राष्ट्रपति जी ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे सत्य ज्ञान तथा कठोर परिश्रम को जीवन भर अपना साथी बना कर रखें
राष्ट्रपति भवन : 07.09.2013

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (7 सितम्बर, 2013) भुवनेश्वर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के द्वितीय दीक्षांत समारोह में भाग लिया।

विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अब, जब वे अपने शिक्षा संस्थान से प्रस्थान कर रहे हैं, उन्हें यह याद रखना चाहिए कि जीवन में सहयोग भी उतना ही जरूरी है जितनी प्रतिस्पर्धा। उनके पेशेवर जीवन में उनको सौंपे गए कार्यों को करने के लिए बहुत से मस्तिष्कों को एक साथ काम करना होगा। उन्हें टीम के सदस्य के रूप में काम करना सीखना चाहिए। विभिन्न तरह की विचारधाराओं के प्रति सहनशीलता विकसित करनी चाहिए। उन्हें विनम्र होना चाहिए। उन्हें अपने सहयोगियों का आदर करना तथा उनको समझना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे सत्य, ज्ञान तथा कठिन परिश्रम को जीवन भर अपना साथी बनाकर रखें। उन्होंने कहा कि ज्ञान असीमित है। उन्होंने उन्हें सलाह दी कि उन्हें सदैव अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए अपना मस्तिष्क खुला रखना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को विश्व भर में उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है। उनसे निकले विद्यार्थियों ने, चाहे उन्होंने विज्ञान अथवा इंजीनियरी, शिक्षण अथवा अनुसंधान, उद्यमिता अथवा निगमित विश्व अथवा जनसेवा चाहे जो भी पेशा अपनाया है, उन्हें और उससे कहीं अधिक भारत को गौरवान्वित किया है। उन्होंने अपनी मेधा तथा पेशवराना कार्य के लिए विश्व भर में आदर प्राप्त किया है। उन्होंने विद्यार्थियों को यह याद दिलाया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के विद्यार्थियों के रूप में उन्हें उम्मीदों पर खरा उतरना है। उन्होंने कहा कि उन्हें भरोसा है कि उनमें से हर-एक अपने चुनिंदा पेशे में उत्कृष्टता प्राप्त करेगा, और आरामदायक जीवन-बसर करेगा। उन्होंने विद्यार्थियों को सचेत किया कि वे सफलता की बलिबेदी पर अपने उन देशवासियों के प्रति संवेदना न त्यागें जो अभी भी भूख, निर्धनता, अभाव, बीमारी तथा पिछड़ेपन से पीड़ित हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को देश के अंदर तथा बाहर ज्ञान-साझेदारी करनी चाहिए। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भुवनेश्वर ने वैश्विक शैक्षणिक सहयोग प्राप्त करने में पहल की है। इसने अमरीका, यू.के. और कनाडा के प्रख्यात विश्वविद्यालयों के साथ संकाय आदान-प्रदान कार्यक्रम शुरू किए हैं।

यह विज्ञप्ति 1330 बजे जारी की गई।

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