राष्ट्रपति जी ने स्वामी विवेकानंद की मुंबई से शिकागो की समुद्री यात्रा की 120वीं वर्षगांठ के स्मृति समारोह में भाग लिया
राष्ट्रपति भवन : 31.05.2013

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (31 मई, 2013) मुंबई में स्वामी विवेकानंद की मुंबई से शिकागो की समुद्री यात्रा की 120वीं वर्षगांठ के स्मृति समारोह में भाग लिया।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के शिकागो व्याख्यान, मानव जाति के इतिहास में अंतर-धर्म सौहार्द तथा वैश्विक भाईचारे की महानतम् उद्घोषणाओं में से हैं। उन्होंने कहा कि उनकी प्रासंगिकता आज के ऐसे विश्व में कई गुना बढ़ गई है जो कि अधिक परस्पर जुड़ा हुआ है और अधिक परस्पर निर्भर है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज जब हम स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, ऐसे मौके पर उनकी परिकल्पना और वास्तव में उनके अपने उदाहरण से हमें उन बातों का स्मरण होना चाहिए, जिन्हें हमें तत्काल तथा लगातार, अकेले और भारत के नागरिक के रूप में एक-साथ मिलकर करने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने कहा कि उनका यह मानना है कि हमारा सबसे पहला लक्ष्य होना चाहिए नैतिकता, आचार तथा सामाजिक आचरण की अपनी गौरवशाली परंपराओं का पुनरुत्थान। हमारे राष्ट्रीय विकास में, हमारे राष्ट्रीय चरित्र पर आक्षेप लगने अथवा हमारे समाज के नैतिक ताने-बाने के कमजोर होने के कारण बाधा नहीं आनी चाहिए।

यह विज्ञप्ति 1500 बजे जारी की गई।

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