राष्ट्रपति भवन : 15.05.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने 14 मई, 2013 को राजभवन, कोहिमा में नागालैंड के राज्यपाल द्वारा आयोजित राजभोज के बाद एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का अवलोकन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह जरूरी है कि नागालैंड की जनता को ऐसे शांतिपूर्ण परिवेश का निर्माण करना चाहिए जिसमें अपने सपने ‘‘बिना भय और पक्षपात’’ के पूर्ण किए जा सकें। शांति और सुरक्षा विकास के लिए जरूरी हैं। उन्होंने सभी नागरिकों से इसके लिए प्रयास करने का आह्वान किया तथा युवाओं से आग्रह किया कि वे हर तरह की हिंसा को त्याग दें।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस राजभोज में उपस्थित विशिष्टजनों पर यह जिम्मेदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि नागालैंड को हमारे महान देश में उपयुक्त स्थान प्राप्त हो। अगले पचास वर्षों का लक्ष्य नागालैंड को पूर्ण विकसित करने का होना चाहिए, जिसमें यहां के युवा वैसे ही अवसर प्राप्त कर सकें जो देश के बाकी हिस्सों में मिलते हैं। इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि नागालैंड देश के निर्माण में समान तथा योगदान देने वाला सहभागी बने, नागाओं को अनुकरणीय गर्व के साथ-साथ कठिन परिश्रम तथा बलिदान का भी प्रदर्शन करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के करीब रहने वाली पूर्वोत्तर की जनता से आग्रह किया कि वे हमारे पड़ोसी देशों के साथ बढ़-चढ़कर व्यवसाय और उद्योग में भाग लें और उस महान भारतवंशियों का हिस्सा बनें जो आज हमारे देश तथा जिन देशों की नागरिकता उन्होंने ग्रहण की है, उनके जीवन को रूपांतरित कर रहे हैं। उन्होंने उनका आह्वान किया कि वे अपने कर्म तथा दृष्टिकोण में वैश्विक नागरिक बनें।
यह विज्ञप्ति 1230 बजे जारी की गई