मूल्यवान मानता है। रूस हमारा सबसे महत्वपूर्ण रक्षा साझीदार है और रहेगा। यह हमारी ऊर्जा सुरक्षा का भी प्रमुख साझीदार है तथा भारत में परमाणु ऊर्जा उत्पादन के विकास में अपनी प्रमुख भूमिका को आगे बढ़ा रहा है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि भारत-रूस की कार्यनीतिक साझीदारी का अधिकांश श्रेय राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को जाता है। उनकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता से दोनों देशों के संबंधों में नई ऊंचाई आई है। भारत,राष्ट्रपति पुतिन को भारत का एक महान मित्र मानता है। वह इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति पुतिन के साथ अपने सहयोग का नवीकृत करने की आशा करते हैं।
यह विज्ञप्ति 1600 बजे जारी की गई।