राष्ट्रपति भवन : 18.04.2015
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (18 अप्रैल 2015) बिहार के पटना में पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी समारोहों का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति जी ने कहा कि जब 01 दिसम्बर 1913 को पटना उच्च न्यायालय के भवन की आधारशिला रखी गई थी तो भारत के तत्कालीन वायसराय और गवर्नन जनरल, लार्ड हार्डिंग ने कहा था, ‘मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में इसकी चाहरदीवारी के अंदर साहस तथा निष्पक्षता के साथ न्याय प्रदान किया जाएगा और गलत कार्य करने वालों के मन में डर पैदा होगा तथा हरएक सही और सत्य कार्य की विजय होगी ताकि बिहार उच्च न्यायालय अपने गंभीर विवेक तथा अच्छे कानून के लिए नाम कमाए’। राष्ट्रपति जी ने कहा कि यदि पटना उच्च न्यायालय के इतिहास को पढ़ा जाए तो यह पता चलेगा कि इस न्यायालय ने लार्ड हार्डिंग की अपेक्षाओं से बेहतर कार्य किया है। इस न्यायालय ने अनुकरणीय निर्णय दिए हैं।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय के बहुत से प्रख्यात कानूनविदों में भारत के प्रथम राष्ट्रपति तथा हमारे देश के प्रमुख राष्ट्रनिर्माताओं में से एक डॉ राजेन्द्र प्रसाद भी थे जो इस न्यायालय में वकालत करते थे। श्री सैयद हसन इमाम, जिन्होंने 1918 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षता की थी, भी पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता थे। संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष, डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा इस न्यायलय के अधिवक्ता थे। पटना उच्च न्यायालय के तीन मुख्य न्यायाधीश अर्थात् न्यायमूर्ति बी.पी.सिन्हा, न्यायमूर्ति ललित मोहन शर्मा तथा न्यायमूर्ति आर.एम.लोढ़ा बाद में भारत के मुख्य न्यायाधीश बने।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता हमारे लोकतंत्र का आधारस्तंभ है। हमारे देश में न्याय व्यवस्था न केवल सुलभ बल्कि वहनीय भी होनी चाहिए। उन्होंने वहां उपस्थित सभी न्यायाधीशों तथा अधिवक्ताओं से आग्रह किया कि वे सुलभ और वहनीय न्याय के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सहयोग करें। उन्होंने वादों के निपटारे में तेजी करने की जरूरत पर भी जोर दिया क्योंकि न्याय में विलंब का अर्थ है न्याय न मिलना। उन्होंने न्यायालय की प्रक्रियाओं में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी को शामिल किए जाने पर जोर दिया।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि देश भर के न्यायालयों में रिक्त पदों को भरने का कार्य प्राथमिकता से किया जाना चाहिए। न्यायाधीशों के चयन तथा नियुक्ति की प्रक्रिया में उच्चतम मानकों का पालन होना चाहिए। हमें इस दिशा में गुणवत्ता पर दुष्प्रभाव डाले बिना तेजी लानी होगी। उन्होंने कहा कि पटना उच्च न्यायालय में 43 न्यायाधीशों के स्वीकृत पदों के मुकाबले आज 31 न्यायाधीश ही तैनात हैं।
इस अवसर पर उपस्थित विशिष्ट अतिथियों में बिहार के राज्यपाल, भारत के मुख्य न्यायाधीश,बिहार के मुख्यमंत्री, केंद्रीय विधि एवं न्यायमंत्री, केंद्रीय संचार एवं सूचना मंत्री तथा पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 15:15 बजे जारी की गई।