राष्ट्रपति भवन : 30.12.2012
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि डॉ. के.एम. मुंशी यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि उनके समय का और भविष्य का प्रत्येक युवा भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को समाविष्ट करे और उससे लाभान्वित हो। उन्होंने मुंशीजी को सच्चा स्वप्नद्रष्टा, संस्था-निर्माता और भारत का एक महान सपूत बताया।
राष्ट्रपति आज (30 दिसम्बर, 2012) को मुंबई में भारतीय विद्या भवन की प्लेटिनम जयंती व डॉ. के.एम. मुंशी की 125वीं जन्म जयंती पर बोल रहे थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय विद्या भवन जैसे आंदोलन समय की जरूरत हैं। भवन समय की कसौटी पर खरा उतरा है और इसने संतुलित और समृद्ध जीवन जीने की राह पर भारतीयों और विदेशियों, दोनों का मार्गदर्शन किया है। भारतीय विद्या भवन ने दैनिक जीवन में नैतिक तथा आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा देने के मुंशी जी के स्वप्न को सफलतापूर्वक साकार किया है।
इस अवसर पर, भारतीय विद्या भवन ने श्रीमती किशोरी अमोनकर, श्रीमती इला रमेश भट्ट और श्री नारायणमूर्ति को देश और विदेश के लोगों के प्रति उल्लेखनीय सेवा के लिए मानद सदस्यता प्रदान की।
यह विज्ञप्ति 1815 बजे जारी की गई