राष्ट्रपति भवन : 26.08.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (26 अगस्त, 2013) भारतीय पेट्रेलियम संस्थान, मोहकमपुर, देहरादून में एक नई प्रयोगशाला का उद्घाटन किया और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद—भारतीय पेट्रेलियम संस्थान के वैज्ञानिकों को संबोधित किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को भारत को सबसे आगे के देशों की पंक्ति में ले जाने के साधन के रूप में विधिवत् मान्यता दी गई है। उन्होंने कहा कि उन्हें विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवान्वेषण को अपनी प्रगति में साझीदार बनाना होगा। उन्होंने आगे कहा कि हमारा भावी प्रगति औद्योगिक सेक्टर के लिए कुशल प्रक्रिया तथा शासन के लिए बेहतर समाधान तैयार करने की हमारी क्षमता पर निर्भर करेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि यद्यपि नवान्वेषण बहुत प्राचीन समय से हमारी सभ्यता की विशेषता रही है। यद्यपि, हमारे लोगों में पटुता की कोई कमी नहीं है; फिर भी हम आज नवान्वेषण गतिविधियों में उन्नत देशों से पीछे हैं। इस वर्ष अपनाई गई नई विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवान्वेषण नीति में, ज्ञान के ऊर्जा स्रोत के रूप में भारत के बदलाव के लिए सभी शक्तियों को एकजुट करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे नवान्वेषणों का उद्देश्य ज्ञान को आर्थिक संपत्ति तथा सामाजिक भलाई में बदलने का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने निर्धनों के हित के लिए प्रौद्योगिकियों, उत्पाद तथा सेवाएं विकसित करने के लिए सीएसआईआर—800 नामक एक मिशन शुरू किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश में उन्होंने कहा था कि व्यक्ति और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखा जाना चाहिए। हाल ही में उत्तराखंड में आई बाढ़ हम सभी के लिए चेतावनी है। हमें विकास की निरंतरता बनाए रखने के लिए ऊर्जा चाहिए परंतु इसे पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित होना चाहिए। इसे हमारे देशवासियों के लिए वहनीय भी होना चाहिए। भावी प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए ये प्रमुख मानदंड हैं।
यह विज्ञप्ति 1800 बजे जारी की गई।