राष्ट्रपति भवन : 01.10.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने सभी भारतवासियों का आह्वान किया कि वे अपने बुजुर्गों के कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएं, उनसे प्राप्त मार्गदर्शन को महत्त्व दें और उनके बहुमूल्य संग का आनंद उठाएं। वह आज (1 अक्तूबर, 2013) अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के मौके पर विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में वरिष्ठ नागरिकों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार—वयोश्रेष्ठ सम्मान के वितरण के अवसर पर बोल रहे थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि वह इस बात पर जोर देना चाहेंगे कि हमारे समाज को ही उन आंतरिक सुरक्षा व्यवस्थाओं में होने वाले हृस को रोकना होगा जो हमारे समाज ने अपने बुजुर्गों के लिए बनाए हैं। हमें अपने बीच मौजूद वरिष्ठ नागरिकों के प्रति अधिक संवेदनशील बनना अपना दायित्व समझना चाहिए। हमें इसके लिए यथासंभव प्रयास करने चाहिए कि वे अपने जीवन का हर दिन पूरी तरह से, स्वस्थ, सम्मानजनक तथा सार्थक ढंग से जिएं। बुजुर्गों को उस समाज की आर्थिक सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक गतिविधियों में पूर मन से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जिसका हिस्सा वे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में सरकार को बुजुर्गों तथा बुढ़ापे से संबंधित मुद्दों को प्रमुखता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी जरूरतों और अपेक्षाओं की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए तथा सरकार और समाज के उत्तर में किसी भी कारण से विलंब नहीं होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को पहली बार वयोश्रेष्ठ सम्मान प्रदान करने के लिए पहल करने पर बधाई दी। राष्ट्रपति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस नई पहलें शुरू करने का अवसर होना चाहिए। बुजुर्ग लोग, खुद को संगठित करते हुए उन क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं जहां उन्हें लगता है कि सरकार और समाज को उनका जीवन में सुधार का प्रयास करना चाहिए।
इस अवसर पर कुमारी सैलजा, केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, श्री पोरिका बलराम नायक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री तथा श्री माणिकराव होडल्या गावित, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री भी उपस्थित थे।
यह विज्ञप्ति 1440 बजे जारी की गई।