राष्ट्रपति भवन : 13.11.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (13 नवम्बर 2013) राष्ट्रपति भवन में, टाइम्स ऑफ इंडिया की 175वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने टाइम्स समूह के प्रबंध निदेशक के इस वक्तव्य का हवाला देते हुए कि इसका कोई राजनीतिक स्वामी नहीं है और न ही कोई छिपा हुआ कार्यक्रम, कहा कि यही इस महान संस्था का ध्येय वाक्य होना चाहिए।
राष्ट्रपति जी ने याद दिलाया कि किस तरह टाइम्स ऑफ इंडिया ने भारत के इतिहास के प्रत्येक घटनाक्रम को अभिलेखबद्ध किया है। इसने क्वीन विक्टोरिया के भारत की साम्राज्ञी के रूप में राज्याभिषेक का समाचार दिया। इसने 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठन का स्वागत इन शब्दों में किया: ‘निश्चय ही हाल ही के वर्षों में भारत की धरती पर इतनी महत्वपूर्ण तथा व्यापक सभा कभी नहीं हुई।’
भगत सिंह, राजगुरु तथा सुखदेव जी का 1931 का वीरतापूर्ण संघर्ष बड़े पैमाने पर प्रकाशित किया गया था। टाइम्स ऑफ इंडिया ने समाचार दिया था कि किस प्रकार भगत सिंह ने कभी दया के लिए अनुरोध नहीं किया। न्यायाधीश के समक्ष जो प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया गया था वह इस अनुरोध का था कि उन्हें फांसी पर चढ़ाने के बजाए गोली मारी जाए। इस पर न्यायाधीश स्तब्ध रह गया और उसने कहा ‘इसे आप दया की प्रार्थना कहते हैं।’
राष्ट्रपति ने यह उल्लेख किया कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने भारत के संविधान से पूर्व के राजनीतिक सुधारों के प्रत्येक घटनाक्रम को प्रकाशित किया। यह तब भी था जब भारत ने अपना संविधान बनाया और अंगीकृत किया था। इसने तार की शुरुआत तथा अंत में आखिरी दिन भेजे जाने वाले तार के बारे में भी सूचना दी।
राष्ट्रपति ने अंत में टाइम्स ऑफ इंडिया तथा डाक विभाग को इस बात के लिए बधाई दी कि उन्होंने 175वीं वर्षगांठ के टिकट तथा विषय के लिए आर.के. लक्ष्मण के आम आदमी को चुना। उन्होंने उन सभी संपादकों और पत्रकारों को भी याद किया जिन्होंने इस समाचारपत्र को यह रूप दिया तथा इसके लिए भावी मार्ग तैयार किया।
केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, श्री कपिल सिब्बल ने भी इस समारोह में भाग लिया।
यह विज्ञप्ति 1845 बजे जारी की गई।