राष्ट्रपति जी ने कहा कि विश्वविद्यालय को शिक्षा का, मानवता का, सहनशीलता का तथा संतुलित चिंतन का मंदिर होना चाहिए
राष्ट्रपति भवन : 25.09.2013

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (25 सितंबर 2013) पुदुच्चेरी में पांडिचेरी विश्वविद्यालय के 23वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में भाग लिया।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि हमने अपने देश में शिक्षा के अधिकार को वास्तविकता में बदल दिया है। अब हमें सही शिक्षा पर जोर देना होगा। विश्वविद्यालय को शिक्षा का, मानवता का, सहनशीलता का तथा संतुलित चिंतन का मंदिर होना चाहिए। इसे विद्वानों, शिक्षाविदों तथा वैज्ञानिकों के बौद्धिक प्रयासों से तथा ज्ञान के आदान-प्रदान के द्वारा अपने समाज और राष्ट्र की प्रगति में योगदान देना है। शिक्षा को एक जिम्मेदार, नवान्वेषी, विश्लेषात्मक तथा करुणामयी नागरिक तैयार करने होंगे। इसे समाज में आने वाले बदलावों के अनुरूप सकारात्मक रूप से कार्य करना होगा। प्रत्येक युवा बौद्धिक रूप से सक्षम तथा तकनीकी रूप से कुशल बनना चाहता है। परंतु बिना मूल्यों के समावेश के ज्ञान का सृजन करना निरर्थक है। मूल्य-रहित शिक्षा सुगंध-रहित फूल के समान है। शिक्षा को युवाओं को ऐसे मूल्य प्रदान करने होंगे जिससे वे सभी मानवों के प्रति संवेदनशील हों। यह एक ऐसी प्रक्रिया होनी चाहिए जो किसी व्यक्ति को सभी तरह से संपूर्ण बनाए।

इस अवसर पर पुदुच्चेरी के उपराज्यपाल, श्री वीरेन्द्र कटारिया, पुदुच्चेरी के मुख्यमंत्री श्री एन रंगासामी, कार्मिक लोकशिकायत एवं पेंशन मंत्रालय तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, श्री वी नारायणसामी तथा पांडिचेरी विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रोफेसर चंद्र कृष्णमूर्ति भी उपस्थित थे।

यह विज्ञप्ति 1400 बजे जारी की गई।

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