राष्ट्रपति जी ने राष्ट्रपति भवन संग्रहालय, चरण-II का शिलान्यास किया
राष्ट्रपति भवन : 07.10.2014

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (7 अक्तूबर, 2014) राष्ट्रपति भवन संग्रहालय, चरण-II का शिलान्यास किया। शहरी विकास मंत्री, श्री वैंकैय्या नायडू इस अवसर पर उपस्थित थे।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दर्शकों के वस्तुओं, व्यक्तित्वों तथा महत्त्वपूर्ण घटनाओं के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने से इतिहास जीवंत हो उठता है। राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि खोले जाने के बाद यह संग्रहालय इतिहासकारों, अनुसंधानकर्ताओं, विद्यार्थियों तथा जनता के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्थल और गंतव्य बन जाएगा।

इस संग्रहालय में पूर्व, मौजूदा तथा भावी राष्ट्रपतियों के कार्यकाल तथा राष्ट्रपति भवन का जीवन, उसके समारोह और इसकी समृद्ध वनस्पति और जीव-जंतुओं का प्रदर्शन किया जाएगा। इसका निर्माण एक धरोहर इमारत का संरक्षण करते हुए किया जा रहा है, जिसमें पहले राष्ट्रपति भवन का गैराज था। उम्मीद है कि नया संग्रहालय अक्तूबर, 2016 तक राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा।

यह संग्रहालय 10000 वर्गमीटर के निर्मित क्षेत्र में होगा तथा यह राष्ट्रपति भवन की वास्तुकला के अनुरूप होगा। इस संग्रहालय के उद्देश्य तथा उसकी सीमा में निम्न मदें शामिल होंगी : राष्ट्रपति भवन में होने वाली सामाजिक-आर्थिक राजनीतिक गतिविधियों से संबंधित वस्तुओं, पेंटिंगों,फोटो तथा दस्तावेजों का संरक्षण; संग्रहालय तथा अभिलेखागार को समृद्ध बनाने के लिए नई सूचनाओं को इकट्ठा करने के लिए सघन तथा सतत् अनुसंधान तथा नई व्याख्या तथा राष्ट्रपति भवन के इतिहास और उससे संबंधित घटनाक्रमों को आधिकारिक, रोचक, रोमांचक तथा भावनात्मक तरीके से सामने रखने के लिए अत्यंत आधुनिक, कल्पनात्मक तथा पारस्परिक तकनीकों के द्वारा प्रस्तुतीकरण और संप्रेषण करना।

राष्ट्रपति सचिवालय ने इस नए संग्रहालय के डिजायन और स्थापना के लिए संग्रहालय तथा वास्तुकला संरक्षण क्षेत्र के पेशेवरों की एक सलाहकार समिति बनाई है। इस सलाहकार समिति में डॉ. सरोज घोष, संग्रहालय सलाहकार के नेतृत्व में डॉ. एस.वी. गोरख्सखर, पूर्व निदेशक, सीएसएमवीएस; डॉ. ज्योतिंद्र जैन, पूर्व निदेशक, हस्तशिल्प संग्रहालय; श्री अशोक चटर्जी, पूर्व कार्यकारी निदेशक, एन आई डी; प्रो. राजीव लोचन, निदेशक,राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा तथा सुश्री आभा नारायण लांबा संरक्षण वास्तुविद सदस्य के रूप में होंगे।

चरण-IIसंग्रहालय में कारगर संप्रेषण के लिए अत्याधुनिक तकनीकें; डायनामिक डिस्पले; परंपरागत पंक्तिबद्ध केबिनेट में प्रदर्शन के बजाय एनिमेटेड पीरियड सेटिंग तथा एल ई डी से इंटेलीजेंट प्रकाश,इन्फ्रारेड सेंसर आदि का उपयोग किया जाएगा। इसमें इतिहास को सजीव बनाने के लिए देश में पहली बार ओगुमेंटेड रियलिटी, हॉलोग्राफिक प्रोजेक्शन, एनिमेट्रोनिक्स, मल्टी स्क्रीन पैनोरमिक प्रोजेक्शन तथा इम्मरसिव विजुअलाइजेशन के विभिन्न स्वरूपों का उपयोग होगा।

यह विज्ञप्ति 1955 बजे जारी की गई।

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