राष्ट्रपति भवन : 15.02.2014
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (15 फरवरी, 2014) प्रगति मैदान, नई दिल्ली में नई दिल्ली पुस्तक मेंले का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की बहुलता तथा सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषाई तथा धार्मिक विविधता इसकी सबसे बड़ी ताकत है और प्रत्येक भारतीय के लिए ये प्रेरणा के बहुल स्रोत हैं। उनहोंने कहा, ‘‘हमें असहिष्णुता, पूर्वाग्रह तथा घृणा को अस्वीकार करने में कोई नरमी नहीं दिखानी चाहिए। नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले जैसे पुस्तक मेले से हमें यह याद आना चाहिए कि हमारे इतिहास तथा परंपराओं में सदैव ‘तार्किक’ नागरिक को तरजीह दी गई है न कि ‘अहिष्णु’ नागरिक को। हमारे देश में सदियों से विभिन्न नजरियों, विचारों तथा दर्शनों ने शांतिपूर्वक एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा की है तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारे संविधान में गारंटी प्रदत्त एक बहुत महत्त्वपूर्ण मौलिक अधिकार है’’।
राष्ट्रपति ने कहा कि, ‘‘इतना विशाल विश्व पुस्तक मेला भारत के उस उदार, लोकतांत्रिक, बहुभाषिक, बहु-सांस्कृतिक तथा पंथनिरपेक्ष समाज का जीता जागता नमूना है जहां प्रतिस्पर्धी विचारों और विचारधाराओं को समान महत्त्व दिया जाता है। ये मूल्य भारत की आत्मा हैं। हमें इन आदर्शों को संरक्षित, सुरक्षित, प्रोत्साहित तथा पोषित करने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए’’।
इस वर्ष के मेले के मुख्य विषय के लिए बाल साहित्य का चयन करने के लिए आयोजकों को बधाई देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी मानवीय समाज तब तक अपने संपूर्ण आयामों में विकसित नहीं हो सकता, जब तक वह अपने बच्चों और युवा पाठकों के लिए उपयोगी साहित्य सृजित नहीं करता। उन्होंने लेखकों, प्रकाशकों तथा सरकार का आह्वान किया कि वे बाल-साहित्य को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करें। उन्होंने अभिभावकों तथा शिक्षकों से भी आग्रह किया कि वे बच्चों में छोटी उम्र से ही पढ़ने की आदत डालें। उन्होंने कहा कि बच्चों में पढ़ने की आदतों के समावेश से यह सुनिश्चित हो पाएगा कि यह एक ऐसा कौशल बन जाए जो पूरे जीवन भर उन्हें संबल प्रदान करे।
यह विज्ञप्ति 1340 बजे जारी की गई।