राष्ट्रपति का, भारत और विश्वभारती से टैगोर के एक ऐसे विश्व की संकल्पना को साकार करने का आग्रह जो ‘संकीर्ण घरेलू दीवारों से टुकड़ों में विभाजित न हो’
राष्ट्रपति भवन : 19.12.2012

भारत के राष्ट्रपति, ने आज (19 दिसम्बर, 2012) विश्व भारती, शांति निकेतन में कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया। शताब्दी समारोह का आरंभ विश्वभारती, शांतिनिकेतन तथा चीनी अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सेमिनार ‘वाइब्रेशन बिटवीन टैगोर एंड द वर्ल्ड : कल्चर एंड लिटरेचर विद स्पेशल रेफरेंस टू चाइना’ से हुआ।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने गुरुदेव की 150वीं जयंती मनाते समय प्रदर्शित वैश्विक सहयोग और समावेशिता की सच्ची भावना तथा सम्पूर्ण विश्व के समक्ष टैगोर की संकल्पना, उपलब्धियों और कृतियों को लाने के लिए विश्व भारती को बधाई दी। राष्ट्रपति ने भारत और विश्वभारती से आग्रह किया कि वे टैगोर की एक ऐसे विश्व की संकल्पना को साकार करें जो ‘संकीर्ण घरेलू दीवारों से टुकड़ों में विभाजित न हो।’

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और चीन वैश्विक आदान-प्रदान के एक ऐसे रोमांचकारी दौर से गुजर रहे हैं जहां विश्व कल्याण के विचारों और संसाधनों के प्रयोग से विश्व शांति व कल्याण को प्रमुख आधार मिल सकता है। यह सेमिनार एक व्यक्ति को नोबेल पुरस्कार प्राप्त होने की खुशी मनाने के लिए ही नहीं बल्कि आदान-प्रदान, सहयोग और बहुसंस्कृतिवाद के विचार की शक्ति पर गौरवान्वित होने के लिए आयोजित किया गया है।

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