राष्ट्रपति भवन : 03.12.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (3 दिसम्बर 2013) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में अंतररराष्ट्रीय नि:शक्तजन दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय नि:शक्तजन सशक्तीकरण पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संविधान में राज्य को सभी व्यक्तियों की समानता, स्वतंत्रता, न्याय और गरिमा सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए गए हैं जिसका अर्थ नि:शक्तजन सहित सभी के लिए एक समावेशी समाज है। उन्होंने कहा कि हम नि:शक्तजनों के पूर्ण सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि खासतौर से नि:शक्त बच्चों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के सशक्तीकरण के लिए विशेष योजनाओं, कार्यक्रमों और सुविधाओं का निर्माण किया जाना चाहिए क्योंकि उन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। यह उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने और उनके जीवन के स्तर को सुधारने के लिए जरूरी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा से, भिन्न रूप से सक्षम लोगों को दुनिया का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार किया जा सकता है। नि:शक्त बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के पर्याप्त अवसर दिए जाने चाहिएं जिससे वे एक गरिमापूर्ण और सम्मानजनक जीवन जीने के लिए भविष्य में लाभकारी रोजगार हासिल कर सकें। भिन्न रूप से सक्षम लोगों तक सूचना पहुंचाने के लिए सुगम्य फॉर्मेट में वेबसाइट बनाना अत्यावश्यक है। उन्होंने कहा कि सुगम्य सूचनाओं और विकलांग सहायक प्रौद्योगिकी की उपलब्धता से नि:शक्तजनों की प्रगति के अवसरों में वृद्धि होगी।
यह विज्ञप्ति 1935 बजे जारी की गई।