राष्ट्रपति के अनुसार, प्रगति और व्यक्ति की आन्तरिक आवश्यकताओं के बीच संतुलनकर्ता के रूप में संस्कृति की महत्त्वपूर्ण भूमिका
राष्ट्रपति भवन : 19.11.2012

भारत के राष्ट्रपति ने 19 नवम्बर 2012 को पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की 95वीं वर्षगांठ के मौके पर राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के रजत जयंती समारोह का उद्घाटन किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत, ठोस आर्थिक प्रगति और वैज्ञानिक विकास के द्वार पर खड़ा है इसलिए प्रगति और व्यक्ति की आन्तरिक आवश्यकताओं, उसकी अध्यात्मिक खोज और भौतिक आकांक्षाओं के बीच, प्रौद्योगिक प्रगति और पारिस्थितिक समानता कायम रखने की जरुरत के बीच संतुलनकर्त्ता के तौर पर संस्कृति की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

उनका कहना था कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र जैसी संस्थाओं की भूमिका इस सन्दर्भ में और अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र जैसी संस्थाओं को विभिन्न भागीदारों के बीच एक रचनात्मक और सार्थक संवाद स्थापित करने के नए तरीके खोजने और पुन: अन्वेषण करने तथा विकास चर्चा में सास्कृतिक आयामों को जोड़ने की निरंतर आवश्यकता है।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के वर्षो के दौरान शानदार योगदान की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रपति सचिवालय वर्तमान में राष्ट्रपति भवन के पुरातात्विक इतिहास, इसके निर्माण, इसकी कला और सांस्कृतिक शिल्पकृति के विभिन्न पहलुओं पर एक बहुखंडीय परियोजना के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के साथ सहयोग कर रहा है। उन्होंने परियोजना के सफल होने की कामना की।

राष्ट्रपति ने अकादमिक प्रयासों के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र को शुभकामनाएं दी और आशा व्यक्त की कि भारत और विदेश दोनों में विश्वविद्यालयों और संस्थाओं के साथ इसका नेटवर्क और बढ़ेगा। उन्हें विश्वास था कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, अपने ट्रस्ट के योग्य मार्गदर्शन में उत्कृष्टता की यात्रा पर निरंतर अग्रसर रहेगा।

इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगों में केन्द्रीय संस्कृति मंत्री सुश्री चंद्रेश कुमारी कटोच शामिल थीं।

यह विज्ञप्ति 1350 बजे जारी की गई

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