राष्ट्रपति भवन : 09.11.2012
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कारीगरों और बुनकरों की नैसर्गिक क्षमता का प्रयोग करने के लिए, भारत और विदेशी बाजारों में हथकरघों और हस्तशिल्प की पहुंच हेतु निरंतर प्रयास करने का आग्रह किया। वह आज (9 नवम्बर, 2012) को राष्ट्रीय पुरस्कार, शिल्प गुरु पुरस्कार और संत कबीर पुरस्कार प्रदान करने के अवसर पर बोल रहे थे।
राष्ट्रपति ने हथकरघों को राष्ट्रीय विरासत का एक मूल्यवान हिस्सा बताया और कहा कि यह समृद्ध विरासत बुनाई की प्राचीन परंपरा से जुड़े पेशेवर रूप से कुशल बुनकर परिवारों द्वारा जीवित रही है। भारत के प्रत्येक हिस्से, प्रत्येक प्रांत, जिले और प्रत्येक गांव की अपनी-अपनी सहेजी हुई शिल्प परंपरा है।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने हमारे देश की पारंपरिक और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, प्रोत्साहन और समृद्धि में योगदान के लिए सभी उपस्थित पुरस्कृतों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि उनकी कारीगरी को दिए गए सम्मान से दूसरे लोग भी मेहनत करने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित होंगे तथा देश भर के कारीगरों और बुनकरों को समृद्ध बनाने के उनके प्रयासों का अनुकरण करेंगे।
केन्द्रीय वस्त्र और वाणिज्य मंत्री श्री आनंद शर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
यह विज्ञप्ति 1430 बजे जारी की गई