राष्ट्रपति जी ने कहा कि यह आवश्यक है कि सरकारी विभाग सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग करते हुए प्रणालियों को आधुनिक बनाएं
राष्ट्रपति भवन : 20.04.2015

भारतीय रक्षा लेखा सेवा, भारतीय सिविल लेखा सेवा, भारतीय रेलवे लेखा सेवा तथा भारतीय डाक एवं संचार वित्त एवं लेखा सेवा के परिवीक्षाधीनों ने आज (20 अप्रैल 2015) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।

इन परिवीक्षाधीनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति जी ने कहा कि एक अच्छी ‘सरकारी वित्तीय प्रबंधन प्रणाली’ सुशासन का आधार होती है। वे जिन संगठित लेखा सेवाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं उन्हें वित्तीय प्रबंधन की एक मजबूत तथा सशक्त प्रणाली बनाने और उसके रखरखाव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विश्व के आज प्राय: सभी देशों में ‘एकीकृत वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणालियों’ को विकसित करने तथा लेखा, लेखापरीक्षा तथा बजट के लिए मानक स्थापित करने की दिशा में प्रयास हो रहे हैं। भारत सरकार भी ऐसी प्रणाली की दिशा में अग्रसर है। भारत में आज यह आवश्यक हो गयी है क्योंकि बढ़ते सार्वजनिक खर्च को देखते हुए इसकी ट्रैकिंग, मानीटरिंग तथा रिपोर्टिंग की एक मजबूत प्रणाली स्थापित करने की जरूरत है। इस तरह की प्रणाली को विकसित करने के लिए हमें सर्वोत्तम वैश्विक परिपाटियों से सीख लेते हुए इसका विकास करना होगा।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता तथा जवाबदेही सहित सेवा की सुपुर्दर्गी में और अधिक दक्षता की जनता की अपेक्षाएं बढ़ती जा रही हैं। इन चिंताओं के समाधान के लिए यह आवश्यक है कि सरकारी विभाग सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का बेहतरी उपयोग करते हुए प्रणालियों को आधुनिक बनाएं तथा इस तरह की प्रणालियों को नागरिक-उन्मुख,सुरक्षित, कुशल, किफायती तथा पारदर्शी बनाएं। कर सूचना नेटवर्क, ओल्टास, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली कुछ अखिल भारतीय प्रणालियों के ऐसे अत्यंत शानदार उदाहरण हैं जिन्होंने आम नागरिक का जीवन सुगम बनाया है तथा सरकार के संचालन के प्रमुख क्षेत्रों में अधिक दक्षता तथा पारदर्शिता की शुरुआत की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह रुझान भविष्य में और बढ़ेगा तथा उन्होंने सभी अधिकारियों का आह्वान किया कि उन्हें जब भी और जहां भी अवसर मिले इस तरह की अखिल भारतीय प्रणालियों के विकास में हाथ बटाएं।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान अपनी विभिन्न परिसर केंद्रित गतिविधियों के साथ-साथ बहुत से प्रासंगिक कार्यालयों और संगठनों से परिवीक्षाधीनों की संबद्धता की व्यवस्था करता है,जहां उन्हें शासन के व्यावहारिक पक्षों की जानकारी मिलती है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इन परिवीक्षाधीनों को संयुक्त राज्य अमरीका भी ले जाया जाता है जहां उन्हें संघीय और राज्य सरकारों के स्तर पर वित्तीय प्रबंधन संबंधी प्रक्रियाओं से परिचित कराया जाता है। उन्होंने परिवीक्षाधीनों से आग्रह किया कि वे इस तरह के महत्वपूर्ण देश की प्रणालियों से प्राप्त जानकारी को समझ कर उसका भारतीय संदर्भ में समुचित रूप से उपयोग करें।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की तेजी से बदलती दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए प्रणालियों और प्रक्रियाओं को निरंतर अद्यतन करने की भी जरूरत होती है। हमें यह अध्ययन करना होगा कि हम अपनी भुगतान तथा लेखा प्रणालियों को किस तरह अवरोध-रहित बना सकते हैं तथा न केवल धोखाधड़ी को पकड़ने के लिए बल्कि सरकार की विभिन्न योजनाओं की प्रक्रियाओं और परिणामों के मूल्यांकन और अनुश्रवण के लिए धीरे-धीरे लेखापरीक्षा में सूचना और प्रौद्योगिकी साधनों का उपयोग कैसे बढ़ाया जा सकता है। हमारे सामने बहुत सी चुनौतियां हैं तथा अवसर भी बहुत तथा व्यापक है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि वे सभी मौके पर खरा उतरेंगे तथा अपने देशवासियों की अपेक्षाओं को पूरा करेंगे।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि भारत सरकार ने वित्त एवं लेखा सेवाओं के नए भर्ती हुए अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिए 1993में राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान की स्थापना की थी। राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान की स्थापना का उद्देश्य केवल वित्तीय प्रबंधन से जुड़े विषयों में परिवीक्षाधीनों को प्रशिक्षण देना ही नहीं था वरन् लेखा अधिकारियों के बीच भ्रातृत्व भाव तथा मैत्री की भावना का समावेश करना भी था। उन्होंने कहा कि विभिन्न लेखा सेवाओं में अधिकारियों के साथ-साथ रहने तथा मिल-जुलकर सीखने का यह अवसर उनके भावी जीवन में उनके लिए बहुत उपयोग सिद्ध होगा।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि एक केंद्रीय मंत्री के रूप में वह 2009 से 2012 के बीच राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान के अध्यक्ष थे जिससे उन्हें राष्ट्रीय प्रबंधन संस्थान के कार्यकलापों के बारे में जानने का मौका मिला था। उन्होंने कहा कि उन्हें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान ने अपनी स्थापना के दो दशकों के अंदर अच्छी प्रगति की है। राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान द्वारा अब रक्षा, राज्य सरकारों, बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, स्वायत्त निकायों तथा सरकार के अन्य स्टेक धारकों के लिए सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों के संचालन के साथ ही नवीनतम वित्तीय मुद्दों पर विभिन्न एक्सचेंज और राष्ट्रीय स्टाक एक्सचेंज के सहयोग से वित्तीय तथा प्रतिभूति बाजारों पर दीर्घकालीन और अल्पकालीन पाठ्यक्रमों का आयोजन शुरू करते हुए एक नए क्षेत्र में अपना प्रसार किया है। यह जानकर संतोष होता है कि राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान ने भारत के विभिन्न संस्थानों के साथ सहयोग के अलावा संयुक्त राज्य अमरीका, यूरोप तथा एशिया के बहुत से विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के सहयोगों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए क्योंकि इससे वहां प्रदान की जा रही शिक्षा को वैश्विक दृष्टिकोण मिलता है तथा विचारों और अनुभवों के अंतर-सांस्कृतिक आदान-प्रदान का मौका मिलता है।

यह विज्ञप्ति 16:30 बजे जारी की गई।

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