राष्ट्रपति भवन : 04.04.2015
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (4 अप्रैल 2015) नई दिल्ली में नेशनल इन्टरवेंशनल काउंसिल ऑफ द कार्डियोलोजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के मध्यावधि सम्मेलन - 2015 का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत जैसे विकासशील देश के लिए एक ऐसी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली अत्यावश्यक है जो सभी के लिए प्राप्य, वहनीय तथा कारगर हो। इस तरह की प्रणाली तैयार करने के लिए हमें ऐसी मजबूत स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना, प्रशिक्षित तथा प्रेरित कार्मिकों तथा दवाओं और उपकरणों तक बेहतर पहुंच की जरूरत होगी। भारत में 10000 की जनसंख्या पर केवल 7 अस्पताल शैय्या हैं, जिसकी तुलना में ब्राजील में 23, चीन में 38 तथा रूस में 97 हैं। स्वास्थ्य सेवा कार्मिकों के संदर्भ में भी हम अन्य ब्रिक देशों से पीछे हैं। भारत में 10,000 की जनसंख्या पर 7 चिकित्सक हैं जबकि ब्राजील में 19,चीन में 15 तथा रूस में 43 हैं। यद्यपि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसी स्कीमों ने सेवा उपलब्धता बेहतर की है परंतु भारत में स्वास्थ्य सेवाएं अभी भी ॒पहुंच तथा गुणवत्ता की कमी से ग्रस्त हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य पर होने वाला सरकारी व्यय अत्यल्प है। हम इस मामले में भी अपने ब्रिक समकक्षों से पीछे हैं। भारत में सार्वजनिक-निजी-भागीदारी के संदर्भ में स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति सरकारी व्यय 44 अमरीकी डालर है जबकि यह रूस में 809,ब्राजील में 474 तथा चीन में 236 है। यह देखते हुए कि हम संपूर्ण विश्व की जनसंख्या का छठा भाग हैं सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य पर होने वाले व्यय में तुरंत काफी वृद्धि किए जाने की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी स्वास्थ्य व्यवस्था जो सभी को उपलब्ध हो आज की जरूरत है। एक आकलन के अनुसार मार्च 2014 के अंत में भारत में 216 मिलियन अथवा जनसंख्या के 17प्रतिशत हिस्से को विभिन्न स्वास्थ्य बीमा स्कीमों के तहत सुविधा प्राप्त थी। हमें गैर-सुविधाप्राप्त जनसंख्या को स्वास्थ्य सुरक्षा नेट के तहत लाने के लिए काफी कुछ करना होगा। बीमित जनता स्वस्थ जनता भी होगी जिसका शिक्षा,ज्ञान प्राप्त करने तथा रोजगार के अवसरों को ढूंढने के प्रति अधिक रुझान होगा। अच्छा स्वास्थ्य तथा जनता की तंदरूस्ती हमारे देश की प्रगति का सच्चा प्रतिबिंब होगा।
यह विज्ञप्ति 13:00 बजे जारी की गई।